चीन के मानचित्र में अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को दिखाये जाने पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। मंगलवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि हमने इस पर डिप्लोमेटिक चैनल के माध्यम से विरोध जताया है।
चीन के स्टैंडर्ड मैप को लेकर बागची ने कहा कि हमने आज चीनी पक्ष के साथ राजनयिक चैनलों के माध्यम से कड़ा विरोध दर्ज कराया है, जो भारत के क्षेत्र पर दावा करता है । हम इन दावों को खारिज करते हैं क्योंकि इनका कोई आधार नहीं है।
इसके साथ अरिंदम बागची ने कहा कि चीन के ऐसे कदम सीमा विवाद को हल करने के मुद्दे को और मुश्किल बनाएंगे। वहीं इससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी चीन की इस हरकत की निंदा की थी।
एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि चीन को ऐसे नक्शे जारी करने की आदत है। भारतीय विदेश मंत्री कहा कि ऐसे दावे करने से दूसरों का एरिया उनका नहीं हो जाता। जयशंकर ने कहा कि भारत के कुछ हिस्सों के साथ नक्शा जारी करने से कुछ भी नहीं बदलेगा। सरकार को पता है कि हमें अपने क्षेत्र में क्या करना है।
इससे पहले चीन ने 28 अगस्त को आधिकारिक तौर पर अपने स्टैंडर्ड मैप 2023 संस्करण को जारी किया था। चीन ने इस मैप में अरुणाचल प्रदेश, अक्साई चिन क्षेत्र, ताइवान और विवादित दक्षिण चीन सागर पर उसके दावों सहित अन्य विवादित क्षेत्रों को शामिल किया है। इसके अलावा, मानचित्र में ताइवान के अलग द्वीप और दक्षिण चीन सागर के एक बड़े हिस्से पर दावा करने वाली नाइन-डैश लाइन पर चीन के दावों को भी शामिल किया गया है।
चीन की तरफ से ये नया मानचित्र उस वक्त जारी किया गया है, जब इसी महीने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दक्षिण अफ्रीका में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात की थी और इस मुलाकात को लेकर कहा गया, कि दोनों नेता सीमा पर जल्द शांति स्थापित करने के लिए सहमत हुए हैं।