रालोद यानी राष्ट्रीय लोकदल के पास जाटों का और सपा के पास मुस्लिमों का बड़ा वोट बैंक है। दोनों एक साथ चुनाव लड़ते हैं तो इन्हें इन दोनों के अलावा अन्य जातियों के भी वोट मिल जाते हैं, इससे सीट निकल जाती है। 2019 के लोकसभा चुनाव में रालोद, सपा और बसपा मिलकर चुनाव लड़े थे। बसपा ने 3 सीटें जीती थीं। रालोद एक भी सीट नहीं जीती। हलांकि, रालोद के 9 विधायक हैं। विधानसभा चुनाव में सपा और रालोद मिलकर चुनाव लड़े थे। इन्हें इसका भी फायदा मिला था।
सपा ने जयंत चौधरी को राज्यसभा भेजा
मुरादाबाद के वरिष्ठ पत्रकार विशाल शुक्ला का कहना है कि सपा ने राज्यसभा में भी रालोद मुखिया जयंत चौधरी को भेजा है। अब रालोद की भाजपा से गठबंधन की चर्चाओं से समाजवादी पार्टी खेमे में भी बेचैनी है। 19 जनवरी को सपा और रालोद का गठबंधन हो चुका है। कैराना, बिजनौर और मुजफ्फरनगर सीट को लेकर रालोद सपा से नाराज है।
भाजपा पश्चिमी यूपी में रालोद के साथ गठबंधन करना चाहती है
विशाल शुक्ला ने आगे बताया कि मिशन 80 को लेकर आगे बढ़ाने के लिए पश्चिमी यूपी में रालोद के साथ गठबंधन करना चाहती है। कहा जा रहा है गठबंधन को एक दो दिन में स्थिति साफ हो सकती है। अगर गठबंधन हुआ तो जल्द ही इसकी सार्वजनिक घोषणा हो जाएगी।