India-Bangladesh-America: जियो-पॉलिटिक्स में नेताओं के हावभाव काफी मायने रखते हैं। नेताओं की हर एक गतिविधियों के मायने निकलते हैं, खासकर अमेरिकी नेता अपने बॉडी लैंग्वेज से संदेश भेजते हैं, कि उनके विचार किसी दूसरे नेता के लिए क्या हैं।
भारत में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ सेल्फी ली है। हालांकि, सामान्य अंदाज से देखने पर ये महज एक सेल्फी है, लेकिन इसके पीछे की जियो-पॉलिटिक्स को समझें, तो इस सेल्फी के पीछे मोदी सरकार की डिप्लोमेसी की बड़ी जीत मानी जा रही है।
बाइडेन की सेल्फी के क्या हैं मायने?
तस्वीरों से पता चलता है, कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन काफी खुश होकर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ सेल्फी ले रहे हैं। इस फोटो में अमेरिकी राष्ट्रपति को काफी खुश देखा जा रहा है और इस सेल्फी में शेख हसीना के साथ उनकी बेटी साइमा वजीद भी साथ हैं।
बाइडेन ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ उस वक्त सेल्फी लिया है, जब कुछ ही महीने पहले अमेरिका ने शेख हसीना सरकार को देश में निष्पक्ष चुनाव कराने की धमकी दी थी और बांग्लादेश के लिए अलग वीजा नीति का ऐलान कर दिया था।
इस अलग वीजा नीति के तहत, अमेरिका ने कहा था, कि निष्पक्ष चुनाव में बाधा डालने वाले अधिकारियों पर अमेरिका वीजा प्रतिबंध लगाएगा। जिसके बाद शेख हसीना सरकार ने मोदी सरकार से मदद मांगी थी और पिछले महीने आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी सरकार ने बांग्लादेश में अपनी चिंताओं से अमेरिका को अवगत कराया था और बताया था, कि कैसे अमेरिका की पॉलिसी से भारत की सुरक्षा को खतरा है।
मोदी सरकार ने सदस्य नहीं होने के बाद भी बांग्लादेश की प्रधानमंत्री को जी20 शिखर सम्मेलन के लिए बतौर अतिथि देश आमंत्रित किया था और शेख हसीना के साथ बकायदा नरेन्द्र मोदी ने पहले ही दिन द्विपक्षीय बैठक कर अमेरिका को संदेश दे दिया, कि भारत के लिए बांग्लादेश की राजनीति कितनी ज्यादा मायने रखती है।
बांग्लादेश में अमेरिका की राजनीति समझिए
बांग्लादेश में अगले साल जनवरी महीने में लोकसभा चुनाव होने हैं और भारत चाहता है, कि शेख हसीना फिर से बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनें। लेकिन, बांग्लादेश में संसदीय चुनावों से पहले अमेरिका ने यह कहकर भारत की परेशानी बढ़ा दी थी, कि “स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों में बाधा डालने वाले, लोकतंत्र को कमजोर करने वाले या मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों को अमेरिका का वीजा नहीं दिया जाएगा।” वाशिंगटन का इरादा बिल्कुल स्पष्ट है। अमेरिका ने इसी साल जून महीने में प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग सरकार को 2014 और 2018 के पिछले धांधली वाले चुनावों की तरह आगामी आम चुनावों को जीतने के लिए अलोकतांत्रिक, अवैध और अतिरिक्त-संवैधानिक तरीकों का सहारा लेने से रोकने के लिए खुली चेतावनी दी थी।
लेकिन नई दिल्ली चाहता है, कि बांग्लादेश के संसदीय चुनाव में शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी फिर से जीत हासिल करे और शेख हसीना, फिर से बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बने। अगस्त महीने में कोलकाता से प्रकाशित आनंद बाजार पत्रिका ने अज्ञात सूत्रों के हवाले से कहा था, कि बांग्लादेश में आगामी चुनावों को केंद्र में रखकर अमेरिका की मौजूदा भूमिका से भारत खुश नहीं है और यह संदेश वाशिंगटन को भी दिया गया है। रिपोर्ट में कहा गया था, कि साउथ ब्लॉक (भारत के विदेश मंत्रालय की सीट) का मानना है, कि अगर बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी को ‘राजनीतिक रियायत’ दी गई, तो निकट भविष्य में ढाका पर कट्टरवाद का कब्जा हो जाएगा। नई दिल्ली को लगता है, कि अगर बांग्लादेश में हसीना की सरकार कमजोर हुई, तो ये न तो भारत के लिए अच्छा होगा और न ही अमेरिका के लिए। राजनयिक सूत्रों के मुताबिक, नई दिल्ली ने कई स्तरों की बैठकों में बाइडेन प्रशासन को यह बात बताई थी और माना जा रहा है, कि दोनों देशों के बीच बांग्लादेश को लेकर बातचीत भी की गई। राजनयिक खेमे के मुताबिक, अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के फैसले के बाद पूरे इलाके की सुरक्षा व्यवस्था चरमरा गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का पूर्वोत्तर सीमांत क्षेत्र खतरनाक स्थिति में है और भारत नहीं चाहता है, कि बांग्लादेश सीमा पर भी उसके लिए परेशानी पैदा हो।
शेख हसीना सरकार से क्यों चिढ़ता रहा है अमेरिका?
