चंडीगढ़ : जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान प्रदेश में घटी घटनाओं और लोगों को जानमाल के हुए नुकसान सहित पूरे घटनाक्रम की जांच न्यायिक आयोग से करवाई जाएगी। यह बात विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चौधरी अभय सिंह चौटाला द्वारा इस संबंध में लाए गए एक स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा के बाद मुख्यमंत्री ने सदन में कही। अभय सिंह चौटाला ने सदन में रखे गए स्थगन प्रस्ताव में कहा था कि आरक्षण की मांग के बाद हुई घटनाओं से प्रदेश में अभूतपूर्व हिंसा हुई और लोगों की जानमाल का नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि ये दुखद घटनाएं और भी ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण और सरकार की ओर से बरती गई जानबूझकर लापरवाही का नतीजा था क्योंकि सत्तापक्ष के लोग भडक़ाऊ वक्तव्य दे रहे थे और उसके बाद के परिणामों का सरकार को पहले से ही आभास हो जाना चाहिए था।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार न केवल इसका जायजा लेने में विफल रही और प्रतिक्रिया करने में बेहद धीमी रहने के कारण स्थिति विस्फोटक हो गई। सेना को बुलाए जाने के कुछ समय बाद हालात सामान्य दिखाई दिए लेकिन इस दौरान राज्य में बहुत से स्थान हिंसा व लोगों की मौत से तबाह हो गए। उन्होंने कहा कि ये घटनाएं सत्तापक्ष की राजनीतिक और प्रशासनिक मशीनरी की विफलता को उजागर करती है। हिंसा के बाद सरकार से जो प्रतिक्रिया अपेक्षित थी वह भी न केवल अपर्याप्त थी बल्कि दयनीय भी थी। उम्मीद की जा रही थी कि सरकार नुकसान की भरपाई के लिए कम से कम तुरंत कदम उठाने की घोषणा कर सकती थी और यह भी उम्मीद थी कि हिंसा के दौरान जिन लोगों की जानें गई हैं उनके परिवारों को 25-25 लाख रुपए मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की घोषणा की जाएगी। इन हालात में यह भी उम्मीद की जा रही थी कि सरकार सम्पत्ति के नुकसान के अंतिम अनुमान के आने तक तदर्थ आधार पर पर्याप्त मुआवजे की घोषणा करती। दोनों मोर्चों पर सरकार अपने संवैधानिक फर्ज का निर्वहन करने में असफल रही और पहले राज्य के लोगों की जानमाल की रक्षा करने के लिए और बाद में पीडि़तों को राहत प्रदान करने के मौके पर भी विफल रही। उन्होंने सरकार की इन असफलताओं के दृष्टिगत हिंसा की ओर ले जाने वाली घटनाओं की सर्वोच्च न्यायालय अथवा उच्च न्यायालय के किसी कार्यरत न्यायाधीश की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग का गठन किए जाने और जो लोग इस स्थिति से निपटने में और अपने कर्तव्य निर्वहन करने में असफल रहे हैं उनकी भी जिम्मेदारी तय किए जाने की मांग करते हुए पीडि़तों को तुरंत पर्याप्त राहत प्रदान किए जाने की मांग की ताकि पीडि़तों का जीवन जल्द से जल्द सामान्य स्थिति में आ सके।
नेता प्रतिपक्ष द्वारा लाए गए इस काम रोको प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान अभय चौटाला ने कहा कि सरकार जाट व खाप प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद समय रहते अगर अपना वादा पूरा कर देती तो शायद लोगों की जानमाल को बचाया जा सकता था। उन्होंने कैथल, जीद, झज्जर इत्यादि जिलों में शहीदों व स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमाओं को नुकसान पहुंचाने की घटनाओं का उल्लेख करते हुए उन सभी के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि सरकार अगर जल्दी कार्रवाई करती तो वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु और कांग्रेस विधायक गीता भुक्कल सहित जिन लोगों के घरों, मकान व दुकानों को आग लगाई गई उन्हें बचाया जा सकता था। उन्होंने कुरुक्षेत्र के सांसद राजकुमार सैनी व पूर्व विधायक रोशन लाल आर्य