इसरो का चंद्रयान-3 मिशन कामयाब रहा है। इसके तहत विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को चांद की सतह पर पहुंचाया गया। फिलहाल दोनों अपना टॉस्क पूरा करके स्लीप मोड में चले गए हैं। ऐसे में लोगों के मन में ये सवाल उठ रहा कि वो दोबारा नींद से कब जागेंगे।
इसरो के मुताबिक 4 सितंबर तक प्रज्ञान रोवर ने अपना सारा टॉस्क पूरा कर लिया था। ऐसे में उसको सुरक्षित जगह पर पार्क कर स्लीप मोड में डाल दिया गया। इसी तरह विक्रम लैंडर को भी स्लीप मोड में डाल दिया गया है।
अब सवाल ये उठता है कि उनको स्लीप मोड में क्यों डाला गया? दरअसल चंद्रमा पर 14 दिन का दिन और 14 दिन की रात होती है। जब विक्रम दक्षिणी ध्रुव पर उतरा था, तो वहां दिन था। अभी वहां रात है। ऐसे में रोवर की बैट्री को फुल चार्ज कर उसे स्लीप मोड में डाल दिया गया।
उसके सारे सोलर पैनल खोल दिए गए हैं, ताकि जब दोबारा सूर्योदय हो, तो उसे ऊर्जा मिल सके और वो स्लीप मोड से बाहर आ सके। इसरो के मुताबिक सब कुछ सही रहा तो प्रज्ञान और विक्रम 22 सितंबर को नींद से जागेंगे। उस वक्त ही उनसे दोबारा से संपर्क हो पाएगा।
ये है सबसे बड़ी चुनौती
दरअसल चांद में रात होते ही सतह का तापमान माइनस 200 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे चला जाता है। ऐसे में डर है कि इतनी भयानक ठंड दोनों के उपकरणों को प्रभावित ना कर दे। इसरो के मुताबिक उन्होंने मिशन की अवधि 14 दिन ही मानी थी, जो पूरी हो गई है। अगर रोवर और लैंडर नींद से जागे और काम करने लगे, तो ये मिशन के लिए बोनस होगा।
अभी तक क्या-क्या मिला?
प्रज्ञान रोवर ने चांद की सतह का सटीक तापमान नापा। इसके अलावा वहां पर सल्फर, एल्युमीनियम, कैल्शियम, आयरन, क्रोमियम, टाइटेनियम की मौजूदगी है। इसकी जानकारी प्रज्ञान रोवर ने सबूतों के साथ दी।