Kangna Ranaut Vs Vikramaditya Singh: ‘ये तुम्हारे बाप दादा की रियासत नहीं है कि तुम मुझे डरा धमका कर वापस भेज दोगे’। यह पंक्ति किसी फिल्मी डायलॉग की नही है। यह जवाब फिल्म इंडस्ट्री की ‘क्वीन’ कंगना रनौत ने रामपुर बुशहर राजपरिवार के ‘शहजादे’ विक्रमादित्य सिंह को दिया है। सिंह ने रनौत को ‘क्वीन ऑफ कंट्रोवर्सी’ बताते हुए पूछा था कि कुल्लू और मनाली में बादल फटने की आपदा आई तो वे कहां थीं? कंगना तो चुनाव के बाद वापस फिल्म इंडस्ट्री में चली जाएंगी। मंडी लोकसभा क्षेत्र में दोनों प्रत्याशियों के बीच चल रहे वाक् युद्ध का ये तो केवल एक उदाहरण है। न तो कंगना जुबान पर लगाम लगा पा रही हैं और न ही विक्रमादित्य उन्हें निशाने पर लेने से बाज आ रहे हैं। इसलिए मंडी लोकसभा क्षेत्र का चुनाव प्रमुख दलों के प्रत्याशियों और राजनीतिक दलों के एक-दूसरे को नीचा दिखाने के अखाड़े में तब्दील हो गया है। इस रणनीति का किस पार्टी को फायदा होगा, ये तो 4 जून को पता चलेगा लेकिन इस सीट पर इस निचले स्तर का चुनाव प्रचार पहले कभी नहीं देखा गया। कड़क, कुरकुरे, मीठे और रसीले सेबों ने किन्नौर का नाम देश विदेश में रोशन किया लेकिन हिमाचल के ‘बेटे’ और ‘बेटी’ की जुबान चुनाव में खटास फैल रही है।
इस सीट से 20 में से 14 बार कांग्रेस जीती
मंडी लोकसभा क्षेत्र पर राजपरिवारों ने ज्यादा राज किया है और कांग्रेस का मजबूत किला रहा है। बुशहर राजपरिवार के वीरभद्र सिंह छह बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। वे और उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह तीन-तीन बार सांसद चुने गए। सुखराम दो बार सांसद बने। वर्ष 1952 से अब तक हुए बीस आम चुनाव में कांग्रेस 14 बार जीती है। भाजपा पांच बार और एक बार जनता पार्टी ने विजय प्राप्त की है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के रामस्वरूप शर्मा ने बाजी मारी थी। उनकी मृत्यु के कारण वर्ष 2021 के उपचुनाव में कांग्रेस की प्रतिभा सिंह ने यह सीट भाजपा से हथिया ली। बुशहर शाही परिवार का उत्तरी मंडी के इलाकों में खासा दबदबा है। आमजन से अच्छे रसूखात भुनाने के लिए प्रतिभा सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह को कांग्रेस ने टिकट दिया। गौरतलब है कि वे विधानसभा में शिमला ग्रामीण सीट से विधायक और राज्य सरकार में सार्वजनिक निर्माण मंत्री हैं। उनके सामने भाजपा ने कंगना रनौत को चुनावी रण में उतारा है। वे मूलत: मंडी जिले की सरकाघाट तहसील के भाम्बला गांव की रहने वाली हैं। वह बाद में बॉलीवुड में एक्टिंग को कैरियर बनाने चली गईं।
‘राजयोग वाला ही जीतेगा’
