PM Memorial Museum: कांग्रेस के विरोध के बीच नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसायटी का नाम बदल दिया गया है. जानिए इस मामले पर विवाद क्यों छिड़ा है और एनएमएमएल का इतिहास क्या है.
Nehru Museum Row: दिल्ली के तीन मूर्ति भवन परिसर में स्थित नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (NMML) का नाम बदल दिया गया है. इसका नाम अब ‘प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय सोसाइटी’ कर दिया गया है. कांग्रेस (Congress) समेत कई विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार के इस फैसले की आलोचना की है.
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि केंद्र पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू की विरासत को मिटाने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने बुधवार (16 अगस्त) को कहा कि ये ओछी और छोटी राजनीति का परिचायक है और सूरज को दिया दिखाने जैसा है. पीएम मोदी ने नौ सालों में एक ऐसा काम नहीं किया जिससे उनका नाम इतिहास में दर्ज हो.
कांग्रेस ने लगाए केंद्र पर आरोप
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा कि आज से एक प्रतिष्ठित संस्थान को नया नाम मिला. विश्व प्रसिद्ध नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय (एनएमएमएल), पीएमएमएल-प्रधानमंत्री स्मारक संग्रहालय और पुस्तकालय बन गया है. पीएम मोदी के पास भय, जटिलताओं और असुरक्षाओं का एक बड़ा बंडल है, खासकर जब बात हमारे पहले और सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले प्रधानमंत्री की आती है.
जयराम रमेश ने आगे कहा कि उनका एकमात्र एजेंडा नेहरू और नेहरूवादी विरासत को नकारना, विकृत करना, बदनाम करना और नष्ट करना है. उन्होंने एन को मिटाकर उसकी जगह पी डाल दिया है. लगातार हमले के बावजूद, जवाहरलाल नेहरू की विरासत दुनिया के सामने जीवित रहेगी और वह आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे.
जानिए नेहरू म्यूजियम का इतिहास
नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय (एनएमएमएल) को 1929-30 में शाही राजधानी के तौर पर सर एडविन लुटियंस ने डिजाइन किया था. ये अंतिम ब्रिटिश कमांडर-इन-चीफ का आधिकारिक घर था और इसे तीन मूर्ति हाउस के नाम से जाना जाता था. अंग्रेजों के भारत छोड़ने के बाद ये देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का आवास बन गया.
जवाहरलाल नेहरू यहां 16 वर्षों तक रहे और उनकी मृत्यु के बाद सरकार ने उनके सम्मान में तीन मूर्ति हाउस को एक संग्रहालय और पुस्तकालय में बदलने का फैसला लिया. इसका उद्घाटन 14 नवंबर 1964 को तत्कालीन राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने किया था. इसके प्रबंधन के लिए 1966 में नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और लाइब्रेरी सोसाइटी का गठन किया गया था.
जून में लिया गया नाम बदलने का फैसला
ये भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्थान है, जहां देश के पत्रकार, लेखक, रिर्सच स्टूडेंट नेहरू के समय की सरकारों और उनकी नीतियों व समकालीन देशों की किताबों को पढ़ते हैं. इस सोसाइटी में एक अध्यक्ष और 29 सदस्य हैं. पीएम मोदी इसके अध्यक्ष हैं और 29 सदस्यों में कई केंद्रीय मंत्री शामिल हैं. एनएमएमएल की कार्यकारी परिषद ने 2016 में मेमोरियल को देश के सभी प्रधानमंत्रियों को समर्पित एक संग्रहालय स्थापित करने की मंजूरी दी थी. 16 जून 2023 को इसका नाम बदलने का फैसला लिया गया था.
विपक्षी नेताओं ने की आलोचना
केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कांग्रेस सांसद मनिकम टैगोर ने कहा कि ये हमारे पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू के खिलाफ नफरत है. वे आजादी दिलाने के क्रम में लिए जेल गए. पीएम मोदी वाजपेयी जी की पुण्य तिथि पर पंडित नेहरू की उस विरासत को मिटाना चाहते हैं जिसे पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्त्री और पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने बनाया था. पंडित नेहरू लोगों के दिलों में रहते हैं और उन्हें पूरे भारत में प्यार मिलता है.
आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि ये बीजेपी की संस्कृति को दर्शाता है, जहां मृत व्यक्ति का भी अपमान किया जाता है. जवाहरलाल नेहरू हमारे देश के पहले प्रधानमंत्री थे. वह एक स्वतंत्रता सेनानी थे और उन्होंने महान योगदान दिया था. ये बीजेपी की ओछी राजनीति को दर्शाता है.
बीजेपी ने किया पलटवार
कांग्रेस पर पलटवार करते हुए बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस और जयराम रमेश व पीएम नरेंद्र मोदी की सोच में बुनियादी अंतर है. वे (कांग्रेस) सोचते हैं कि केवल पंडित नेहरू और परिवार ही मायने रखते हैं. नरेंद्र मोदी ने देश के सभी प्रधानमंत्रियों को म्यूजियम में सम्मानजनक स्थान दिया. लाल बहादुर शास्त्री को वहां क्यों नहीं मिली जगह? जब सभी प्रधानमंत्रियों को जगह मिल रही है, तो यह प्रधानमंत्री स्मृति पुस्तकालय बन रहा है.