झारखंड में सियासत बीते कई दिनों से चरम पर है. हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद बीते दो दिनों से राजनीतिक अनिश्चितता का माहौल देखा जा रहा था. जेएमएम विधायक दल के नेता चंपई सोरेन ने शुक्रवार को झारखंड के सीएम के रूप में शपथ ली है. गठबंधन सरकार को पांच फरवरी तक साबित करने का समय दिया गया है. चंपई सोरेन के साथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आलमगीर आलम और आरजेडी नेता सत्यानंद भोक्ता ने भी मंत्री पद की शपथ ले ली है. मगर इस बीच शपथ ग्रहण के तुरंत बाद सत्तारूढ़ गठबंधन के 38 विधायकों को हैदराबाद भेज दिया गया है. ऐसे में शाम होते-होते जेएमएम में असंतोष के स्वर दिखाई दे रहे हैं.
हेम्ब्रम ने खुलकर बगावती सुर अपना लिया है
जेएमएम विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने खुलकर बगावती सुर अपना लिया है. उन्होंने कहा कि शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन संथाल परगना से विजय हुए थे और सीएम बने. मगर आज ये देखने को मिल रहा है कि कोल्हान से जीते हुए चंपई सोरेन को सीएम बनाया जा रहा है. संथान परगना के आदिवासी नेता नहीं हैं? खुशी की बात होती कि संथाल से कोई सीएम होता. मगर इन्होंने दुखी किया.
लोबिन हेम्ब्रम ने सत्यानंद भोक्ता को मंत्री बनने पर विरोध किया. उन्होंने कहा कि बाहर के लोग जेएमएम पर अपना कब्जा जमा रहे हैं. उन्होंने अपनी पार्टी के विधायक मिथलेश ठाकुर का भी विरोध किया है.
बोरियो के विधायक लोबिन हेंब्रम ने जेएमएम से नाता तोड़ने का ऐलान किया है. लोबिन के अनुसार, जेएमएम बाहरी नेताओं का कब्जा बना हुआ है. मीडिया से बात करते हुए, उन्होंने कहा कि संथाल परगना के किसी विधायक को सीएम क्यों नहीं बनाया गया. कोल्हान के चंपाई सोरेन को सीएम किस लिए चुना गया?
चंपई सोरेन की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार ने मंत्रीमंडल की पहली बैठक में सोमवार को विश्वास मत हासिल करने का निर्णय लिया है. सत्तारूढ़ गठबंधन के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, विधायकों को कांग्रेस शासित तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में भेजने का निर्णय लिया गया है. इसकी वजह है कि विपक्षी दल भाजपा हॉस ट्रेडिंग का प्रयास कर सकती है. अब तक 38 विधायक हैदराबाद में हैं. झारखंड में कुछ रुके हुए हैं.