भारत के खिलाफ माहौल बनाकर राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठे मोहम्मद मुइज्जू का तेवर अचानक ठंडा पड़ गया है। भारतीय सैनिकों को मालदीव से बाहर निकालने की कसम खा चुके मुइज्जू अब भारत से यह अनुरोध कर रहे हैं कि वो उनका कर्जा लौटाने की तारीख को आगे बढ़ा दे।
मुइज्जू ने कहा है कि भारत उनके देश का “निकटतम सहयोगी” बना रहेगा। इसके साथ ही राष्ट्रपति ने नई दिल्ली से मालदीव को ऋण राहत प्रदान करने का आग्रह किया है। आपको बता दें कि मालदीव पर भारत का लगभग 400.9 मिलियन डॉलर कर्ज है।
राष्ट्रपति बनने के बाद गुरुवार को स्थानीय मीडिया के साथ अपने पहले साक्षात्कार में मुइज्जू ने कहा कि भारत मालदीव को सहायता प्रदान करने में सहायक रहा है और उसने सबसे ज्यादा परियोजनाओं को लागू किया।
द एडीशन को दिए गए साक्षात्कार में मुइज्जू ने कहा कि देश में विभिन्न विकासात्मक परियोजनाएं फिर से शुरू की जा रही हैं, और पिछले कुछ महीनों में मालदीव की अर्थव्यवस्था में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है।
राष्ट्रपति ने खुलासा किया कि पिछली सरकार द्वारा शुरू की गई कुछ परियोजनाएं धन उपलब्ध कराने में देरी के कारण रुक गई थीं। उन्होंने कहा कि वे परियोजनाएं बाधित हो गई थीं क्योंकि 17 नवंबर, 2023 को उनके प्रशासन के कार्यभार संभालने के समय तक उनका भुगतान नहीं किया गया था।
राष्ट्रपति डॉ. मुइज्जू ने कहा कि ऋण मुद्रीकरण या सार्वजनिक खाता ओवरड्राफ्ट के माध्यम से पैसे की छपाई को पूरी तरह से रोकना और फिर भी विदेशी ऋणों का समय पर पुनर्भुगतान सुनिश्चित करना एक बहुत बड़ी आर्थिक चुनौती है। उन्होंने पुष्टि की कि उन्होंने मुद्रा छापने की प्रथा को समाप्त कर दिया है क्योंकि इससे अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
राष्ट्रपति डॉ. मुइज्जू ने कहा कि जब पूर्व राष्ट्रपति यामीन ने अपना कार्यकाल समाप्त किया और राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ने राष्ट्रपति पद संभाला, तो मालदीव की अर्थव्यवस्था काफी मजबूत थी। परिणामस्वरूप, तब सत्ता में आई नई सरकार परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाने में सक्षम हुई।
राष्ट्रपति ने कहा, “दूसरी ओर, इस बार जब हम सत्ता में आए, तो अर्थव्यवस्था पूरी तरह से नष्ट हो गई थी। आंतरिक और बाह्य रूप से अरबों रुपये का कर्ज बकाया था। इसलिए, ये पूरी तरह से अलग परिस्थितियां हैं।”