चंडीगढ़ : भारत ओलंपिक में ज्यादा सफल देशों में नहीं गिना जाता। मगर पिछले 2 ओलंपिक से भारत के प्रदर्शन के स्तर में काफी सुधार हुआ है। आजादी से पहले भी भारत ओलंपिक के दंगल में अपने खिलाड़ी भेजता रहे हैं, जिन्होंने कई पदक भारत को दिलाए हैं। मगर आजादी के बाद जब देश एक हुआ, तो खिलाड़ियों ने अपने खेल के साथ-साथ देश के तिरंग के भी उंचा किया।
ओलंपिक में भारत के सफर की शुरुआत 1900 के पेरिस ओलंपिक से हुई जब नॉर्मन प्रिचर्ड ने 200 मीटर और 200 मीटर की बाधा दौड़ में दो सिल्वर मेडल जीते।
इसके बाद भारत ने 1928 के एम्सटर्डेम ओलंपिक से अपना हॉकी का गोल्डन सफर शुरू किया, जो लॉस एंजेलिस (1932), बर्लिन 1936, लंदन (1948), हेल्सिंकी (1952), मेलबर्न (1956), टोक्यो (1964) और मॉस्को (1980) तक चला। इसके अलावा भारत ने 1960 के रोम ओंलिपक में हॉकी में सिल्वर और मेक्सिको सिटी (1968) तथा म्युनिख (1972) में ब्रॉन्ज जीता था।
आजादी के बाद हॉकी के अलावा पहला पदक भारत को कुश्ती में मिला था। के.डी. जाधव ने भारत को फ्रीस्टाइल रेसलिंग में ब्रॉन्ज मेडल दिलाया। वे आजाद भारत के पहले व्यक्तिगत पदक विजेता बने।
1996 के अटलांटा ओलंपिक खेलों में भारत को सिर्फ एक ही पदक मिला, जो टेनिस स्टार लिएंडर पेस ने पुरुष एकल टेनिस में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। पेस ने आंद्रे आगासी को कड़ी टक्कर दी।
साल 2000 के ओलंपिक सिडनी में हुए थे। इस ओलंपिक में भी भारत के लिए पहली बार महिला ने पदक जीता। इन खेलों में भारोतलन खिलाड़ी के. मल्लेश्वरी ने भारत को 69 किलोग्राम भारवर्ग में कांस्य पदक जीता।
2004 एथेंस ओलंपिक में रिटायर्ड मेजर राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने डबल ट्रैप शूटिंग में देश के लिए सिल्वर मेडल जीता। उन ओलंपिक खेलों में वह भारत की इकलौती कामयाबी थी, मगर इसके बाद भारत ने प्रदर्शन को और बेहतर ही किया।
2008 के ओलंपिक चीन के बीजिंग शहर में हुए। इन खेलों में अभिनव बिंद्रा ने 10 मीटर एयर राफल में सोने का तमगा जीता। इसके अलावा सुशील कुमार ने कुश्ती में और विजेंदर सिंह ने बॉक्सिंग में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया।
लंदन ओलंपिक भारत के प्रदर्शन के लिए सबसे खास रहे। शूटिंग में विजय कुमार और कुश्ती में सुशील कुमार ने सिल्वर मेडल जीते। इसके अलावा साइना नेहवाल (बैडमिंटन), मैरी कॉम (महिला बॉक्सिंग), गगन नारंग (शूटिंग) और योगेश्वर दत्त (कुश्ती) ने कांस्य जीत कर कुल पदकों की संख्या 6 कर दी।
भारत को रियो ओलंपिक में काफी उम्मीदे हैं। खेल प्रेमियों को आशा है कि भारत इस बार अपनी पदक संख्या को दोहरे अंको में ले जाए और इतिहास में एक नया अध्याय शुरु करे।