Covid-19 Vaccination: पूरा देश कोरोना वायरस के उस भीषण दौर को कैसे भूल सकता है, जब लोगों की उस घातक वायरल से लगातार जान जा रही थी। इसके बाद कोरोना संक्रमण और इससे होने वाली मृत्युदर को कम करने में वैक्सीनेशन ने बड़ी भूमिका निभाई।
हालांकि कुछ रिपोर्ट्स में इस बात की आशंका जताई गई कि वैक्सीनेशन ने कई गंभीर बीमारियों के खतरे को बढ़ा दिया है, जिससे हार्ट अटैक और वयस्कों में मौत के मामले भी बढ़ गए हैं। ऐसे में अब केंद्र सरकार ने शुक्रवार को संसद के शीतकालीन सत्र में इसकी आशंकाओं को स्पष्ट किया है।
सरकार ने शुक्रवार को संसद को सूचित किया कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि कोविड-19 टीकाकरण से भारत में युवा वयस्कों में अस्पष्टीकृत अचानक मृत्यु का खतरा नहीं बढ़ा है। लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि कोरोना के कारण अस्पताल में भर्ती होने के बाद अचानक मृत्यु का पारिवारिक इतिहास और कुछ जीवनशैली व्यवहारों से अस्पष्टीकृत अचानक मृत्यु की संभावना बढ़ गई है।
दरअसल, स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या देश में कोविड टीकाकरण और दिल के दौरे की घटनाओं के बीच संबंध का कोई मामला सामने आया है। जिस पर मंडाविया ने कहा कि कुछ लोगों में कोविड से संक्रमित होने के बाद अचानक मौत की सूचना मिली है, लेकिन ऐसी मौतों के कारण की पुष्टि करने के लिए पर्याप्त सबूत उपलब्ध नहीं हैं।
बता दें कि कोविड के बाद कार्डियक अरेस्ट के मामलों की बढ़ती संख्या की आशंका के बारे में तथ्यों का पता लगाने के लिए आईसीएमआर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी (एनआईई) ने कोविड वैक्सीन कितनी सुरक्षित हैं, इसको समझने के लिए शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन किया। “भारत में 18-45 वर्ष की आयु के वयस्कों में अचानक होने वाली मौत से जुड़े कारक” शीर्षक वाले इस अध्ययन में पाया गया है कि वैक्सीनेशन किसी भी तरह से मृत्यु का खतरा नहीं बढ़ा रही है।