हाल ही में यूनाइटेड नेशंस माइग्रेशन एजेंसी के द्वारा इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर माइग्रेशन रिपोर्ट 2024 जारी की गई। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय प्रवासियों के द्वारा वर्ष 2022 में भेजा गया रेमिटेंस दुनिया के किसी भी देश के मुकाबले सबसे ज्यादा है और यह 111 अरब डॉलर की ऊंचाई पर पहुंच गया है।
यह उपलब्धि प्रवासी भारतीयों के परिश्रम, उनकी दक्षता और उनके मातृभूमि के प्रति स्नेह को भी रेखांकित करती है।
यह कोई छोटी बात नहीं है कि दुनिया के कोने-कोने में भारतवंशी और प्रवासी भारतीयों की राजनीतिक, आर्थिक और कारोबारी क्षेत्रों में तेजी से बढ़ती ऊंचाइयां भारत के तेज विकास के मद्देनजर महत्वपूर्ण हो गई हैं। दुनिया के अनेक देशों में कई भारतवंशी राजनेता अपने-अपने देशों को आगे बढ़ाते हुए विश्व के समक्ष भारत के चमकते हुए चेहरे हैं साथ ही ये विश्व मंच पर भारत के हितों के हिमायती भी हैं और हरसंभव तरीके से भारत के विकास में अपना अहम योगदान देते हुए भी दिखाई दे रहे हैं।
इतना ही नहीं दुनिया के विभिन्न देशों में राजनीति की ऊंचाइयों पर पहुंचने के साथ-साथ भारतवंशी व प्रवासी भारतीय वैश्विक आर्थिक व वित्तीय संस्थानों आईटी, कम्प्यूटर, मैनेजमेंट, बैंकिंग, वित्त आदि के क्षेत्र में भी बहुत आगे हैं। दुनिया के कोने-कोने में विस्तारित भारतीय प्रवासियों का मत है कि पिछले एक दशक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया के आर्थिक और राजनीतिक मंचों पर जिस तरह भारत की सफलताओं का परचम फहराया है, उससे दुनिया में इंडिया फिलांथ्रोपी अलायन्स (आईपीए) जैसे भारत हितैषी संगठन तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
इंडियास्पोरा भारत के विकास में अहम योगदान देने के उद्देश्य से वर्ष 2012 में अमेरिका में स्थापित एक ऐसी गैर-लाभकारी संस्था है, जो करीब 20 देशों में सक्रिय रूप से मजबूती के साथ काम कर रही है। यह संगठन दुनियाभर के विभिन्न देशों के प्रवासी भारतीयों के लिए भी प्रेरणादायी बन गया है।इस संगठन का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा भारत के बढ़ाए गए गौरव और प्रवासी भारतीयों के लिए किए गए विशेष प्रयासों से भारतवंशियों तथा प्रवासियों का भारत के लिए सहयोग और स्नेह लगातार बढ़ा है।
ऐसे में अब भारत के तेज विकास और भारत को विकसित देश बनाने के लक्ष्य को पूरा करने के मद्देनजर भारतवंशियों व प्रवासियों द्वारा तन-मन धन से आगे सहयोग करने के संकल्प के अभियान को ‘इंडियास्पोरा’ द्वारा दुनियाभर में आगे बढ़ाया जा रहा है। पिछले वर्ष 2023 में भारत की अध्यक्षता में आयोजित जी-20 को अभूतपूर्व सफलता दिलाने में प्रवासी भारतीयों की भी अहम भूमिका रही है।
इसमें कोई दो मत नहीं है कि आज दुनिया के हर बड़े मंच पर भारत की आवाज सुनी जाती है। हम उम्मीद करें कि प्रवासी भारतीय अपने ज्ञान व कौशल की शक्ति से भारतीय अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने, वर्ष 2027 तक भारतीय अर्थव्यवस्था को दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने और वर्ष 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने की डगर पर तेजी से आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाते हुए दिखाई दे सकेंगे।