बुधवार को लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर से जुड़े दो नए बिलों पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पर भी निशाना साधा। अपने संबोधन में अमित शाह ने देश के पहले पीएम जवाहर लाल नेहरु पर निशाना साधते हुए कहा, “दो बड़ी गलतियां (पूर्व पीएम) पंडित जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्री काल में उनके लिए हुए निर्णयों से हुईं, जिसके कारण कश्मीर को कई वर्षों तक नुकसान उठाना पड़ा। पहला है, जब हमारी सेना जीत रही थी तब युद्धविराम की घोषणा करना। सीजफायर लगाया गया, अगर तीन दिन बाद सीजफायर होता तो पीओके आज भारत का हिस्सा होता। दूसरा है अपने आंतरिक मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले जाना।” अमित शाह के इस बयान पर सदन में हंगामा खड़ा हो गया, इसके बाद विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर लिया।
#WATCH केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "दो बड़ी गलतियां (पूर्व पीएम) पंडित जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्री काल में उनके लिए हुए निर्णयों से हुईं, जिसके कारण कश्मीर को कई वर्षों तक नुकसान उठाना पड़ा। पहला है, जब हमारी सेना जीत रही थी तब युद्धविराम की घोषणा करना। सीजफायर लगाया… pic.twitter.com/wXRrS6rLqA
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 6, 2023
कांग्रेस को बताया पिछड़ा विरोधी
अमित शाह ने जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक 2023 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2023 पर कहा, “पिछड़े वर्ग का सबसे बड़ा विरोध और पिछड़े वर्ग को रोकने का काम यदि किसी पार्टी ने किया है तो कांग्रेस पार्टी ने किया है। पिछड़ा वर्ग आयोग को 70 साल तक संवैधानिक मान्यता नहीं दी गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक मान्यता दी।”
#WATCH केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक 2023 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2023 पर कहा, "…पिछड़े वर्ग का सबसे बड़ा विरोध और पिछड़े वर्ग को रोकने का काम यदि किसी पार्टी ने किया है तो कांग्रेस पार्टी ने किया है… पिछड़ा वर्ग आयोग को 70… pic.twitter.com/OjVOZwrajl
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पीओके की 24 सीटें हमने रिजर्व रखी- अमित शाह
गृह मंत्री ने कहा कि नरेन्द्र मोदी ऐसे नेता हैं, जो गरीब घर में जन्म लेकर देश के प्रधानमंत्री बने हैं, वह पिछड़ों और गरीबों का दर्द जानते हैं। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाना कुछ लोगों को खटक गया है। उन्होंने कहा, “परिसीमन की जो सिफारिश है उसको कानूनी जामा पहनाकर आज इसे संसद के सामने रखा है। दो सीटें कश्मीर विस्थापितों के लिए आरक्षित होंगी। एक सीट पीओके के विस्थापित व्यक्तियों के लिए दी जाएगी। परिसीमन आयोग की सिफारिश के पहले जम्मू में 37 सीटें थीं जिसे अब 43 कर दी गई हैं। कश्मीर में पहले 46 सीटें थी अब 47 हुई है। पीओके की 24 सीटें हमने रिजर्व रखी है क्योंकि वो हिस्सा हमारा है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पहले 107 सीटें थीं जो अब बढ़कर 114 हो गई हैं। पहले दो नामांकित सदस्य हुआ करते थे अब पांच सदस्य होंगे।”