क्षेत्रफल के लिहाज से मंडी लोकसभा क्षेत्र देश का दूसरा सबसे बड़ा लोकसभा क्षेत्र है। लाहौल स्पीति और किन्नौर के गांव चीन की सीमा तक लगते हैं। आबादी छितराई हुई है। केवल सड़क के रास्ते पूरे लोकसभा क्षेत्र के लोगों तक पहुंचना संभव ही नहीं है। दोनों प्रत्याशी चॉपर का सहारा ले रहे हैं। हिन्दी के साथ स्थानीय बोली में भाषण देकर लोगों से जुड़ने का प्रयास कर रहे हैं। कंगना प्रचार के दौरान हिमाचली टोपी पहने रहती हैं। वे राज्य सरकार की नाकामियों विशेषकर बाढ़ के बाद आपदा राहत के लिए केन्द्रीय मदद का हिसाब मांग रही हैं। ऐसा ही सवाल कुल्लू में ज्वैलरी की दुकान संचालक रवीन्द्र ने किया। उनका कहना है कि केन्द्रीय मदद का पैसा वेतन के रूप में बांट दिया। राज्य की सड़कें टूटी हुई हैं। युवाओं के पास रोजगार नहीं है। महंगाई बढ़ती जा रही है। चुनाव परिणाम के सवाल पर बोल जिसके भाग्य में राजयोग होगा, वही जीतेगा।
विक्रमादित्य ने सेब पर आयात शुल्क बढ़ाने का किया वादा
विक्रमादित्य विदेश से आने वाले सेब पर आयात शुल्क बढ़ाने की सेब किसानों की आवाज संसद में उठाने का वादा कर रहे हैं। कुल्लूू में कोल्ड स्टोरेज और फलों का प्रसंस्करण संयंत्र बनवाने की बात कर रहे हैं। दक्षिण क्षेत्र पर मजबूत पकड़ मंडी लोकसभा क्षेत्र में 17 विधानसभा सीटें हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 13 और कांग्रेस ने 4 सीटें जीती थीं। मण्डी के दक्षिणी क्षेत्र (बंजर, अन्नी, करसोग, सुंदरनगर, नाचन, सेराज, दरांग, सरकाघाट, जोगिन्दर नगर) पर भाजपा की पकड़ मानी जाती है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर भी काफी लोकप्रिय हैं। भाजपा को उनकी लोकप्रियता का फायदा मिलने की उम्मीद है।
जयराम ठाकुर ने संभाली कमान
दोनों उम्मीदवार युवा हैं। जोश से भरे हैं। दोनों के पास भरपूर पैसा है। विक्रमादित्य को राजनीति विरासत में मिली है। कंगना ने सियासत में अचानक कदम रखा है। उनकी उम्मीदवारी से भाजपा के स्थानीय नेता और कार्यकर्ता भी हैरत में हैं। चण्डीगढ़ से मंडी के रास्ते में सुन्दरनगर शहर आता है। यहां के निवासी रमण बताते हैं कि टिकट की उम्मीद महेश्वर सिंह को थी।
रील और रियल लाइफ में फर्क को कैसे पाटेंगी कंगना?
कंगना बॉलीवुड की ‘क्वीन’ हो सकती हैं। रील लाइफ और राजनीति की हकीकत अलग है। गर्मी बढ़ रही है। मंडी शहर का सियासी मिजाज भी गर्म चल रहा है। एक होटल के रिसेप्शनिस्ट राम सिंह ठाकुर कंगना को बोल्ड लेडी बताते हैं। राजनीति में ऐसे तेज तर्रार लोग चाहिए पर उन्हें बोलने से पहले सोचना चाहिए। यह बॉलीवुड नहीं है। लोगों की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचानी चाहिए। चांदनी चौक पर चाय की दुकान चलाने वाले ज्ञानचंद ने बताया…महेश्वर का टिकट काटने से पार्टी के कई कट्टर कार्यकर्ता खुलकर चुनाव प्रचार में नहीं आ रहे। प्रधानमंत्री मोदी की रैली के बाद प्रचार में तेजी आई है। मंडी के पार्षद हरदेव सिंह ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कंगना के चुनाव प्रचार की कमान संभाल रखी है। केवल प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर वोट मांगे जा रहे हैं।