भारत इस बार 15 अगस्त को 77वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। आजादी का जश्न देश भर में बड़ी धूमधाम से मनाने की तैयारी चल रही है। वहीं आपको ये जानकर ताज्जुब होगा कि देश की कुछ ऐसी जगहें हैं जहां पर स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त नहीं बल्कि तीन दिन बाद 18 अगस्त को मनाया जाता है आइए जानते हैं वो कौन सी जगहें हैं और ऐसा क्यों है?
18 अगस्त को मनाया जाता है स्वतंत्रता दिवस
ये पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्से हैं जहां पर 15 अगस्त नहीं बल्कि 18 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस देश की स्वतंत्रता के बाद से मनाया जाता रहा है। पश्चिम बंगाल की ये जगहें नदिया और मालदा हैं, जहां पर 18 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है।
आखिर क्या है वजह
18 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाने के पीछे बड़ी ही रोचक कहानी ये है कि 15 अगस्त 1947 को जब पूरा भारत देश आजाद हुआ था तब ये पश्चिम बंगाल का नदिया और मालदा जिला अधिकारिक रूप से भारत का हिस्सा नहीं थे। 18 अगस्त 1947 को इन दोनों जिलों को भारत में शामिल किया गया था।
अफसर ने कर दी थी ये बड़ी गलती
दरअसल, बंगाल के ये दो जिले भारत में शामिल नहीं हुए थे, इसकी वजह अग्रेंज अधिकारी सिरिल रेडक्लिप की एक बड़ी गलती थी। जिसने पहली बार भारत का गलत मैप बना दिया था। इस अधिकारी ने भारत के विभाजन के मैप का जो सीमांकन किया उसमें हिंदू बहुल्य जिले मालदा और नदिया को पूर्वी पाकिस्तान जो किअब बांग्लादेश में है, के हवाले कर दिया था।
विरोध के बाद आनन-फानन में जारी करना पड़ा था ये फरमान
बता दें 12 अगस्त 1947 को तत्कालीन वायसरॉय लुईस माउंटबेटन ने 15 अगस्त 1947 को भारत देश को आजादी दी जाएगी ये ऐलान किया था। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार माउंटबेटन की इस घोषणा के बाद भारत-बांग्लदेश सीमा के पास ग्रामीणों ने बड़े स्तर पर प्रदर्शन किया। ग्रामीणों ने कहा श्यामा प्रसाद मुखर्जी और शाही परिवार के लोगों ने कोलकाता में बिट्रिश प्रशासन तक विरोध किया। जब ये बात माउंटबेटन को पता चली तो उन्होंने बिना देरी किए विभाजन का फरमान जारी कर दिया और इसके बाद हिंदू बहुल दोनों जिलों को भारत को सौंपा गया और मुस्लिम बहुल जिलों को पूर्वी पाकिस्तान को सौंप दिया।
तभी से 15 नहीं 18 अगस्त को मनाते हैं स्वतंता दिवस
माउंटबेटन के इस आदेश के बाद 17 अगस्त की रात ये जिले और उसके अंतर्गत आने वाले गांव और कस्बे भारत के क्षेत्र में मिलाए गए। जिसके बाद वो भारत का हिस्सा 18 अगस्त को बने। यही कारण है कि भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित कई गांव आज भी स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त नहीं 18 अगस्त को मनाते हैं।
जानिए कौन से हैं वो गांव
पश्चिम बंगाल के नदिया जिले का शिबानीबाश, शांतिपुर, कल्याणी, बोनगांव, रानाघाट, कृष्णानगर, शिकारपुर और करीमपुर जो भारत-पाकिस्तान के बटंवारे के समय पूर्वी पाकिस्तान में चले गए थे वहीं मालदा जिले का रतुआ और दक्षिण दिनाजपुर का बेलूरघा गांव ऐसे ही पाकिस्तान सीमा क्षेत्र में गलती से चला गया था। जिसे बाद में 15 अगस्त के बाद भारत की सीमा क्षेत्र में शामिल किया गया था।