चंडीगढ़ , 24 जुलाई। सरकार की ओर से शुरू की गई चिराग योजना का आरसी लाभ गरीब विद्यार्थियों को मिले या न मिले पर इसका सबसे ज्यादालाभ प्राइवेट शिक्षण संस्थाओं को जरूर मिलेगा। अगर देखा जाए तो प्रदेश सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से प्राइवेट शिक्षण संस्थाओं को बढ़ावा दे रही है, इससे साफ प्रतीत हो रहा है कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों को बंद करने की साजिश की जा रही हैै। शिक्षा निजी संस्थानों के हाथ में सौंपकर सरकार अपने जिम्मेदार से पल्ला झाडऩा चाहती है। यह बात पूर्व केंद्रीय मंत्री, पूर्व कांगे्रस प्रदेशाध्यक्ष, अखिल भारतीय कांगे्रस कमेटी की राष्ट्रीय महासचिव व छत्तीसगढ़ की प्रभारी कुमारी सैलजा ने मीडिया को जारी एक बयान में कही है।
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है। वह सरकारी स्कूलों को बढ़ावा देने के बजाए प्राइवेट स्कूलों को बढ़ावा दे रही है, सरकारी स्कूलों में हजारों पद खाली पड़े है उन्हें भरने की ओर सरकार का कोई ध्यान नहीं है, कोर्ट का बहाना लेकर सरकार जनता को गुमराह कर रही है, अगर उसके कार्य में इतनी पारदर्शिता होती तो लोगों को कोर्ट ही न जाना पड़ता। सरकारी स्कूली के इंफ्र ा स्ट्रक्चर पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है, शिक्षा की गुणवत्ता पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
अगर सरकार की ओर से सब कुछ ठीक होता तो अभिभावक प्राइवेट स्कूलों में बच्चों का दाखिला न कराते। गरीब के बच्चे को शिक्षा से दूर करने की साजिश की जा रही है, चिराग योजना से सरकार कितने गरीब बच्चों का भला कर सकते है। उन्होंने कहा कि इस योजना का इसके लिए ऐसे बच्चों को दिया जाएगा जिनके परिवार की वार्षिक आय 1.80 लाख रुपये से कम होना बेहद जरूरी है। योजना के शुरुवाती दौर में सरकार ने लगभग 25,000 छात्रों को जो कक्षा दो से 12 वीं तक होंगे इसका लाभ देगी।
उन्होंने कहा कि सरकार ने इससे पहले भी गरीब बच्चों को शिक्षा देने के लिए नियम 134-ए के तहत पहले भी निजी स्कूलों के साथ काम किया है। इस नियम को चिराग योजना लाने के बाद सरकार ने बंद कर दिया। पहले योजना में भी गरीब बच्चे दाखिले के लिए भटकते रहे क्योंकि निजी स्कूलों ने उन्हें दाखिला देने से साफ इंकार कर दिया था क्योंकि सरकार निजी स्कूलों का भुगतान लटका रही थी। योजनाओं का नाम बदलने से गरीब बच्चों का भला होने वाला नहीं है, सरकारी स्कूलों की स्थिति सुधारकर बच्चों को वहां पर अच्छी शिक्षा दी जा सकती है। सरकार की लचर व्यवस्था के चलते ही सरकारी स्कूलों का परीक्षा परिणाम प्राइवेट स्कूलों से बहुत पीछे हैं। सरकार को शिक्षा और शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाना होगा अगर शिक्षा भी प्राइवेट हाथों में सौंप दी गई तो गरीब के बच्चों से उनका शिक्षा का अधिकार छीन लिया जाएगा।