किसान आंदोलन के मद्देनजर गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक एडवाइजरी पर पंजाब सरकार ने प्रतिक्रिया दी है। पंजाब सरकार ने कहा कि यह कहना पूरी तरह से गलत है कि राज्य प्रदर्शनकारियों को सीमाओं पर इकट्ठा होने की इजाजत दे रही है।
इसमें दावा किया गया है कि हरियाणा पुलिस द्वारा आंसू गैस के गोले, रबर की गोलियां, ड्रोन और शारीरिक बल के इस्तेमाल के कारण 160 से अधिक लोगों के घायल होने के बावजूद, पंजाब सरकार ने जिम्मेदारी के साथ कानून और व्यवस्था की स्थिति बनाए रखी है।
दरअसल, बुधवार को किसानों के दिल्ली चलो मार्च फिर से शुरू होने से पहले 1200 ट्रैक्टर-ट्रॉलियों और अन्य वाहनों के साथ पंजाब-हरियाणा सीमा पर 14000 से ज्यादा लोगों के जमा हुए। जिसपर गृह मंत्रालय (एमएचए) ने बिगड़ती स्थिति का हवाला देते हुए चिंता जताई। साथ ही पंजाब और हरियाणा सरकार को एडवाइजरी जारी की है। क्या कहा गया था एडवाइजरी में ?
गृह मंत्रालय ने पंजाब और हरियाणा की सरकारों से हर परिस्थिति में कानून व्यवस्था बनाए रखने को कहा है। दोनों राज्यों को यह भी कहा है केंद्र सरकार कानून व्यवस्था कायम करने की स्थिति में हर तरीके के सहयोग देने के लिए तैयार है। किसान आंदोलन को देखते हुए गृह मंत्रालय हर एक घटना पर नजर बनाया हुआ है।
‘कानून व्यवस्था की स्थिति कायम’
वहीं, पंजाब के मुख्य सचिव अनुराग वर्मा द्वारा बुधवार को लिखे गए पत्र में, राज्य सरकार ने कहा है कि उसे पिछले दिन पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा पारित आदेश नहीं मिले हैं, जिसमें किसानों से ट्रैक्टर-ट्रॉलियों का उपयोग रास्ते में नहीं करने के लिए कहा गया था। आदेश को अदालत की वेबसाइट पर भी अपलोड नहीं किया गया है। वर्मा ने बताया कि किसान विरोध प्रदर्शन करने के लिए दिल्ली जा रहे थे और आंदोलन पर प्रतिबंध के कारण उन्हें पंजाब और हरियाणा की सीमा पर रोक दिया गया। पत्र में कहा गया कि हरियाणा पुलिस द्वारा इस्तेमाल किए गए आंसू गैस के गोले, रबर की गोलियों, शारीरिक बल और ड्रोन से अब तक 160 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं। उसके बाद भी, पंजाब सरकार ने जिम्मेदारी के साथ कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रखी है।