के खिलाफ भी तुरंत कार्रवाई किए जाने की मांग की। उन्होंने हजकां विधायक द्वारा झज्जर में एक युवती व उसकी मां के साथ हुई बलात्कार की कथित घटना का सदन में जिक्र किए जाने और कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ द्वारा इससे इनकार किए जाने के मामले को गम्भीर बताते हुए कहा कि विधानसभा की एक कमेटी गठित कर इसकी जांच करवाई जाए ताकि पता चल सके कि ऐसे संवेदनशील मामले में सदन को कौन गुमराह कर रहा है? नेता प्रतिपक्ष ने कुरुक्षेत्र के सांसद के खिलाफ देशद्रोह के मामले में कार्रवाई किए जाने की मांग करते हुए कहा कि अगर किसी इनसो नेता ने समाज के साथ जाकर कोई बात कही है तो उसके भाषण पर कौन सी धारा लगती है, सरकार उस धारा में कार्रवाई कर ले लेकिन कांग्रेस व भाजपा नेताओं के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने भिवानी में पेट्रोल पम्प फूंकने, जाट धर्मशाला को आग लगाने, चौधरी देवीलाल सदन को तोडऩे और जींद में चौधरी देवीलाल की प्रतिमा को खण्डित करने का प्रयास करने वालों पर भी कार्रवाई किए जाने की मांग की।
अभय चौटाला के अलावा पूर्व कृषि मंत्री जसविंदर सिंह संधू, विधायक परमेंद्र ढुल, जाकिर हुसैन ने भी चर्चा में भाग लिया। परमेंद्र ढुल ने रोहतक विवि के छात्रावास में रात के समय एक पुलिस अधिकारी द्वारा भारी पुलिस बल के साथ जाकर छात्रों पर लाठीचार्ज करने का मुद्दा उठाया। उन्होंने 35 जात के नाम पर जाटों के खिलाफ शपथ दिलाने वालों को सबसे बड़े देशद्रोही बताया और कहा कि खुद प्रदेश पुलिस प्रमुख मानते हैं कि हिंसा में सिर्फ जाट ही शामिल नहीं थे बल्कि गैर जाट भी शामिल थे। जसविंदर संधू ने चर्चा की शुरुआत गुरबाणी के एक शब्द से की और कहा कि सीएम के बारे में किसी एक व्यक्ति ने कोई गलत बात कही तो उन्हें बेहद पीड़ा हुई और आंखें नम हो गई। भाजपा का जो सांसद पिछले कई महीनों से एक जाति विशेष को गालियां दे रहा था तो उस पर हमारे द्वारा कही गई बातों को सरकार में बैठे मंत्री हंसी में टालते रहे। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र में कुछ लोगों ने इक_े होकर एक बैठक की और उस बैठक में सिर्फ 15 लोग शामिल हुए लेकिन नाम 35 बिरादरी का लिया गया। इनेलो विधायक जाकिर हुसैन ने कहा कि कोई जाति या धर्म बुरा नहीं होता बल्कि कुछ लोग बुरे हो सकते हैं या किसी की सोच गलत हो सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार उन असली दोषियों को बेनकाब कर सलाखों की पीछे पहुंचाए जो दूर बैठकर इस पूरे घटनाक्रम को अंजाम देने में लगे हुए थे। उन्होंने सभी मृतकों को मुआवजा व नौकरियां दिए जाने की मांग करते हुए कहा कि जाटों सहित पांचों जातियों को गुरनाम सिंह आयोग की सिफारिश पर आरक्षण दे दिया गया था लेकिन बाद में कांग्रेस ने इस आरक्षण को वापिस ले लिया। नलवा से इनेलो विधायक रणबीर गंगवा ने कहा कि आज सरकार के मंत्री किस आंदोलन में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा व कांग्रेस नेताओं के शामिल होने की बात कर रहे हैं तो सरकार का काम नाम लेना नहीं बल्कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करना होता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में इनेलो के 20 विधायक हैं और उनके हलके में कहीं पत्ता तक नहीं हिला। उन्होंने कहा कि इनेलो के संस्थापक चौधरी देवीलाल 36 बिरादरी को हमेशा साथ लेकर चलते थे और अगर इनेलो जातपात की राजनीति करती तो रणबीर गंगवा कभी राज्यसभा में नहीं जा सकता था। उन्होंने कांग्रेस द्वारा राजनीतिक स्वार्थ के लि जाते-जाते आधा अधूरा आरक्षण देने और सरकार के मंत्रियों व विधायकों द्वारा भी अलग-अलग बयान दिए जाने का मामला उठाते हुए कहा कि क्या ये लोगों को भडक़ाने का काम नहीं है?
