चंडीगढ़ : भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला ने कहा कि जाट आरक्षण के मामले पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और चौटाला परिवार की भूमिका संदिग्ध रही है। जाट समुदायों की उम्मीदों को पूरा करने की बजाय दोनों ने सत्ता सुख लेते हुए उन्हें धोखा दिया और आज घड़ियाली आंसू बहाकर ढोंग कर रहे है।
आज यहां जारी बयान में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला ने जाट आरक्षण को लेकर चल रहे धरनों को समर्थन दे रहे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और विधानसभा में विपक्ष के नेता अभय सिंह चौटाला पर निशाना साधते हुए कहा कि इस मुद्दे पर दोनों की भूमिका पूर्व में भी और आज भी संदिग्ध है। उन्होंने कहा कि हुड्डा ने 10 साल सत्ता का मजा लेते हुए अपने और अपने समर्थकों को सन्तुष्ट किया। सार्वजनिक मंचों पर खुद को पहले जाट समुदाय का हिमायती और बाद में मुख्यमंत्री बताने वाले हुड्डा ने अपने समुदाय को सत्ता में रहते धोखा ही दिया। 10 साल के दौरान उन्होंने जानबूझकर कर लचर-पचर आरक्षण दिया। यह केवल चुनावी लाभ हासिल करने तथा वोटबैंक की राजनीति करने के लिए जाट समुदाय को बरगलाना भर था।
बराला ने कहा कि अपने गलत निर्णयों के कारण आज यह लोग सत्ता से बाहर हैं। इसलिए आज धरनों पर जाकर राजनीति चमकाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गुरनाम कमेटी की सिफारिशों को लागू करने में चौटाला नाकाम रहे। आज अपनी नाकामी छिपाने और भाई चारा बिगाड़ने की नापाक कोशिश करने को जनता बेहतर तरीके से समझती है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने जाट आरक्षण देने की न केवल घोषणा की, अपितु इसे लागू भी किया। वर्तमान में भी सरकार अदालत में चल रहे मामले की मजबूती से पैरवी कर रही है। कुछ लोग उत्तर प्रदेश और पंजाब चुनाव के मद्देनजर माहौल और भाईचारा खराब करने की मंशा से अपनी राजनीति चमकाने का काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार खाप प्रतिनिधियों के साथ चर्चा करके उचित मांगों को समय से पूरा करने का भरोसा दे चुकी है। ऐसे में समाज के लोगों को भी आमजन एवं प्रशासन को परेशानियों का ध्यान रखना चाहिए। खुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल समुदाय की मांगों को मानने का भरोसा दे चुके है, ऐसे में धरनों का कोई औचित्य नहीं रह जाता।