No Confidence Motion Discussion: किरेन रिजिजू बोले- प्रस्ताव पर विपक्ष पछताएगा
लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा जारी है. केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रस्ताव पर विपक्ष पछताएगा. हम 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाएंगे. उन्होंने मणिपुर का जिक्र भी किया. केंद्रीय मंत्री ने मणिपुर में समुदायों के बीच संघर्ष का जिक्र करते हुए कहा, ”ऐसा मत सोचिए कि आज उसकी चिंगारी अचानक से उत्पन्न हुई है. वर्षों से आपका नेगलिजेंस, वर्षों से जो आपने नॉर्थ-ईस्ट को अपने पर मरने के लिए छोड़ दिया, हेंड होल्डिंग के लिए आपने सोचा नहीं है, उसी का नतीजा है. मैं आज वायलेंस को लेकर डिटेल में नहीं कहूंगा क्योंकि गृह मंत्री जी जब इंटरवेंशन करेंगे स्पेसिफिकली इस बात को कहेंगे, इसलिए मैं सिर्फ ऊपर की जो परिस्थिति है, उसको बताना चाहता हूं. मणिपुर के अंदर में हमारे देश के सबसे ज्यादा मिलिटेंसी ऑर्गनाइजेशन उत्पन्न हुए. आपको ये समझना पड़ेगा कि 2014 के बाद मोदी जी इस देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर जब बैठे, उसके बाद पूरे नॉर्थ-ईस्ट में एक भी नया कोई मिलिटेंसी गुट खड़ा नहीं हुआ.”
10 अगस्त को लोकसभा में बोल सकते हैं PM मोदी
लोकसभा सचिवालय के सूत्रों के मुताबिक, गुरुवार (10 अगस्त) को भी लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर 3 से 4 घंटे की चर्चा हो सकती है, जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन में अपना बयान देंगे. पीएम मोदी दोपहर 3-4 बजे के आसपास बोल सकते हैं.
No Confidence Motion Discussion: केंद्रीय मंत्री नारायण राणे और शिवसेना (यूबीटी) सांसद के बीच तू-तड़ाक
लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान लोकसभा में केंद्रीय मंत्री नारायण राणे और शिवसेना (यूबीटी) के सांसद अरविंद गणपत सावंत के बीच तू-तड़ाक हुआ. पहले अरविंद सावंत ने अविश्वास प्रस्ताव पर अपना पक्ष रखा, इसके बाद नारायण राणे ने बोलना शुरू किया तो सदन में हंगामा होने लगा. इस पर नारायण राणे ने कहा, ”अरे बैठ, नीचे बैठ…” अपनी बात रखते हुए मंत्री बोले उठे, ”तुम्हारी औकात में निकालूंगा…”
No Confidence Motion Discussion: कांग्रेस नेता मनीष तिवारी बोले, ‘…तो असर पूरे उत्तर-पूर्व पर पड़ता है’
लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा, ”किसी भी सरकार का मूल्यांकन पांच बिंदुओं पर किया जाता है, सबसे पहले राष्ट्रीय सुरक्षा, दूसरा आर्थिक विकास, तीसरा सांप्रदायिक सद्भाव, चौथा संस्थाओं की स्वायत्तता और पांचवां कूटनीति या अंतरराष्ट्रीय रिश्ते, यह दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि इन पांचों बिंदुओं के ऊपर पिछले 9 वर्ष में ये सरकार पूरी तरह से विफल रही. यह विश्वास प्रस्ताव मणिपुर को केंद्रित करते हुए इस सदन के समक्ष रखा गया है, इसलिए मणिपुर की जो सामरिक संवेदनशीलता है, उसे मुख्य रखते हुए अपनी बात मैं सदन में रखना चाहता हूं.” इसी के साथ कांग्रेस नेता ने अपने भाषण के दौरान कहा, ”मणिपुर के एक तरफ म्यांमार लगता है, दूसरी तरफ नगालैंड, असम, मिजोरम जैसे राज्य लगते हैं, इसलिए जब भी उत्तर-पूर्व के किसी राज्य में जब वहां पर सामाजिक उथल-पुथल होती है, जब वहां की स्थिरता भंग होती है तो असर सिर्फ उस राज्य पर नहीं पड़ता, पूरे उत्तर-पूर्व के ऊपर पड़ता है.”