पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी को 14 साल जेल की सज़ा सुनाई गई है.
एक दिन पहले ही सरकारी गोपनीय दस्तावेज़ लीक करने के मामले में इमरान ख़ान को 10 साल की सज़ा सुनाई गई थी.
वर्ष 2022 में इमरान ख़ान ने संसद में बहुमत गँवा दिया था और उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा था.
इमरान ख़ान पहले से ही भ्रष्टाचार के एक अन्य मामले में तीन साल की सज़ा काट रहे हैं.
बुधवार को सुनाई गई सज़ा भी भ्रष्टाचार के एक मामले में है. पूर्व पीएम और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ पार्टी के संस्थापक इमरान ख़ान का आरोप है कि उनके ख़िलाफ़ मामले राजनीति से प्रेरित हैं.
पाकिस्तान में आठ फ़रवरी को आम चुनाव होने हैं. इमरान ख़ान पाबंदी के कारण ये चुनाव नहीं लड़ सकते हैं.
इमरान ख़ान को पिछले साल अगस्त में गिरफ़्तार किया गया था, तब से वह जेल में ही हैं.
उनकी पत्नी बुशरा बीबी ने बुधवार के फ़ैसले के बाद कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया है.
इमरान ने वर्ष 2018 में बुशरा बीबी के साथ निकाह किया था.
इमरान ख़ान और उनकी पत्नी पर आरोप है कि उन्होंने सरकारी उपहारों को निजी फ़ायदे के लिए ग़ैर क़ानूनी तरीक़े से बेचा.
बुधवार को इमरान ख़ान की पार्टी पीटीआई का कहना है कि ताज़ा सज़ा का मतलब ये है कि इमरान अगले 10 साल तक कोई भी सार्वजनिक पद के लिए अयोग्य हो गए हैं.
पार्टी ने इस फ़ैसले को पाकिस्तान के न्यायिक इतिहास का एक और दुखद दिन कहा है. पीटीआई का कहना है कि वे अदालत के इस फ़ैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देंगे.
मंगलवार को इमरान ने भी कोर्ट के फ़ैसले को फ़र्जी कहा था.
इमरान ख़ान ने लोगों से अपील की थी कि वे आठ फरवरी के मतदान में राजनीतिक रूप से और शांतिपूर्ण तरीक़े से इसका बदला लें.
भारत पर क्या होगा असर?
पाकिस्तान में भारत के पूर्व डिप्लोमैट मानते हैं कि इमरान ख़ान को जानबूझकर फँसाया जा रहा है लेकिन इसी व्यवस्था के तहत उन्हें पहले के चुनावों में फ़ायदा भी मिला था. तब पीएमएल(एन) चीफ़ और पाकिस्तान के तीन बार प्रधानमंत्री रहे नवाज़ शरीफ़ को सेना ने निशाने पर लिया था.
जुलाई, 2018 में चुनाव से दो हफ़्ते पहले नवाज़ शरीफ़ को भ्रष्टाचार के मामले में दोषी ठहराया गया था और 10 साल की क़ैद की सज़ा मिली थी. पनामा पेपर्स मामले में नवाज़ शरीफ़ को पाकिस्तान में चुनाव लड़ने से रोक दिया गया था.
पाकिस्तान में 2013 से 2015 तक भारत के उच्चायुक्त रहे टीसीए राघवन ने अंग्रेज़ी अख़बार द हिन्दू से कहा, ”इमरान ख़ान और उनकी पार्टी पीटीआई के साथ जो हो रहा है, वही नवाज़ शरीफ़ और पीएमएल-एन के साथ अतीत में हुआ था. पाकिस्तान में भारत इसे एक और चुनाव से ज़्यादा कुछ नहीं देखेगा. हमें पूरी तस्वीर देखने के लिए थोड़ा इंतज़ार करना होगा.”
2009 से 2013 तक पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त रहे शरत सभरवाल ने द हिन्दू से कहा, ”इमरान ख़ान को दोषी ठहराकर सज़ा देना चौंकाता नहीं है. 2018 में पाकिस्तान के चुनाव को जैसे मैनेज किया गया था, यह उसी का प्रतिबिंब है.”
”2018 में सेना इमरान ख़ान के साथ खड़ी थी और अभी उनके ख़िलाफ़ है. अंतर इतना ही है. 2017-18 में जिस तरह से नवाज़ शरीफ़ की सज़ा पर सवाल उठ रहे थे, उसी तरह इमरान ख़ान की सज़ा भी निष्पक्ष नहीं है. मैनेज किए गए चुनाव से पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता का संकट ख़त्म नहीं होगा और न ही आर्थिक संकट.”
अगले हफ़्ते पकिस्तान का चुनावी नतीजा आएगा. शरत सभरवाल से हिन्दू ने पूछा कि पाकिस्तान के चुनावी नतीजे का असर भारत पर क्या पड़ेगा?
इसके जवाब में उन्होंने कहा, ”दोनों देशों के बीच व्यापार फिर से शुरू हो सकता है. लेकिन दोनों देशों के बीच संबंध किस करवट बैठेगा, यह सेना पर ही निर्भर करेगा.”