Barasat Seat : महिलाओं के यौन उत्पीडऩ और ईडी टीम पर हमले के बाद सुर्खियों में आए पश्चिम बंगाल के बशीरहाट से सटी बारासात लोकसभा सीट भी इस बार चर्चा में है। इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि पीएम नरेन्द्र मोदी ने यहां चुनावी सभा की तथा बशीरहाट की पीड़ित महिलाओं का मुद्दा उठाया। हैट्रिक लगा चुकी तृणमूल कांग्रेस की काकोली घोष दस्तीदार के लिए चौथी बार संसद पहुंचने का सफर आसान नहीं लग रहा है। इस बार तृणमूल कांग्रेस और भाजपा में कांटे की टक्कर नजर आ रही है। भाजपा ने स्वपन मजूमदार पर भरोसा जताया है तो फॉरवर्ड ब्लॉक ने संजीव चट्टोपाध्याय को मौका दिया है। इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आइएसएफ) ने तापस बनर्जी को मैदान में उतारकर मुकाबले को बहुकोणीय बनाने की कोशिश की है। हालांकि यहां भाजपा और तृणमूल में सीधा मुकाबला दिख रहा है।
अल्पसंख्यक और एससी वर्ग का जोर-
बारासात संसदीय क्षेत्र में अल्पसंख्यक और एससी समुदाय का जोर चलता है। 2011 की जनगणना के अनुसार 21,25,830 की आबादी में से 36.93 फीसदी ग्रामीण और 63. 07 फीसदी शहरी आबादी है। संसदीय क्षेत्र में अल्पसंख्यकों की आबादी करीब 27 फीसदी है, जबकि अनुसूचित जाति की आबादी 19 फीसदी है। 2021 की मतदाता सूची के अनुसार यहां 18,26,681 मतदाता मतदान के पात्र हैं।
विकास कार्य को देखकर लोग करेंगे वोट
तूणमूल कांग्रेस की उम्मीदवार काकोली घोष दस्तीदार कहती हैं कि ममता दीदी ने बंगाल में कई सारी जन कल्याणकारी योजनाओं के तहत काम किया है। महिलाओं को लक्ष्मी भंडार के तहत भत्ते दिए जा रहे हैं। दीदी के विकास कार्य को देख कर लोग हमारी पार्टी के पक्ष में वोट देंगे।
चुनाव में तृणमूल को जवाब देगी जनता
भाजपा उम्मीदवार स्वपन मजूमदार को इस बार मोदी की गारंटी पर भरोसा है। वे दावा करते हैं कि मोदी की गारंटी के आगे दीदी की सारी गारंटी फेल है। तृणमूल के अत्याचार व भ्रष्टाचार से जनता परेशान है, जिस तरह से बंगाल में भ्रष्टाचार और संदेशखाली की महिलाओं पर अत्याचार हुआ है, उसे सारे देश ने देखा है। क्षेत्र की जनता चुनाव में तृणमूल को जवाब देगी।
बारासात का ऐतिहासिक महत्व
उत्तर 24 परगना जिला स्थित बारासात संसदीय सीट का ऐतिहासिक महत्व भीहै। बंगाल के पहले गवर्नर जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स ने सडक़ के दोनों किनारों पर पेड़ लगाए थे। इस कारण इस इलाके का नाम बारासात पड़ा है। मुगल काल के दौरान बारासात प्रतापदित्य (बंगाल के बारह जमींदार राजाओं में से एक) के साम्राज्य के अधीन था। उनकी सेनाएं यहां तैनात थीं। 1939 में सुभाष चंद्र बोस ने यहां बैठक की अध्यक्षता की थी और 1947 में महात्मा गांधी ने बारासात का दौरा किया था। बंगाल विभाजन का बारासात पर गहरा प्रभाव पड़ा है। बांग्लादेश (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) से विस्थापित लोगों ने पलायन कर बारासात और आसपास के इलाकों में डेरा जमा लिया। बांग्लादेश सीमा से सटा यह मुख्य रूप से कृषि प्रधान इलाका है। चावल, साग-सब्जियां, गन्ना, आलू और नारियल का व्यापार केंद्र है।
विधानसभा सीटों पर टीएमसी का कब्जा
बारासात लोकसभा सीट के अंतर्गत बारासात, अशोकनगर, हाबरा, देगंगा, मध्यमग्राम, राजारहाट न्यू टाउन, विधाननगर विधानसभा क्षेत्र हैं। सभी सात सीटों पर टीएमसी का कब्जा है। हाबरा से ज्योतिप्रिय मल्लिक, अशोकनगर से नारायण गोस्वामी, राजारहाट न्यू टाउन से तापस चटर्जी, विधाननगर से सुजीत बोस, मध्यमग्राम से रथिन घोष, बारासात से चिरंजीत चक्रवर्ती और देगंगा से रहीमा मंडल विधायक हैं। राशन घोटाले में ज्योतिप्रिय मल्लिक के जेल जाने के बाद तृणमूल का किला कुछ कमजोर दिखाई पड़ रहा है।