अभय सिंह चौटाला द्वारा रखे गए काम रोको प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए मुख्यमंत्री ने प्रदेश में घटी ङ्क्षहंसक घटनाओं में 650 करोड़ रुपए का प्रत्यक्ष नुकसान हुआ है और रेलवे के नुकसान सहित कुल नुकसान 800 से 850 करोड़ रुपए के बीच बनता है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में 2087 मुकदमे दर्ज किए गए हैं और कई कांग्रेस पदाधिकारियों सहित 444 अभियुक्त गिरफ्तार किए जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि पूरे घटनाक्रम में 30 लोगों की मृत्यु हुई और 320 लोग घायल हुए। उन्होंने कहा कि लोगों द्वारा 365 करोड़ रुपए के नुकसान के दावे आए हैं और बीमा कम्पनियों के पास 57 करोड़ रुपए के दावों के विपरीत कम्पनियों ने 25 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया है जबकि सरकार द्वारा 28 करोड़ रुपए अंतरिम व अंतिम प्रतिपूर्ति के रूप में भुगतान किए गए हैं।
इससे पहले चर्चा में भाग लेते हुए कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़, वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु, शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा, भाजपा विधायक मुनीष ग्रोवर, श्रीमती संतोष चौहान सारवान और पवन सैनी ने प्रदेश में घटी हिंसक घटनाओं के लिए सीधे तौर पर भूपेंद्र हुड्डा व उनके करीबी लोगों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि यह पूरी की पूरी साजिश भूपेंंंद्र हुड्डा द्वारा रची गई। मनीष ग्रोवर ने कहा कि रोहतक में हुड्डा के करीबी लोगों ने चुन चुनकर गैर कांग्रेसी लोगों की दुकानों और संस्थानों को आग लगाई जबकि कांग्रेस नेताओं के घर, दफ्तर व दुकानों को छुआ तक नहीं गया। उन्होंने हुड्डा के साथ-साथ महम के विधायक आनंद सिंह डांगी को भी इन घटनाक्रम के लिए जिम्मेदार ठहराया। ओमप्रकाश धनखड़ ने कहा कि इस पूरे आंदोलन में भूपेंद्र हुड्डा का हाथ था। उन्होंने हजकां विधायक कुलदीप बिश्नोई पर भी गैर जिम्मेदाराना बयानबाजी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि जातिवाद से ऊपर उठकर चर्चा में भाग लेना चाहिए। शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा ने प्रो. विरेंद्र की ऑडियो का उल्लेख करते हुए कहा कि कांग्रेस का ये इतिहास रहा है और जाट आरक्षण के नाम पर जो कुछ हुआ वह कुर्सी का मुद्दा था और कांग्रेस विधायक यहां इसलिए नहीं आए क्योंकि वे पूरे घटनाक्रम के बाद अपना चेहरा छुपाना चाहते थे। वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने हिंसक घटनाओं के लिए पूरी तरह से भूपेंद्र हुड्डा व कांग्रेस नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि सत्ता से बाहर होने की बौखलाहट सामने आ रही है। उन्होंने कहा कि तीन दिन तक योजनापूर्वक उनके घर पर हमला हुआ और जब आग लगाई गई उस समय उनके परिवार के दस सदस्य घर के अंदर थे। भाजपा की ओर से सीमा त्रिखा व मूलचंद शर्मा ने और बसपा की ओर से टेकचंद शर्मा व निर्दलीय विधायक जयप्रकाश ने भी चर्चा में भाग लिया।
चर्चा में भाग लेते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रो. विरेंद्र की जो ऑडियो वायरल हुई है उससे लगता है कि अकेले विरेंद की इतनी हिम्मत नहीं हो सकती, इसके पीछे गहरी साजिश है। उन्होंने हिंसक घटनाओं में मारे गए लोगों को नौकरी व दस लाख रुपए मुआवजा दिए जाने की घोषणा के साथ यह भी भरोसा दिलाया कि विस सत्र में जाट आक्षरण को लेकर बिल लाया जाएगा और उसकी तैयारी सरकार कर रही है। उन्होंने न्यायिक जांच की मांग को भी यह कहकर आगे टालने का प्रयास किया कि घटनाक्रम के पीछे साजिश का खुलासा करने के लिए यदि जरूरी हुआ तो न्यायिक जांच का रास्ता हमेशा खुला है। इस पर नेता प्रतिपक्ष ने जोरदार तरीके से पूरे मामले की न्यायिक जांच करवाए जाने की मांग करते हुए कहा कि जांच किसी कार्यरत न्यायाधीश से ही करवाई जाए ताकि सच्चाई सामने आ सके। इस पर मुख्यमंत्री ने सदन को सूचित किया कि सरकार पूरे घटनाक्रम की न्यायिक जांच करवाएगी।