यूपी सरकार ने किसानों के आंदोलन और लोकसभा चुनाव को देखते हुए यूपी में किसी भी तरह की हड़ताल पर छह माह के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। हड़ताली कर्मचारियों के खिलाफ एस्मा के तहत कार्रवाई की जाएगी और उन्हें बिना वारंट के गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
अपर मुख्य सचिव डा. देवेश चतुर्वेदी ने इस संबंध में शुक्रवार को अधिसूचना जारी कर दी है। अधिसूचना में कहा गया है कि राज्य सरकार ने लोक हित में यह फैसला किया है। उत्तर प्रदेश अत्यावश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम-1966 की धारा तीन के तहत यह फैसला किया गया है। इस दौरान सरकारी विभागों, अर्द्धसरकारी विभागों, निगमों और प्राधिकरणों में हड़ताल करना पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा। एस्मा के रूप में सरकार के पास एक ऐसा हथियार है, जिससे वह जब चाहे कर्मचारियों के आंदोलन रोक सकती है। विशेष कर हड़तालों पर प्रतिबंध लगा सकती है और बिना वारंट के कर्मचारी नेताओं को गिरफ्तार कर सकती है। एस्मा लागू होने के बाद यदि कर्मचारी हड़ताल में शामिल होता है तो यह अवैध एवं दंडनीय माना जाता है। बता दें कि यूपी सरकार पहले भी इसी तरह का फैसला दे चुकी है।
बिजली कर्मचारियों की हड़ताल के चलते जुलाई 2023 में लगाई थी पाबंदी
योगी सरकार ने पिछले साल जुलाई में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल को देखते हुए हड़ताल और प्रदर्शन पर रोक लगा दी थी। शासन की ओर से जारी आदेश में कहा गया था कि उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन सहित सभी बिजली कंपनियों में उत्तर प्रदेश आवश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम 1966 (एस्मा) के अधीन मिली शक्तियों का प्रयोग करते हुए छह माह की अवधि के लिए हड़ताल प्रतिबंधित कर दिया है। अपर मुख्य सचिव ऊर्जा महेश कुमार गुप्ता की तरफ से एस्मा लगाए जाने का आदेश भी जारी हुआ था। अधिसूचना के साथ ही पांच जुलाई से एस्मा को प्रभावी कर दिया गया था।
यूपी सरकार उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन, राज्य विद्युत उत्पादन निगम, उत्तर प्रदेश दल विद्युत निगम, पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन, केस्को कानपुर, मध्यांचल विद्युत वितरण निगम, पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम, दक्षिणांचल विद्युत वितरम निगम तथा पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में छह महीने के लिए हड़ताल पर जाने वाले कर्मचारियों के खिलाफ एस्मा के तहत कार्रवाई का अभी आदेश दिया था।