लोकसभा के मानसून सत्र में इस बार मणिपुर का मुद्दा छाया रहा। 20 जुलाई से 11 अगस्त तक चले इस मानसून सत्र के दौरान विपक्षी दल लगताार मणिपुर हिंसा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी चुप्पी तोड़ने की मांग को लेकर लगातार हंगामा करते रहे हैं।
वहीं कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि अगर सरकार चाहती तो मणिपुर में भारतीय सेना भेजकर हिंसा रोक सकती थी। वहीं राहुल गांधी के इस बयान पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा ने पटलवार करते हुए कांग्रेस सांसद से सवाल किया है क्या नागरिकों पर गोलियां चलानी चाहिए?
‘समाधान दिल से आना चाहिए, गोलियों से नहीं’ सरमा ने कहा कि वो ऐसा कैसे कह सकते हैं। मणिपुर में भारतीय सेना कुछ भी हल नहीं कर सकेगी। वे केवल अस्थायी रूप से शांत हो पाएंगे, या दी गई स्थिति में शांति ला पाएंगे इसके साथ उन्होंने कहा 100 दिनों से अधिक समय से जारी जातीय हिंसा का समाधान दिल से आना चाहिए, गोलियों से नहीं। क्या वो नागरिकों को गोली चलाने की सलाह दे रहे हैं सरमा ने सवाल किया कि क्या कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, जिन्होंने सुझाव दिया था कि सेना संघर्षग्रस्त पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में हिंसा दो दिनों में रोक सकती थी, क्या वो सेना को नागरिकों पर गोली चलाने की सलाह दे रहे हैं।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अविश्वास प्रस्ताव के दौरान संसद संबोधन में मिजोरम में 1966 में इंदिरा गांधी के कार्यकाल में करवाई गई “मिजोरम एयर स्ट्राइक बमबारी” का जो जिक्र किया था,असम सीएम ने अपने संबोधन में इस बात को भी दोहराया।
गुवाहाटी में संवाददाताओं से कहा इंडियन एयरफोर्स को आइजोल में ऐसा किया, उन्होंने हिंसा रोकने के लिए बम बरसवाए, आज, राहुल गांधी कह रहे हैं कि भारतीय सेना को हिंसा से बचना चाहिए। इसका क्या मतलब है? उन्हें नागरिकों पर गोलियां चलानी चाहिए? क्या यह उनका नुस्खा है?