हरियाणा की सियासत में मंगलवार को बड़ा बदलाव देखने को मिला है। मनोहर लाल खट्टर ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया है। भाजपा विधायक दल की बैठक में नायब सिंह सैनी को विधायक दल का नेता चुने गया।
सैनी अब राज्य के नए मुख्यमंत्री होंगे। सैनी को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने राज्य में पंजाबी और पिछड़ा वोट बैंक पर पकड़ मजबूत की है। जबकि पार्टी को इसका दूसरा लाभ उत्तर प्रदेश के चुनावों में भी मिल सकता है।
यूपी में पिछड़ों का अच्छा खासा वोट बैंक हैं। सपा पीडीए (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक) की सियासत के साथ आगे बढ़ रही है। इस दिशा में भाजपा का ये बड़ा दांव माना जा रहा है। हाल ही में मध्यप्रदेश के सीएम डॉ. मोहन यादव ने उत्तर प्रदेश के यादव समुदाय और पिछड़ों के साथ तालमेल बढ़ाना शुरू किया है।
नायब सिंह सैनी को राज्य के पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर का करीबी माना जाता है। साल 2019 में भाजपा ने उन्हें कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा और वह संसद पहुंचे। भाजपा ने सैनी को 2023 में प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी थी। ज्यादातर कार्यक्रमों में खट्टर के साथ देखे जाते हैं।
सैनी ओबीसी समुदाय से आने वाले भाजपा के प्रमुख नेता हैं। सैनी संघ की पृष्ठभूमि से आते हैं। साल 1996 में सैनी को राज्य में भाजपा संगठन की जिम्मेदारी दी गई थी। इसके बाद 2002 में उन्हें भाजयुमो का जिला महामंत्री बनाया गया। 2012 में सैनी को अंबाला भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद सैनी का प्रमोशन होता गया। वह 2014 में नारायणगढ़ से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। साल 2016 में सैनी को खट्टर सरकार में राज्य मंत्री भी बनाया गया था।
लोकसभा में सीट शेयरिंग को लेकर टूटा गठबंधन
दरअसल, जजपा लोकसभा चुनाव में हरियाणा में 1 से 2 सीटें मांग रही थी, जबकि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व और राज्य संगठन सभी 10 सीटों पर खुद लड़ने के पक्ष में है। यही गठबंधन टूटने की वजह बनी। जजपा के राष्ट्रीय महासचिव और हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला सोमवार को दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिले थे, लेकिन सीट शेयरिंग पर बात नहीं बनी।