Women Reservation Bill: संसद के विशेष सत्र के दौरान आज लोकसभा में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने महिला आरक्षण बिल पेश किया। इस बिल का नाम ‘नारी शक्ति वंदन एक्ट’ रखा गया है। ऐसे में आइये जानते हैं पीएम मोदी के विश्वस्त अर्जुन राम मेघवाल के बारे में जिन्होंने अपने करियर की शुरुआत बीकानेर में एक टेलीफोन ऑपरेटर के रूप में की थी, बाद में DM बने और अब…
Women Reservation Bill in parliament Arjun Ram Meghwal: आज नई संसद भवन में विशेष सत्र के दूसरे दिन केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने महिला आरक्षण बिल पेश किया। प्रधानमंत्री मोदी ने इस बिल को कई मायनों में ऐतिहासिक बताया। इस बिल को पेश करने वाले कानून मंत्री मेघवाल पीएम के सबसे करीबी नेताओं में गिने जाते हैं। कानून मंत्री के तौर पर किरेन रिजीजू की जगह लेने वाले अर्जुन राम मेघवाल अपनी पारंपरिक वेशभूषा धोती कुर्ते और राजस्थानी पगड़ी के साथ एक अलग ही पहचान रखते हैं।
टेलीफोन ऑपरेटर के तौर पर कैरियर की शुरुआत की
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के बारे में शायद बहुत कम लोग इस बात को जानते होंगे कि इस शीर्ष पद तक पहुंचने से कई दशक पहले उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत बीकानेर में एक टेलीफोन ऑपरेटर के रूप में की थी। राजस्थान के बीकानेर के पास किशमीदेसर गांव में एक साधारण दलित परिवार में पैदा हुए अर्जुन मेघवाल के पिता पेशे से बुनकर रहे हैं।
मात्र 13 वर्ष की उम्र में अर्जुन मेघवाल की शादी पाना देवी से हो गई। परिवार को आर्थिक रूप से मदद करने के लिए उन्होंने पिता के काम में भी हाथ बंटाया। इसी दौरान उन्होंने पढाई भी जारी रखी और एलएलबी और एमबीए की डिग्री हासिल की।
पहले टेलीफोन ऑपरेटर बाद में जिलाधिकारी (DM) बने
एलएलबी और एमबीए की डिग्री हासिल करने के बाद अर्जुन ने प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी शुरू की। तैयारी के दौरान भारत डाक व तार विभाग में वैकेंसी निकली और इन्होंने इसमें अप्लाई किया। परीक्षा का रिजल्ट निकला और अर्जुन उसमें उतीर्ण हुए। उन्हें टेलीफोन ऑपरेटर का पद मिला। राजनीति में उनकी शुरू से रूचि थी, ऑपरेटर रहते हुए उन्होंने टेलीफोन ट्रैफिक एसोसिएशन का चुनाव लड़ा और महासचिव बन गए।
ऑपरेटर के रूप में काम करते हुए मेघवाल ने पढाई जारी राखी और दूसरे प्रयास में राजस्थान राज्य प्रशासनिक सेवा की परीक्षा पास कर ली। फिर प्रमोशन लेते-लेते भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी बने और राजस्थान में चुरू के जिलाधिकारी (DM) बने।
साल 2009 में राजनीतिक जीवन की शुरुआत
अर्जुन मेघवाल ने 2009 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले लिया और भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। फिर बीकानेर से उन्हें टिकट मिला और लोकसभा का पहला चुनाव जीते। उसके बाद मेघवाल को पीछे मुड़कर देखने की जरूरत नहीं हुई। दूसरी बार 2014 में सांसद निर्वाचित हुए। मोदी सरकार में वित्त व कंपनी मामलों के राज्य मंत्री, संसदीय कार्य मंत्री, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्य मंत्री की जिम्मेदारी संभाल चुके मेघवाल ने 2019 के लोकसभा चुनाव में बीकानेर से तीसरी बार जीत हासिल की।
इसके बाद 18 मई को केंद्र में मेघवाल का कद और ज्यादा उस वक्त बढ़ गया जब उन्हें तत्कालीन कानून मंत्री किरेन रिजीजू की जगह दी गई। साल के अंत में राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने वाला है। ऐसे में यहां के दलित वोटरों को बीजेपी को ओर आकर्षित करने में मेघवाल बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
पहली बार कब चर्चा में आये
सभी प्रकार के अभाव के बाद भी जीवन ईमानदारी से कैसे जीना है ये मेघवाल की जीवन यात्रा से सीखा जा सकता है। किसी प्रकार के प्रलोभन से वो नहीं डिगे। कर्म को श्रेष्ठ माना। सबसे पहले अर्जुन मेघवाल चर्चा में तब आए जब राजस्थान के बीकानेर में सोनिया गांधी के दामाद और प्रियंका वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा के कथित अवैध भूमि सौदे को प्रकाश में लाने का काम किया था। इस कथित अवैध घोटाले को उजागर करने के बाद उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली।
साइकिल से संसद भवन आते हैं
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल अपनी सादगी के लिए हमेशा चर्चा में बने रहते हैं। सरकार की ओर से उन्हें कहीं भी आने जाने के लिए कार मिली हुई है लेकिन, मेघवाल अक्सर साइकिल से संसद भवन आते हैं। मेघवाल बागड़ी बोली के गीतों का शौक रखते हैं। अपने काम को मेघवाल पूरी ईमानदारी से करते हैं, इन्हें जो भी टास्क पार्टी और सरकार के शीर्ष नेतृत्व द्वारा सौंपा जाता है, उसे हर हाल में अंजाम तक पहुंचाते हैं। उनकी इसी कर्तव्यनिष्ठता के कारण उन्हें मोदी कैबिनेट में इतनी बड़ी जिम्मेदारी मिली है।