एक तरफ तो अमेरिका को शेख हसीना सरकार के बारे में इतनी गहरी गलतफहमी है, कि वह उन्हें सत्ता से बेदखल करना चाहता है। जबकि, दूसरी ओर, भारत की विदेश नीति-सह-सुरक्षा प्रतिष्ठान की सबसे बड़ी प्राथमिकता, शेख हसीना को जनवरी 2024 में होने वाले चुनाव में किसी भी कीमत पर लगातार चौथे कार्यकाल के लिए फिर से निर्वाचित करवाना है। यानि, बांग्लादेश में भारत बनाम अमेरिका की एक अलग प्रतिस्पर्धा चल रही है। अमेरिका का मानना है, कि बांग्लादेश की शेख हसीना सरकार चुनाव में धांधली और अनियमितताओं के आधार पर चुनाव जीतती है, जबकि भारत की नीति हमेशा से अवामी लीग को समर्थन देने की रही है। बांग्लादेश की विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी), जिसकी प्रमुख खालिदा जिया हैं, वो हमेशा से भारत विरोधी और पाकिस्तान समर्थक रही हैं और भारत नहीं चाहता, कि खालिदा जिया वापस सत्ता में आएं और ढाका में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई एक बार फिर से अपने पैर जमाए।
लिहाजा, सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में बताया गया है, कि नई दिल्ली ने बाइडेन प्रशासन से कहा है, कि अगर जमात को संरक्षण दिया गया, तो भारत का सीमा पार आतंकवाद बढ़ सकता है और बांग्लादेश में चीन का प्रभाव बहुत बढ़ जाएगा, जो शायद वाशिंगटन नहीं चाहेगा। माना जा रहा है, कि अमेरिका हमेशा जमात को इस्लामिक राजनीतिक संगठन दिखाने की कोशिश करता रहा है। अमेरिका ने जमात की तुलना मुस्लिम ब्रदरहुड से की है, लेकिन हकीकत में, रिपोर्ट में कहा गया है, नई दिल्ली को इसमें कोई संदेह नहीं है, कि जमात कट्टरपंथी कट्टरपंथी संगठनों और पाकिस्तान के हाथों में है। वहीं, हाल ही में बांग्लादेश अवामी लीग के पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने नई दिल्ली का दौरा किया और बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व और केंद्र सरकार के मंत्रियों के साथ बैठकें कीं हैं। सूत्रों के मुताबिक, इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने बताया, कि पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया की राजनीतिक पार्टी बीएनपी और जमात का गठबंधन, क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के लिहाज से खतरनाक है।
बाइडेन-शेख हसीना में समझौता प्रतिनिधिमंडल के नेता, बांग्लादेश के कृषि मंत्री अब्दुर रज्जाक ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ इस बाबत बैठक भी की थी और फिर दिल्ली ने वॉशिंगटन को साफ शब्दों में कहा था, कि वो बांग्लादेश में अपने हितों से किसी भी हालत में समझौता नहीं करेगा। औस बाइडेन की शेख हसीना के साथ ली गई ये सेल्फी, शायद इस बात का संकेत हो सकती है, कि बाइडेन प्रशासन और शेख हसीना सरकार के बीच समझौता हो गया है और बाइडेन प्रशासन ने शायद भारत की बातों को समझ लिया है। इसके संकेत इस बात से भी मिलते हैं, कि खालिदा जिया की पार्टी ने शेख हसीना और बाइडेन की सेल्फी पर तिखी प्रतिक्रिया दी है। खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ प्रधान मंत्री शेख हसीना की सेल्फी को लेकर, अवामी लीग के नेताओं द्वारा दिखाए गए उत्साह की कड़ी आलोचना की और कहा, कि उन्हें “इस सेल्फी को माला बनाकर अपने गले में पहन लेना चाहिए।”
जाहिर है, बीएनपी इस सेल्फी से खुश नहीं है। लेकिन, अगर सेल्फी के पीछे के ये संकेत सही हैं, तो निश्चित तौर पर बांग्लादेश और अमेरिका के संबंधों के बीच भारत की ये एक बड़ी डिप्लोमेटिक जीत है।