G20 and Women:नई दिल्ली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन की अनगिनत उपलब्धियों में एक अन्य उपलब्धि है विकास के इस वैश्विक मंच पर महिला नेतृत्व की धाक। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मिलोनी, स्पेन की उप राष्ट्रपति नादिया केल्विनो, मेक्सिको की आर्थिक मामलों की मंत्री रकेल ब्युनोरोस्ट्रो, जर्मनी की रक्षा मंत्री उर्सुला गर्ट्रूड वॉन डेर लेयेन ने अपने-अपने राष्ट्रों का प्रतिनिधित्व किया जबकि भारत की वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन, वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाईजेशन की डायरेक्टर जनरल नकोजी ओकोंजो इवोला, आईएमएफ की वर्तमान प्रबंध निदेशक तथा अध्यक्ष अर्थशास्त्री क्रिस्टालिना जॉर्जीवा और उप प्रबंधक भारतीय-अमेरिकी अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ प्रभावी रूप से उपस्थित रहीं।
जी20 के नई दिल्ली शिखर सम्मेलन में उपस्थित महिलाओं ने साबित किया कि महिला नेतृत्व तरक्की, सूझ-बूझ, दूरदर्शिता और “रिजल्ट ओरिएंटेड” होता है। इन महिलाओं ने राजनैतिक पद पर होते हुए असाधारण काम तो किए ही हैं पर इस जी-20 सम्मेलन में महिला प्रतिभा और निर्णायक क्षमता की भूमिका में भी अपना दबदबा बनाया।
दुनिया की तरह जी-20 के देश भी महिलाओं की क्षमता और योग्यता को समझ रहे हैं। आधी आबादी की क्षमता और योगदान को मुख्यधारा में खींचने के जिस विजनरी नेतृत्व को इस आयोजन में भारत ने मजबूती से रखा है वह सराहनीय और अतुलनीय है। जी-20 सम्मेलन में भारत की अध्यक्षता के तहत महिलाओं के लिए डब्ल्यू-20 की भी बैठकें हुई। इसमें जी-20 के सदस्य देशों की महिलाएं शामिल होती हैं।
भारत की अध्यक्षता में अबकी 5 बैठकें हुई हैं जिसमें पांच प्राथमिकता वाले क्षेत्र चुने गए। यह क्षेत्र हैं- उद्यमिता में महिलाएं, जमीनी स्तर पर महिला नेतृत्व, लैंगिक डिजिटल विभाजन को कम करना, शिक्षा और कौशल विकास और जलवायु कार्य में परिवर्तनकारी भूमिका में महिलाओं और लड़कियों की भागीदारी। संगीत नाटक अकादमी की अध्यक्ष डॉ. संध्या पुरेचा डब्ल्यू-20 की अध्यक्ष थी। हाल की G-20 की बैठक भी इन्हीं पांचों लक्ष्यों के इर्द- गिर्द थी।
जलवायु परिवर्तन पर सम्मेलन में विस्तृत चर्चा हुई। मिशन लाइफ के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत ने क्लाइमेट एक्शन में नेतृत्व दिखाया है और 2030 तक 50 प्रतिशत गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता हासिल करने की योजना बनाई है। जलवायु परिवर्तन का प्रभाव महिलाओं पर विशेष रूप से पड़ता है। इस बात पर ज़ोर दिया गया कि इस लैंगिक असमानता को पाटने का हर संभव प्रयास हर स्तर पर जरूरी है। सुनने में यह ज़रा विचित्र लग सकता है पर यह सच है कि जलवायु परिवर्तन से महिलाएं सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य स्तर पर ज्यादा कठिनाइयों का सामना करती हैं। ग्रामीण परिवेश में महिलाएं और लड़कियां भोजन, पानी, ईंधन और ऊर्जा के दूसरे घरेलू संसाधनों को इकट्ठा करने की ज़िम्मेदारी उठाती हैं। बाढ़, सूखे या अत्यधिक वर्षा, जल स्तर में कमी आदि की स्थिति में प्राकृतिक संसाधनों पर उनकी निर्भरता बाधित होती है। इन संसाधनों के इंतज़ाम के लिए इन्हें दूर दूर तक जाना पड़ता है या स्थान परिवर्तन करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में उनकी ऊर्जा और समय का बड़ा भाग व्यर्थ होता है जिसका प्रभाव उनके खान-पान, पोषण और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है।
ऐसे ही और निम्न मध्यम आय वाले देशों में महिलाओं के लिए कृषि क्षेत्र रोज़गार का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है। जलवायु का प्रतिकूल प्रभाव खेती पर सीधे तौर पर पड़ता है। फसल बर्बाद होने की स्थिति मेें परिवार आर्थिक मुश्किलों से गुजरता है। इसकी वजह से कम उम्र की लड़कियों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है जिन्हें मौजूदा आपदाओं और पैसे की कमी को देखते हुए अक्सर स्कूल छोड़ना पड़ता है और बढ़े हुए बोझ के निपटारे में अपने परिवार की मदद करनी पड़ती है।
