France independence day message to India: भारत आज अपना 77वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है और आज भारत की आजादी के 76 साल पूरे हो चुके हैं। आजादी के मौके पर विभिन्न वैश्विक नेताओं की तरफ से भारत को शुभकामना संदेश मिल रहे हैं। लेकिन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को संबोधित करते हुए भारतवासियों को भावुक संदेश भेजा है।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएलन मैक्रों ने सोशल मीडिया एक्स, जिसे पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था, उसपर एक वीडियो ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने वादा करते हुए हमेशा भारत का साथ देने की बात कही है।
फ्रांस के राष्ट्रपति ने दिया वीडियो संदेश
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने एक वीडियो ट्वीट करने के साथ लिखा है, कि “स्वतंत्रता दिवस पर भारतवासियों को हार्दिक बधाई।” “एक महीने पहले पेरिस में, मेरे मित्र (नरेन्द्र मोदी) और मैंने भारत की स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष, 2047 तक नई भारत-फ्रांस महत्वाकांक्षाएं निर्धारित कीं। भारत एक विश्वसनीय मित्र और भागीदार के रूप में फ्रांस पर भरोसा कर सकता है, हमेशा। फ्रांस के राष्ट्रपति का ये वादा बहुत बड़ा है और उन्होंने भारत के लोगों से हमेशा फ्रांस पर यकीन करने की अपील की है और कहा है, कि फ्रांस, हमेशा भारत के साथ खड़ा रहेगा।
अतीत में फ्रांस का जो इतिहास रहा है, उसे देखते हुए भारत का विश्वास, फ्रांस के वादे को लेकर और भी ज्यादा बढ़ जाता है। क्योंकि, जब अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया था और अमेरिका के साथ साथ यूरोपीय देशों ने भारत पर प्रतिबंध लगा दिए थे, उस वक्त फ्रांस अकेला यूरोपीय देश था, जिसने भारत पर प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया था।
फ्रांस के राष्ट्रपति ने एक वीडियो संदेश भारत के लिए जारी किया है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जब फ्रांस की तरफ से सर्वोच्च सम्मान मिला था, उससे उस वीडियो की शुरूआत होती है। इस वीडियो में कहा जा रहा है, कि “नरेन्द्र मोदी, फ्रांसीसी गणराज्य के नाम पर, हम आपको ‘लीजन ऑफ़ ऑनर के सम्मान से उच्चतम स्थान देते हैं।’
इसपर प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं, “यह सम्मान सिर्फ मेरे लिए नहीं है, बल्कि मेरे लिए 140 करोड़ साथी भारतीयों के लिए भी है। इसीलिए, यह वास्तव में एक महान सम्मान है। यह वास्तव में महान सम्मान है और मैं आपका आभारी हूं।” जिसपर फ्रांस के राष्ट्रपति कहते हैं, कि “फ्रांस का ये सर्वोच्च सम्मान नेपोलियन-प्रथन द्वारा स्थापित है।” वीडियो में आगे कहा जा रहा है, कि “प्रिय नरेन्द्र मोदी, 14 जुलाई को आपकी उपस्थिति हमारे लिए बहुत बड़ा सम्मान है। एक सदी पहले 1916 में, इसी पेरिस शहर में, यही शांजेलिजे पर, भारतीय सैनिक हमारे फ्रांसीसी सैनिकों के साथ मिलकर लड़ने आए थे।”
वीडियो में आगे कहा जा रहा है, कि “आज, हमारे दोनों देशों के बीच, यह ऐतिहासिक विश्वाक के रिश्ते को और मजबूत करते करेंगे। अंतर्राष्ट्रीय संकटों और महत्वपूर्ण वैश्विक चुनौतियों का, सामना करने के लिए साथ काम करेंगे। इसका प्रभाव वास्तव में काफी महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि यह हमारे देश के लिए, एक महान क्षण है।”
फ्रांस क्यों रहा है विश्वसनीय दोस्त
फ्रांस दशकों से यूरोप में भारत के सबसे करीबी साझेदारों में से एक रहा है। 1998 में भारत ने जब परमाणु परीक्षण किया था, तो फ्रांस एकमात्र यूरोपीय देश था, जिसने भारत पर प्रतिबंध नहीं लगाया था। दस साल बाद, जब भारत को अपनी असैन्य परमाणु योजनाओं के लिए परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह से छूट मिली, तो फ्रांस इस समझौते पर हस्ताक्षर करने वाला पहला देश था। भारत पिछले चार दशकों से फ्रांसीसी लड़ाकू विमानों पर निर्भर है। 2015 में डसॉल्ट एविएशन (AM.PA) राफेल खरीदने से बहुत पहले, भारत ने 1980 के दशक में फ्रांस से ही मिराज जेट खरीदे थे, जिसमें अभी भी वायु सेना के दो स्क्वाड्रन शामिल हैं। ये वो दौर था, जब अमेरिकी हथियार के बारे में सोचना भी भारत के लिए सपने की बात थी। अमेरिका उस दौर में चीन और पाकिस्तान के करीब था। साल 2005 में, भारत ने फ्रांस से 188 अरब रुपये (2.28 अरब डॉलर) में छह स्कॉर्पीन श्रेणी की डीजल पनडुब्बियां खरीदीं थीं, जिनका निर्माण फ्रांसीसी नौसेना समूह के साथ साझेदारी में मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स (एमडीएल) (एमएजेडजी.एनएस) में किया गया है और इस पनडुब्बी ग्रुप की आखिरी पनडुब्बी को अगले साल चालू कर दिया जाएगा।