India G7 Israel Crisis: दुनिया की सात प्रमुख अर्थव्यवस्था वाले देशों के संगठन G7 की बैठक में हिस्सा लेने गये भारत के वाणिज्य मंत्री ने हमास के आतंकी हमले के खिलाफ जी7 देशों के सुर में सुर मिलाते हुए इजराइल पर हुए आतंकी हमले की निंदा की है। भारत के व्यापार प्रमुख ने कहा, कि भारत आतंकवाद की निंदा करता है और मध्य पूर्व में बढ़ते संकट के मद्देनजर सात देशों के समूह के प्रति अपने समर्थन पर जोर देता है।
भारतीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शनिवार को जापान के ओसाका में जी-7 व्यापार मंत्रियों की बैठक में कहा, कि “भारत जी-7 की सोच के साथ पूरी तरह जुड़ा हुआ है।” उन्होंने कहा, दक्षिण एशियाई राष्ट्र “आतंकवाद को खत्म करने के लिए किसी भी वैश्विक प्रयास का समर्थन करना जारी रखेगा” और दुनिया भर में आतंकवादियों के लिए वित्त पोषण या समर्थन को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है।
ग्लोबल सप्लाई चेन में लचीलेपन पर चर्चा के लिए भारत के साथ साथ चार अन्य गैर-सदस्य देशों को दो दिवसीय जी-7 सभा में आमंत्रित किया गया था। आपको बता दें, कि भारत जी7 का सदस्य नहीं है, लेकिन हर साल जी7 की तमाम बैठकों में भारत को बतौर गेस्ट राज्य आमंत्रित किया जाता है।
इजराइल के साथ खड़ा हुआ भारत
जी7 की बैठक में पीयूष गोयल की ये टिप्पणी, दुनिया भर में व्यापार और भू-राजनीतिक तनाव के बीच घनिष्ठ और बढ़ती परस्पर क्रिया को दर्शाती हैं। गोयल ने कहा, कि “हमारा भी मानना है, कि संघर्ष नहीं बढ़ना चाहिए और हमें बातचीत करने की कोशिश करनी चाहिए और कूटनीति के जरिए समस्याओं का समाधान करना चाहिए।” उन्होंने आगे कहा, कि “भारत ने फिलिस्तीन को महत्वपूर्ण मानवीय सहायता भेजी है और हमें विश्वास है, कि हमारी बातचीत और कूटनीति दोनों पक्षों के बीच दो राज्य सह-अस्तित्व समाधान खोजने में मदद करेगी।” गोयल ने जापानी व्यापार मंत्री यासुतोशी निशिमुरा के साथ अपनी बैठक की शुरुआत में बातचीत की, जिन्होंने कहा, कि भरोसेमंद देशों के बीच साझेदारी और निजी कंपनियों के साथ सहयोग से लचीली आपूर्ति श्रृंखलाएं सक्षम होती हैं। निशिमुरा ने इलेक्ट्रिक वाहन बनाने और उन्हें अन्य देशों में निर्यात करने के लिए भारत में ऑटोमेकर सुजुकी मोटर कॉर्प के निवेश का हवाला दिया। निशिमुरा ने कहा, कि “यह एक भविष्य का मॉडल मामला है, जिसमें एक कंपनी भारत में निवेश करती है और भारत से तीसरे देशों में अपने निर्यात को बढ़ाती है।” उन्होंने कहा, कि “हम भारत के साथ मजबूत आपूर्ति श्रृंखला स्थापित करना चाहेंगे।” आपको बता दें, कि रविवार को जी-7 बैठक का संयुक्त बयान जारी होने की उम्मीद है।
G7 और भारत के बीच कैसे हैं संबंध?
दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश होने के बाद भी भारत, जी7 का स्थाई सदस्य नहीं है, हालांकि इकोनॉमी के मामले में भारत, दुनिया में पांचवें नंबर पर पहुंच चुका है और कुछ सालों में तीसरे नंबर पर पहुंच जाएगा। भारत इस संगठन का हिस्सा नहीं है, लेकिन पिछले कई सालों से बतौर मेहमान जी-7 में भाग लेता रहा है। पीएम मोदी से पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी, जी-7 की बैठकों में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होते थे। जी-7 में कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देश शामिल हैं। साल 2020 अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जी7 समूह को ‘पुराना समूह’ बताते हुए इसमें भारत, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया को शामिल करने की मांग की थी। कोविड की वजह से जी-7 के 46वें शिखर सम्मेलन को स्थगित करते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था, कि G7 समूह पुराना हो चुका है, और अपने वर्तमान प्रारूप में यह वैश्विक घटनाओं का सही तरीके से प्रतिनिधित्व करने में सक्षम नहीं है। आलोचकों का हमेशा से कहना रहा है, कि जी-7 से भारत और ब्राजील जैसी उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को दूर रखना, इसकी सबसे बड़ी नाकामी है, जिसे जल्द से जल्द दूर करना चाहिए। आलोचकों का कहना है, कि जी7 कुल मिलाकर पश्चिमी देशों के वर्चस्व से भरा हुआ एक संगठन है, और पश्चिमी देशों के मन में अभी भी अपने आप को सर्वोच्च मानने की गलतफहमी बनी हुई है और इसी वजह से अभी तक भारत को इसमें शामिल नहीं किया गया है।
इसका नतीजा ये हुआ, कि पिछले कुछ सालों में भारत, ब्राजील और चीन जैसे देशों के आर्थिक उदय ने जी7 के महत्व को कम कर दिया है और वैश्विक जीडीपी में जी7 की भागीदारी लगातार कम होती जा रही है। लिहाजा, इस समूह के अस्तित्व पर ही अब संकट छाने लगा है। खासकर, यूक्रेन युद्ध ने जिस तरह से यूरोप को प्रभावित किया है, उससे निपटने में जी7 अभी तक कारगार उपाय नहीं कर पाया है। वर्तमान जियो-पॉलिटिक्स में भारत की मजबूत दावेदारी को पूरी दुनिया मान चुकी है और तमाम देशों ने अब कहना शुरू कर दिया है, कि आने वाला दशक भारत का है। वहीं, अगले कुछ सालों में भारत, दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होग और दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश भारत पहले ही बन चुका है, लिहाजा भारत विकास की रफ्तार को और तेज करने के लिए इस ग्रुप को काफी अहमियत देता है।