One Nation One Election: इस साल के अंत तक पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. वहीं अगले साल मई-जून तक देश नया पीएम चुन लेगा. कहा जाता है कि भारत में हमेशा कहीं न कहीं चुनाव होते रहते हैं. इसकों लेकर देश चुनावी मोड में रहता है. वहीं, चुनाव की वजह से देश को करोड़ों रुपए खर्च करना पड़ता है. इसी को देखते हुए केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. माना जा रहा है कि सरकार देश में ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ के मुद्दे पर गंभीर दिखाई दे रही है और इस पर बिल ला सकती है.
पांच दिनों का विशेष सत्र
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार ने ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ पर कमेटी का गठन किया है जो इससे जुड़े सभी बिंदुओं पर चर्चा कर सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी. रिपोर्ट के मुताबिक इस कमेटी की कमान पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद संभालेंगे. इससे पहले संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद पटेल ने जानकारी दी है कि 18 से 22 सितंबर के बीच संसद का विशेष सत्र बुलाया जा रहा है. माना जा रहा है कि केंद्र सरकार इस सबंध में कोई बिल ला सकती है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस पांच दिनों के विशेष सत्र के दौरान समान नागरिक संहिता(UCC) और महिला आरक्षण विधेयक भी ला सकती है. हलांकि सरकार की ओर से इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई है.
चुनावी खर्च कम होंगे
पीएम मोदी ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ की बात कई बार कर चुके हैं. वहीं चुनाव समीक्षकों का मानना है कि इससे चुनाव पर होने वाले करोड़ों के खर्च से राहत मिलेगी. देखा जाता रहा है कि हर चुनाव पर होना वाला खर्च पिछले चुनाव पर होने वाले खर्च से अधिक होता है. रिपोर्ट के मुताबिक साल 1951-52 में लोकसभा चुनाव में मात्र 11 करोड़ रुपए खर्च हुए थे वहीं 2019 के खर्च के मुताबिक ये 60 हजार करोड़ खर्च हुए. वहीं. इसके साथ ही देश हमेशा चुनावी मोड में रहता है और कई नई योजनाएं आचार संहिता की वजह से लागू नहीं हो पाती है जिसकी वजह से लोगों को योजना का लाभ नहीं मिल पाता है. ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ से चुनाव में लोगों की भागेदारी बढ़ेगी और मतदान प्रतिशत भी बढ़ेगा.