भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) संजय वर्मा कर रहे थे, जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ‘प्रभावी बहुपक्षवाद के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों को कायम रखना: यूक्रेन की शांति और सुरक्षा का रखरखाव’ विषय पर खुली बहस में 20 सितंबर को (स्थानीय समय) बोल रहे थे।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी को दोहराते हुए, कि “यह युद्ध का युग नहीं है,” संजय वर्मा ने यूक्रेन की स्थिति पर चिंता व्यक्त की और कहा, कि दो “अत्यावश्यक प्रश्न” हैं जिन्हें पूछे जाने की आवश्यकता है।
संजय वर्मा ने कहा, कि “पहला प्रश्व ये, क्या हम किसी संभावित स्वीकार्य समाधान के करीब हैं? और यदि नहीं, तो ऐसा क्यों है, कि यूनाइटेड नेशंस सिस्टम, और विशेष रूप से इसका प्रमुख अंग- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, जिसे मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने का अधिकार है, वह चल रहे संघर्ष के समाधान के लिए पूरी तरह से अप्रभावी हो गया है?”
उन्होंने कहा, कि “बहुपक्षवाद को प्रभावी बनाने के लिए, पुरानी और पुरातन संरचनाओं में सुधार और पुनर्निमाण की जरूरत है, अन्यथा उनकी विश्वसनीयता हमेशा कम होती रहेगी। और जब तक हम उस प्रणालीगत खामी को ठीक नहीं कर लेते, हम अभावग्रस्त पाए जाएंगे।”
डिबेट के दौरान बोलते हुए तिलक वर्मा ने कहा, “युद्ध की वजह से ना सिर्फ यूक्रेन के लोग प्रभावित हुए हैं, और ना केवल इसने शत्रुता बढ़ाने का काम किया है, बल्कि इससे पूरी दुनिया के लिए दूरगाणी परिणाम हुए हैं।”
उन्होंने कहा, कि “संघर्ष की वजह से भोजन, ईंधन और उर्वरकों की कीमतों में इजाफा हुआ है और बड़े पैमाने पर दुनिया प्रभावित हुई है और ग्लोबल साउथ के देशों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है।” बातचीत और कूटनीति के महत्व पर जोर देते हुए, संजय वर्मा ने कहा, कि “मतभेदों और विवादों को सुलझाने के लिए बातचीत ही एकमात्र उत्तर है, भले ही यह इस समय कितना भी कठिन क्यों न लगे। शांति के रास्ते के लिए हमें कूटनीति के सभी रास्ते खुले रखने होंगे।”