चंडीगढ़ : हरियाणा विधानसभा में मंगलवार को प्रदेश में लावारिश पशुओं की समस्या को लेकर इनेलो विधायकों ने सरकार पर तीखे हमले किए। इनेलो विधायक जसविंदर संधू, परमेंद्र ढुल, नैना चौटाला, डॉ. हरिचंद मिड्ढा, जाकिर हुसैन व रणबीर गंगवा सहित पार्टी के 15 विधायकों ने प्रदेश में लावारिश पशुओं से आए दिन होने वाली दुर्घटनाओं, लोगों को होने वाले जानमाल के नुकसान के साथ-साथ किसानों की फसलें बर्बाद करने का मुद्दा उठाते हुए सरकार से इस मामले में ठोस कदम उठाए जाने की मांग की। नेता प्रतिपक्ष चौधरी अभय सिंह चौटाला ने कहा कि सरकार ने करीब एक साल पहले हरियाणा गौ वंश संरक्षण एवं गौ संवर्धन कानून बनाया था लेकिन उसके बाद अभी तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया और अब यह मामला लोगों के लिए बेहद परेशानी का हो गया है।
सरकार ने प्रदेश में 40 गौ अभ्यारण बनाए जाने का भी भरोसा दिलाया था लेकिन अभी तक प्रदेश में एक भी नहीं बना। इनेलो नेता ने कहा कि सरकार मानती है कि वर्ष 2012 की पशु गणना के अनुसार प्रदेश में एक लाख 17 हजार बेसहारा पशु हैं। लेकिन ताजा आंकड़े अगर एकत्रित किए जाएं तो वास्तविक संख्या इससे कहीं ज्यादा होगी। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि कानून बदलने के बाद भी उसमें कही हुई बातों पर अमल नहीं हुआ। पिछली सरकार के समय हाईकोर्ट का एक फैसला आया था कि सरकार प्रदेश की सभी पंजीकृत गऊशालाओं को 15 रुपए प्रति गौ रोजाना के हिसाब से अदा करेगी लेकिन कांग्रेस सरकार उस फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में चली गई। उस मामले को मौजूदा सरकार ने अभी तक वापिस नहीं लिया। इनेलो नेता ने कहा कि बाजार में खुले घूमते लावारिश पशु पॉलिथीन खाते हैं और इलाज के अभाव में दम तोड़ देेते हैं। उन्होंने सरकार द्वारा रखे गए बजट को नाकाफी बताते हुए सरकार से यह भी पूछा कि क्या सरकार प्रदेश की पंजीकृत गौशालाओं की गऊओं को अदालती आदेशानुसार 15 रुपए रोजाना अदा करेगी और लावारिश पशुओं के लिए सरकार क्या कदम उठाएगी?
चर्चा में भाग लेते हुए इनेलो विधायक नैना चौटाला ने कहा कि हमारी परम्पराओं में गौ को माता का दर्जा दिया गया है और घर में खाना बनाते वक्त पहली रोटी गाय की निकाली जाती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्रत्येक गाय व गौवंश की मार्किंग होनी चाहिए और उनकी पीठ अथवा कान में कोई ऐसी नम्बरिंग लगाई जानी चाहिए ताकि अगर कोई गौशाला वाले उसे बाहर निकालें तो उसे वापिस वहीं छोड़ा जा सके। उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले तक अलग-अलग गांव में सांड की पीठ पर मार्र्किंग का निशान होता था और अगर कोई सांड एक गांव से दूसरे गांव चला जाता तो उसे वापिस उसी गांव में छोड़ दिया जाता था। उन्होंने कहा कि अब बेसहारा पशुओं को पकडक़र ले जाने और उसे छोडक़र आने के नाम पर लोगों ने कारोबार बना रखा है। नैना चौटाला ने कहा कि अगर सभी गौवंश पर मार्किंग हो जाएगी तो उसे छोडऩे वाली गौशालाओं पर जुर्माना लगाने व उनका अनुदान बंद करने का भी प्रावधान किया जा सकता है। उन्होंने गौ संरक्षण के लिए उचित अनुदान दिए जाने की भी वकालत करते हुए सदन के वरिष्ठ सदस्यों से कहा कि वे पहली बार चुनकर आए विधायकों को भी बोलने का अवसर दें न कि आपसी वाद-विवाद में सदन का समय बेवजह गंवाया जाए।
चर्चा में इनेलो विधायक परमेंद्र ढुल, नसीम अहमद, जाकिर हुसैन, प्रो. रविंद्र बलियाला, केहर सिंह रावत, राजदीप फोगाट, अनूप धानक, पिरथी सिंह नम्बरदार, डॉ. हरिंचंद मिड्ढा, रणबीर गंगवा, रामचंद कम्बोज, मक्खन लाल सिंगला, ओमप्रकाश गोरा सहित अनेक इनेलो विधायकों ने हिस्सा लिया और बेसहारा पशुओं को लेकर लोगों को आ रही परेशानी का उल्लेख करते हुए सरकार से तुरंत समाधान किए जाने की मांग की। इनेलो विधायकों द्वारा उठाए गए मुद्दों का चर्चा में जवाब देते हुए कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ ने कहा कि वे नैना चौटाला के सुझाव से सहमत हैं और वे चाहेंगे कि प्रदेश के सभी पशुओं के लिए एक उनका पहचान मार्क तैयार किया जाए ताकि जिससे पता चल सके कि ये पशु किस मालिक अथवा गौशाला का है और उनके लिए कोई यूनिक आईडी सिस्टम तैयार किया जा सके। उन्होंने कहा कि बेसहारा पशुओं के गलों में चमकने वाले रंगों के रिफलेक्टर लगाने, आर्थिक तौर पर कमजोर गौशालाओं की वित्तीय मदद करने, घर में गौ पालने के लिए गाय की खरीद पर सब्सिडी देने औ गौशालाओं में ढांचागत विकास के लिए आर्थिक मदद देने पर भी सरकार के विचाराधीन है।
उन्होंने कहा कि जिन गांवों में गौचरान भूमि उपलब्ध है उन पर गौशाला के लिए चारे की व्यवस्था करने और जहां कहीं गौचरान भूमि पर अतिक्रमण हुआ है उसे छुड़वाले के लिए भी सरकार हर सम्भव प्रयास करेगी। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार ने 22 हजार सांडों को नसबंदी करके उन्हें बैल बनाने का काम किया है और मानसून सत्र के बाद सरकार तेजी से इस दिशा में अभियान चलाएगी। उन्होंने अदालती आदेश के अनुसार 15 रुपए प्रति गाय रोजाना पंजीकृत गौशालाओं को दिए जाने में असमर्थता जाहिर करते हुए कहा कि सरकार इस बारे में आर्थिक तौर पर इतना बोझ उठाने की स्थिति में नहीं है। उन्होंने कहा कि ताजी गणना के आंकड़े अगले साल ही आ पाएंगे और अमेरिकी विश्वविद्यालय के सहयोग से वे उस तकनीक पर भी काम करने के लिए प्रयासरत हैं जिससे गाय के बछड़ी पैदा हो और उन्हें बेसहारा छोडऩे की नौबत न आए। उन्होंने ये भी भरोसा दिलाया कि इस साल पानीपत, हिसार और यमुनानगर में गौ अभ्यारण स्थापित किए जा रहे हैं और अगले सालों में कुछ और जिलों में भी गौ अभ्यारण स्थापित किए जाएंगे।