नई सरकार के गठन के साथ ही मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने साफ कर दिया है कि पूर्ववर्ती सरकार की जनहित की कोई योजना बंद नहीं की जाएगी। मगर कुछ ऐसी योजनाएं जिनक पूर्ववर्ती सरकार ने नाम बदल दिया था, उनके नाम बदलने की अंदरखाने तैयारी शुरू हो गई है। ऐसी ही एक योजना हैं इंदिरा रसोई योजना।पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय इस योजना का नाम अन्नपूर्णा रसोई था, जिसे गहलोत सरकार ने बदलकर इंदिरा रसोई योजना कर दिया था। कांग्रेस सरकार के समय योजना का जबर्दस्त विस्तार भी हुआ और रसोई की संख्या एक हजार तक पहुंच गई। मगर अब प्रदेश में भाजपा की सरकार बन गई है। ऐसे में चर्चा है कि रसोई का नाम बदलकर दोबारा अन्नपूर्णा रसोई किया जा सकता है। गौरतलब है कि गहलोत सरकार ने 2020 में 213 निकायों में 358 रसोई के साथ येाजना को शुरू किया था। अब योजना में रसोई की संख्या 1 हजार पहुंच गई है। कोरोना काल में करीब 72 लाख लोगों को योजना के तहत भोजन निशुल्क भोजन कराया गया था।
अब तक 19 करोड़ को कराया भोजन
इन रसोई के तहत अब तक पूरे प्रदेशभर में 19 करोड़ लोगों को भोजन कराया जा चुका है। रोजाना 2.45 लाख लोगों को आठ रुपए में भोजन कराया जा रहा है। करीब 550 से अधिक संस्था व एनजीओ के माध्यम से योजना का संचालन किया जा रहा है। रसोई संचालकों को सरकार की ओर से प्रति थाली 17 रुपए का अनुदान दिया जा रहा है। सुबह 8.30 से 3 और रात को 5 से 9 बजे तक रसोई के जरिए भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है।
ग्रामीण में एक हजार रसोई खोलने का लक्ष्य
गहलोत सरकार के आखिरी बजट में ग्रामीण क्षेत्रों में एक हजार इंदिरा रसोई खोलने का लक्ष्य रखा गया था। नोडल एजेंसी डीएलबी को बनाया गया। कुछ जगहों पर रसोई खोली गई तो कई जगहों पर स्थान चिन्हित किया गया। लेकिन सरकार बदलने के बाद फिलहाल काम अटका पड़ा है।
फैक्ट फाइल
—20 अगस्त, 2020 को शुरू की गई थी योजना
—प्रदेश के शहरों में चल रही एक हजार रसोई
—रोजाना 2.45 लाख लोगों को कराया जा रहा है दो समय का भोजन
—8 रुपए है भोजन की दर, सरकार दे रही 17 रुपए प्रति थाली अनुदान
—कोरोना काल में 72 लाख लोगों को कराया निशुल्क भोजन