चंडीगढ़। हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र का दूसरा दिन
कांग्रेस विधायक गीता भुक्कल का बयान।
जींद यौन शोषण का मसाला उन्होंने सदन के पहले दिन जीरो अवर में उठाया था।
तब उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कुछ गलत आरोप लगाए थे।
मैंने स्पीकर और मुख्यमंत्री को सदन में बता दिया कि 2005 में आरोपी शिक्षा मंत्री सरकारी जॉब में नहीं था।
आज सदन में उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला अपने वक्तव्य से पीछे हट गए। उन्होंने अपने तथ्यों में सुधार किया।
विपक्ष चाहता है कि सरकार इस पूरे मामले की जांच एक कमेटी बनवाकर किया जाए।
स्पीकर महोदय ने मेरे द्वारा कहे गए शब्दों को कार्यवाही से निकाल दिया। जबकि दुष्यंत चौटाला द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्दों को नहीं निकला।
स्पीकर महोदय को पक्षपात नहीं करना चाहिए।
विपक्ष जहरीली शराब से हुई मौतें, संदीप सिंह छेड़छाड़ मसाला आदि घोटाले की जांच सिटिंग जज से चाहते हैं। लेकिन सरकार इन पर हामी ही नहीं भरती।
विपक्ष उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के खिलाफ झूठी स्टेटमेंट सदन में देने को लेकर प्रिविलेज प्रस्ताव लेकर आएगा।
विपक्ष का फर्ज बनता है कि वह जिले की पीड़ित बेटियों को न्याय दिलवाई।
मैं अभी भी दूसरे चौटाला को बंदा बना दूंगी, क्योंकि उन्होंने मेरे ऊपर झूठा आरोप लगाया है।
मैं 19 साल से विधायक हूं मैंने कभी भी अभद्र भाषा का प्रयोग नहीं किया, ऊंचा जरूर बोल सकती हूं ।
लेकिन मेरे शब्दों को नहीं निकल गय। मैं सदन में कहा है कि उपमुख्यमंत्री ने सदन में जो कहा है वह बिल्कुल झूठ है।
2011 में झज्जर में मेरा घर ही नहीं बना था। तो ऐसे में आरोप झूठे हैं और इसके खिलाफ प्रिविलेज मोशन लेकर आएंगे।
हमने पहले दिन और आज जो तथ्य सदन में रखे है। वो पूरी तरह से सही है।
गांव की सरपंच ने उपमुख्यमंत्री की बात का खंडन कर दिया है कि मेरे घर पर कोई पंचायत नही हुई थी।
इसका लिखित में भी मैंने मुख्यमंत्री को दे दिया है।
यह खबर मीडिया में भी छुपी हुई है।
31 अगस्त को पीड़ित बेटियों ने जो पत्र मुख्यमंत्री राज्यपाल, आदि संस्थाओं को लिखा गया था, तो उन पर कार्यवाही क्यों नहीं हुई।
उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के कार्यालय से 500 मीटर दूरी पर ही वह स्कूल है। इस मामले में कई बच्चियों आत्महत्या भी कर चुकी है। प्रदेश में आज महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं।
संदीप सिंह छेड़छाड़ मामले, कोरोना काल के दौरान शराब घोटाले में जहरीली शराब से मौत आदि मसाले में भी हमने जांच की मांग की थी। लेकिन इन्होंने नहीं मानी अब मन कर जांच करवा दें।
हाई कोर्ट विधानसभा से ऊपर नहीं होता। इस मसले में पॉइंट ऑफ रिफरेंस तय करक क्या करके एक कमेटी जांच करें