मुंबई : 8 नवबंर को देश में नोटबंदी की घोषणा के बाद कुल करेंसी की 80 प्रतिशत से ज्यादा रद्दी हो गया है। एक अनुमान के मुकाबिक 1000 और 500 के नोटों में कुल करेंसी का 80 फीसदी से ज्यादा बाजार में था, जिसे बदलने के लिए अब लोग लंबी लाइनों में खड़े हैं।
आरबीआई के मुताबिक नोटबंदी के की घोषणा के बाद से 10 से 27 नवंबर के बीच लोगों ने पांच सौ और एक हजार रुपए के नोट के रूप में आठ लाख 44 हजार 982 करोड़ रुपए जमा कराए हैं, या नई करेंसी से बदले हैं।
देश भर में नोटबंदी के बाद जिस तरह से बैंकों के पास पुराने नोट आ रहे हैं, उससे आरबीआई के सामने भी ये चुनौती है कि उन नोटों को अब नष्ट कैसे किया जाए।
2001 तक पुराने और बेकार हो चुके करेंसी नोटों को जला दिया जाता था लेकिन अब आरबीआई ने कुछ नए तरीके अपनाएं हैं। आरबीआई की कुछ शाखाओं में इन नोटों के छोटे-छोटे टुकड़े (कतरन) किए जा रहे हैं, जिन्हें रीसाइकल कर दिया जाएगा।
पुराने नोटों को मुंबई, बेलापुर और नागपुर में रिसाइकिल किया जाएगा। आरबीआई के एक अधिकारी के मुताबिक, 70 से 80 हजार पुराने नोटों के बैग तो अकेले मुंबई सेंटर पर ही भेजे जा चुके हैं।
आरबीआई अधिकारियों के मुताबिक, पुराने नोटों को रिसाइकल और नष्ट करन में लंबा वक्त लगेगा, हालांकि ये काम 14 नवंबर को ही शुरू हो चुका है।
जापान और जर्मनी से आई हैं मशीनें
आरबीआई ने जापान और जर्मनी से पुराने नोटों को नष्ट करन के लिए मशाने मंगाई हैं। ये मशीनें एक घंटे में ढाई लाख नोटों (ना कि रुपयों की) की छोटी-छोती कतरन कर देंगीं। इसके बावजूद आरबीआई अधिकारियों का कहना है कि हमें दोगुना काम करना होगा।
आरबीआई कुल जमा नोटों में से 70 से 80 फीसदी नोटों को छोटी-छोटी कतरनों में बदलकर रिसाइकिल करना चाहता है। आरबीआई के अधिकारियों का कहना है कि पुराने नोट तो हमेशा ही बैंक के पास आते रहते हैं लेकिन इतनी बड़ी संख्या में पहली बार नोटों को रिसाइकल करना है।