कहते हैं हार आदमी का हौसला तोड़ देती है लेकिन 78 साल के तितरसिंह का हौसला तो चट्टान जैसा है। उनके जुनून के आगे हार का गम छोटा दिखाई देता है। लोकसभा से लेकर सरंपच तक के चुनाव में 31 हार के बावजूद वो फिर मैदान में डटे हैं। उन्होंने 32वीं बार करणपुर विधानसभा से नामांकन पत्र दाखिल किया है।
हर बार जमानत जब्त
तितरसिंह की हर बार जमानत जब्त हुई लेकिन उन पर चुनाव लड़ने का जुनून सवार है। उनका कहना है कि जनप्रतिनिधि बनकर वो गरीबों का उत्थान करना चाहते हैं और यह भी ख्वाहिश है कि इतने नामांकन दाखिल करने पर उसका नाम गिनीज बुक में दर्ज हो। तितरसिंह को श्रीकरणपुर का धरतीपकड़ भी कहा जाने लगा है।
पहली बार 1985 में लड़ा चुनाव
श्रीकरणपुर विधानसभा क्षेत्र के गांव 25 एफ गुलाबेवाला निवासी तितर सिंह पुत्र सौदागर सिंह मजहबी सिख दिहाड़ी मजदूरी से जुड़े हैं। पहली बार 1985 में विधानसभा चुनाव में पहला नामांकन दाखिल किया था। इसके बाद उन्होंने हर विधानसभा व लोकसभा चुनाव के साथ सरपंच व पंचायत समिति सदस्य के लिए नामांकन-पत्र दाखिल किया।
पांचवीं तक की पढ़ाई
पत्नी गुलाब कौर के साथ नामांकन जमा कराने के बाद तितर सिंह ने बताया कि उसने केवल पांचवीं तक पढ़ाई की लेकिन उम्र बीतने के साथ अब वह पढऩा-लिखना भूल गया है लेकिन हस्ताक्षर कर लेता है। विधानसभा चुनाव-2013 में तितर सिंह को 427 तथा विधानसभा चुनाव-2018 में उसे 653 वोट मिले थे।
फार्म भरने के लिए कई बार बेची बकरियां!
तितर सिंह ने बताया कि जीविका उपार्जन के लिए उसका परिवार दिहाड़ी मजदूरी कर काम चलाता है। ऐसे में नामांकन-पत्र दाखिल करने के लिए उसे कई बार अपनी बकरियां और घर का सामान भी बेचना पड़ा। उनके पास करीब दो दर्जन बकरियां थी जो अब केवल तीन रह गई हैं। इस बार उन्होंने उधार और चंदा एकत्र कर पैसे एकत्र किए और नामांकन दाखिल किया।
सिंह का परिवार
तितर सिंह ने बताया कि अब वृद्ध होने की वजह से उसके दोनों पुत्र ही उसका व उसकी पत्नी गुलाब कौर का सहारा है। उसके दोनों पुत्र इकबाल सिंह व रिछपाल सिंह के साथ तीनों पुत्रियों की शादी हो चुकी है।