भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने इस साल 14 जुलाई को चंद्रयान-3 को एलवीएम3 एम4 प्रक्षेपण यान निर्धारित कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया था। 23 अगस्त को चंद्रयान-3 ने मून के साउथ पोल पर सफल लैंडिग कर इतिहास रच दिया था।
अब चंद्रयान-3 को लेकर एक बड़ा अपडेट सामने आया है। चंद्रयान-3 को लॉन्च करने वाले एलवीएम3 एम4 लॉन्च व्हीकल का एक हिस्सा नियंत्रण से बाहर होकर पृथ्वी के वातावरण में दोबारा वापस आ गया था।
अब चंद्रयान-3 को लेकर एक बड़ा अपडेट सामने आया है। चंद्रयान-3 को लॉन्च करने वाले एलवीएम3 एम4 लॉन्च व्हीकल का एक हिस्सा नियंत्रण से बाहर होकर पृथ्वी के वातावरण में दोबारा वापस आ गया था।
अनियंत्रित होने वाला हिस्सा लॉन्च व्हीकल की क्रायोजेनिक अपर स्टेज थी, जिसने चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को निर्धारित कक्षा में स्थापित किया था। इसरो ने बताया कि ये हिस्सा बुधवार दोपहर 2:42 बजे पृथ्वी के वातावरण में आ गया था।
इसरो के मुताबिक, इसका इम्पैक्ट पॉइंट उत्तरी प्रशांत महासागर के ऊपर लगाया गया था। फाइनल ग्राउंड ट्रैक भारत के ऊपर से नहीं गुजरा। चंद्रयान-3 को लॉन्च किए जाने के 124 दिन बाद NORAD id 57321 नाम की यह रॉकेट बॉडी पृथ्वी में रि-एंटर हुई। इसरो के मुताबिक, ये हिस्सा किस वजह से अनियंत्रित हुआ, इसकी अभी जानकारी सामने नहीं आई है। ये हिस्सा उत्तरी प्रशांत महासागर में गिरा है। इसरो की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि, चंद्रयान-3 के ऑर्बिट में स्थापित होने के बाद अपर स्टेज को पैसिवेशन नाम की एक प्रक्रिया से भी गुजरना पड़ा।
इस प्रक्रिया में रॉकेट में मौजूद फ्यूल को निकाल दिया जाता है, ताकि अंतरिक्ष में विस्फोट के खतरे को कम किया जा सके। संयुक्त राष्ट्र और आईएडीसी का नियम है कि अगर अंतरिक्ष में रॉकेट का कोई हिस्सा घूम रहा है, तो लॉन्च के थोड़ी देर बाद ही उसमें से सारा बचा हुआ ईंधन निकाल दिया जाता है, ताकि अगर यह धरती पर लौटे तो किसी तरह का हादसा ना हो।
जानकारी के मुताबिक, क्रायोजेनिक अपर स्टेज का व्यास 13 फीट और लंबाई 44 फीट थी। इसके अंदर 28 मीट्रिक टन ईंधन भरा हुआ था। अपना काम करने के बाद इसी हिस्से में बचे LOX + LH2 फ्यूल को निकाल दिया गया था।