Boycott Maldives And Pm Modis Visit Lakshadweep : भारतीय वायुसेना लक्षद्वीप द्वीप समूह के मिनिकॉय द्वीप पर फारवर्ड फाइटर एयरबेस बनाने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए वायु सेना ने प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय को भेज दिया है। मिनिकॉय द्वीप समूह के पास भारतीय नौसेना की एक टुकड़ी तैनात है। यहां फाइटर बेस बनने से समुद्री मार्गों की सुरक्षा के साथ रणनीति रूप से अरब सागर क्षेत्र में वर्चस्व स्थापित होगा।
भारतीय वायुसेना का फारवर्ड फाइटर एयरबेस बनाना पूर्व चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत की रणनीति का हिस्सा है। जनरल रावत मलक्का क्षेत्र में भारत का वर्चस्व चाहते थे और इसके लिए उन्होंने बंगाल की खाड़ी में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के वायु सेना और नौ सेना के अड्डों को अपग्रेड करने की तैयारी की थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप समूह की यात्रा के बाद पूरे विश्व में यह जगह चर्चा के केंद्र में आ गया है। लक्षद्वीप के मिनिकॉय द्वीप पर भारतीय वायुसेना फाइटर एयरबेस बनाने की तैयारी कर रहा है। भारत यह कदम अरब सागर क्षेत्र में अपना दबादबा बढ़ाने के लिए कर रहा है।
यहां है मिनिकॉय द्वीप
मिनिकॉय द्वीप लक्षद्वीप का सबसे दक्षिणी द्वीप है। कोच्चि के दक्षिण-पश्चिम में यह 398 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह द्वीप 4.80 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यह सबसे व्यस्त जहाजी मार्ग 90 चैनल के पास स्थित है। यह मालदीव के सबसे उत्तरी द्वीप से महज 130 किलोमीटर दूर है। यहां पश्चिमी किनारे पर बड़ा लैगून है।
सबसे प्रमुख जलमार्ग है मिनिकॉय द्वीप
सुहेली पार द्वीप और मिनिकॉय के बीच 200 किलोमीटर चौड़ा नौ-डिग्री चैनल है। इसके माध्यम से ही यूरोप, मध्यपूर्व, दक्षिणपूर्व एशिया और उत्तरी एशिया के जहाज परिवहन हो रहा है। यह श्रीलंका और दक्षिण हिंद महासागर सहित मलक्का जलडमरूस्थल मध्य की तरफ जाने के लिए बहुत ही प्रमुख समुद्री मार्ग है। स्वेज नहर और फारस की खाड़ी जाने वाले जहाजों को भी यहीं से होकर गुजरना होता है।
वायुसेना बदल देगी द्वीप का नक्शा
पहले यहां भारतीय तटरक्षक बल एयरफील्ड बनाने की तैयारी की थी। अब यहां भारतीय वायु सेना हवाईक्षेत्र बनाएगी। हवाईअडडा बनने के बाद क्षेत्रीय पर्यटन सहित रक्षाबलों की निगरानी क्षमता बढ़ जाएगी। चीन और पाकिस्तान की जहरीली नजरों पर नजर रखी जा सकेगी।
सुरक्षा प्रदान करेगा हवाईअडडा
मिनिकॉय द्वीप पर बनाया जाने वाला यह फाइटर बेस दुश्मनों से निपटने में मदद करेगा। इसके साथ ही भारत को 7500 किमी लंबी भारतीय तटरेखा को बाहरी खतरे से बचाने में मदद करेगा। अरब सागर और हिंद महासागर की सुरक्षा व्यवस्था को भी बेहतर बनाएगा। भारतीय सशस्त्र बलों की पहुंच और वर्चस्व हिंद महासागर में और हो जाएगी।