स्वास्थ्य की बात करें तो बदलता जलवायु महिलाओं की मातृत्व क्षमता को प्रभावित करता है। अनियमित पीरियड्स से लेकर गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे बच्चे को प्रभावित करता है। बेमौसम बरसात में डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियां सिर्फ माँ को नहीं अपितु कोख में पल रहे बच्चे के लिए भी खतरा देता है। जलवायु परिवर्तन का अतिरिक्त बोझ महिलाएं ऐसे ही वहन करती हैं इसलिए इस लैंगिक असमानता को खत्म करने की बात की गई है।
ऐसे ही डिजिटल क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प लिया गया है। विश्वस्तर पर लगभग 1.1 बिलियन (42%) महिलाएं और लड़कियां औपचारिक वित्तीय प्रणाली से बाहर हैं। प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन के अनुसार महिलाओं के डिजिटल और वित्तीय समावेशन का समर्थन किया गया है। डिजिटल प्रौद्योगिकी नवाचार महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण में तेजी ला सकते हैं। परंतु डिजिटल प्रौद्योगिकी और डिजिटल शिक्षा दोनों की पहुंच में लैंगिक अंतर बना हुआ है। भारत ने JAM अर्थात “जनधन- आधार- मोबाइल” प्लेटफॉर्म के माध्यम से महिलाओं के डिजिटल वित्तीय समावेशन को प्राथमिकता दी है। इससे महत्वपूर्ण सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों को सीधे महिलाओं तक पहुंचने में मदद मिली है और महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण हुआ है।
अब डिजिटलीकरण की वजह से महिलाएं घरेलू स्तर पर भी ऐसे बहुत से रोजगार करती हैं जो प्रत्यक्ष रूप से देश के आर्थिक क्षेत्र को प्रभावित करता नहीं दिखता, परंतु ये असंगठित क्षेत्र महिलाओं को आर्थिक सुरक्षा देता है। इनका आर्थिक संरचना के मुख्यधारा में आना आमूलचूल परिवर्तन ला सकता है। गृह सहायिका के रूप में काम करती महिलाएं, महिला मजदूर, घर घर जाकर सेल्समैन का काम करती या ब्यूटी पार्लर अथवा सिलाई बुनाई का काम करती महिलाओं का डिजिटल लेन देन कई मायनों में उपयोगी है। ऐप और ऐसे डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म महिलाओं के काम को औपचारिक तथा वैध बनाते हैं। डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का यह लाभ, व्यावसायीकरण पर ध्यान देने के साथ, महिलाओं के काम की सामाजिक स्वीकार्यता में सुधार करता है।
मात्र महिला सशक्तिकरण महिलाओं की योग्यता का संपूर्ण फल देश समाज को नहीं दे सकता। जब तक महिला नेतृत्व की बात धरातल पर ना दिखे तब तक लक्ष्य असंभव है। जी-20 के सम्मेलन में भारत ने अनेक उदाहरण और आंकड़ों से अपनी बात का समर्थन किया। जैसे पंचायत स्तर पर महिलाओं की भागीदारी से उनके क्षेत्र में किए गए कार्य तुलनात्मक रूप से बहुआयामी साबित होते हैं। विषयों और समस्याओं को लेकर महिलाओं में 360 डिग्री आकलन, समस्या का ज्ञान और उसका प्रभाव ये सारी विशिष्टताएँ उन्हें बेहतर नेतृत्व वाली बनाती हैं। राष्ट्र स्तर पर भी राष्ट्रपति, वित्त मंत्रालय, बाल व महिला कल्याण मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण पद महिलाओं के पास ही हैं।
भारत के जी-20 कार्यक्रम ने शिक्षा क्षेत्र में लड़कियों और कार्यबल में महिलाओं की समावेशी भागीदारी पर जोर दिया। भारत ने STEM में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी को समझाते हुए अपने बात की पुष्टि की कि इन क्षेत्रों में पढाई करके महिलाएं निःसंदेह देश की तकनीकी और प्रोद्योगिकी में अतुलनीय योगदान दे रही हैं।
दुनिया का हर देश अपनी विकास यात्रा में महिलाओं के योगदान के महत्व को समझ रहा है। जी- 20 के देश भी इसे स्वीकारते हैं। हाल के वर्षों में आर्थिक और सामाजिक स्तर पर भारत ने महिलाओं की भागीदारी पुरजोर तरीके से सुनिश्चित की है। इस आयोजन में इसी विजन को केंद्र में रखा गया। जी- 20 के सदस्य देश हर क्षेत्र में लैंगिक विषमता को दूर करने का प्रयास करते हुए भी दिखाई दे रहे हैं।