PM Modi On Kashi Tamil Sangamam: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (17 दिसंबर) को उत्तर प्रदेश के वाराणसी में काशी तमिल संगमम में अपने भाषण में नया प्रयोग किया. उनके भाषण का तमिल में अनुवाद करने के लिए उसी समय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भाषिनी का इस्तेमाल किया गया. इसका लोगों ने स्वागत किया.
पीएम मोदी ने इस प्रयोग को लेकर कहा, ”आज यहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के जरिए तकनीक का नया प्रयोग हुआ है. यह एक नई शुरुआत है और उम्मीद है कि इससे मेरे लिए आप तक पहुंचना आसान हो जाएगा.”
काशी तमिल का अद्भुत रिश्ता- पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान कहा, ”काशी तमिल का अद्भुत रिश्ता है. आप सब इतनी बड़ी संख्या में सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय करके काशी आए हैं. काशी में आप सब अतिथि से ज्यादा मेरे परिवार के सदस्य के तौर पर यहां हैं. मैं आप सभी का ‘काशी तमिल संगमम’ में स्वागत करता हूं.”
पीएम ने कहा, ”तमिलनाडु से काशी आने का मतलब है, महादेव के एक घर से उनके दूसरे घर आना, तमिलनाडु से काशी आने का मतलब है- मदुरै मीनाक्षी के यहां से काशी विशालाक्षी के यहां आना. इसीलिए तमिलनाडु और काशीवासियों के बीच हृदय में जो प्रेम है, जो संबंध है, वो अलग और अद्वितीय है.
पीएम मोदी ने किया काशी के एक विद्यार्थी का जिक्र
पीएम मोदी ने कहा, ”एक बार काशी के विद्यार्थी रहे सुब्रमण्य भारती ने लिखा था- काशी नगर पुलवर् पेसुम् उरैताम् कान्चियिल् केट्पदर्कु ओर् करुवि सेय्वोम्, वह कहना चाहते थे कि काशी में जो मंत्रोच्चार होते हैं, उन्हें तमिलनाडु के कांची शहर में सुनने की व्यवस्था हो जाए तो कितना अच्छा होता. आज सुब्रमण्य भारती जी की वो इच्छा पूरी हो रही है.”
प्रधानमंत्री ने कहा, ”काशी तमिल संगमम की आवाज पूरे देश में, पूरी दुनिया में जा रही है. मैं इस आयोजन के लिए सभी संबंधित मंत्रालयों को, यूपी सरकार को और तमिलनाडु के सभी नागरिकों को बधाई देता हूं.”
इस यात्रा में दिनों दिन लाखों लोग जुड़ते जा रहे हैं- पीएम
पीएम मोदी ने कहा, ”मेरे परिवारजनों पिछले वर्ष काशी तमिल संगमम शुरू होने के बाद से ही इस यात्रा में दिनों दिन लाखों लोग जुड़ते जा रहे हैं. विभिन्न मठों के धर्मगुरु, विद्यार्थी, तमाम कलाकार, साहित्यकार, शिल्पकार, पेशेवर, कितने ही क्षेत्र के लोगों को इस संगमम से आपसी संवाद और संपर्क का एक प्रभावी मंच मिला है. मुझे खुशी है कि इस संगमम को सफल बनाने के लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और आईआईटी मद्रास भी साथ आए हैं…”
प्रधानमंत्री ने कहा, ”‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की ये भावना उस समय भी नजर आई जब हमने संसद के नए भवन में प्रवेश किया. नए संसद भवन में पवित्र सेंगोल की स्थापना की गई है. आदीनम् के संतों के मार्गदर्शन में यही सेंगोल 1947 में सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था. ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना का यही प्रवाह है, जो आज हमारे राष्ट्र की आत्मा को सींच रहा है.”
‘विविधता में आत्मीयता का सहज और श्रेष्ठ स्वरूप आपको शायद ही कहीं मिले’
पीएम ने कार्यक्रम में कहा, ”जब उत्तर में आक्रांताओं द्वारा हमारी आस्था के केंद्रों पर, काशी पर आक्रमण हो रहे थे, तब राजा पराक्रम पाण्डियन् ने तेनकाशी और शिवकाशी में ये कहकर मंदिरों का निर्माण कराया कि काशी को मिटाया नहीं जा सकता. आप दुनिया की कोई भी सभ्यता देख लीजिए, विविधता में आत्मीयता का ऐसा सहज और श्रेष्ठ स्वरूप आपको शायद ही कहीं मिलेगा.”
उन्होंने कहा, ”अभी हाल ही में जी-20 समिट के दौरान भी दुनिया भारत की इस विविधता को देखकर चकित थी. दुनिया के दूसरे देशों में राष्ट्र एक राजनीतिक परिभाषा रही है लेकिन भारत एक राष्ट्र के तौर पर आध्यात्मिक आस्थाओं से बना है. भारत को एक बनाया है आदि शंकराचार्य और रामानुजाचार्य जैसे संतों ने, जिन्होंने अपनी यात्राओं से भारत की राष्ट्रीय चेतना को जागृत किया. मुझे विश्वास है, काशी-तमिल संगमम का ये संगम इसी तरह हमारी विरासत को सशक्त करता रहेगा, एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना को मजबूत बनाता रहेगा.”