लुधियाना,दिलबाग दानिश। पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 से पहले राज्य में कांग्रेस में उथल-पुथल मची रही। तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह व तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बीच की राजनीतिक लड़ाई का फायदा ठगों ने उठाया है।
टिकटों के बंटवारे को लेकर दोनों नेताओं के बीच चल रही बयानबाजी की खबरें अखबारों में प्रकाशित होती थीं।
ठग नेताओं को यह कटिंग भेजते थे और बताते थे कि टिकट का फैसला चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की सलाह पर राहुल गांधी करेंगे। इसके लिए सर्वे किया जा रहा है। ऐसे में नेता झांसे में आ जाते थे। आरोपितों ने माना की उन्होंने अलग-अलग नेताओं से लगभग 30 करोड़ रुपये ठगे हैं। लुधियाना के थाना डेहलों में दर्ज केस की दो साल तक की गई जांच में सामने आया है कि आरोपित गौरव शर्मा कुछ कांग्रेस नेताओं को झांसे में फंसाने के लिए प्रशांत किशोर बनकर उनकी आवाज में बात करता था।
गिरफ्तार किए गए तीनों आरोपित इतने शातिर हैं कि किसी भी कांग्रेस नेता को रुपये लेकर एक बार जिस जगह बुलाते थे, उसे दूसरी बार वहां आने के लिए कभी नहीं कहते थे। हर नेता के लिए उसके राजनीतिक कद और हैसियत के अनुसार ठगने की साजिश रची गई थी। किसी को यह लोग प्रशांत किशोर की ओर से कांग्रेस विधायकों के साथ की गई बैठकों की कटिंग और वीडियो भेजते थे तो कुछ को कैप्टन अमरिंदर सिंह और राहुल गांधी से मुलाकात करवाने का झांसा देते थे।
खास बात यह है कि ठगों के पास कैप्टन, सिद्धू व प्रशांत किशोर से जुड़ी आंतरिक बैठकों की पूरी जानकारी होती थी। यहां तक इन बैठकों की जानकारी पार्टी के पंजाब के अन्य बड़े नेताओं व मीडिया को भी नहीं होती थी। ठग इन बैठकों में हुई खींचतान या फैसलों की जानकारी नेताओं को देते और उन्हें पूरी तरह से विश्वास में लेते थे। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस छोड़कर आम आदमी पार्टी (आप) में शामिल हुए लुधियाना के आत्मनगर के विधायक कुलवंत सिद्धू से राहुल का नाम लेकर 2.56 करोड़ की ठगी की गई थी।
उन्होंने जब ठगी की बात बताई तो अन्य नेता भी सामने आए तब पता चला कि ऐसे कई नेताओं से ठगी हुई है। यह मामला अब अदालत में चल रहा है। इसकी सुनवाई शुक्रवार को लुधियाना की अदालत में होगी। अमृतसर के रहने वाले आरोपित राकेश कुमार, रजत कुमार और गौरव शर्मा कांग्रेस नेताओं को ठगने के लिए वाट्सएप पर ही बात करते थे।
पुलिस को दिए बयान में मानसा के संधूरा सिंह ने बताया कि एक व्यक्ति उनके घर आकर मोबाइल नंबर देकर गया था। उस नंबर पर वह लोग वाट्सएप काल करते थे। उन्हें वाट्सएप चैट में प्रशांत किशोर की विधायकों और मुख्यमंत्री के साथ हुई बैठकों की तस्वीरें भी भेजी गईं थी। उन्हें इतना यकीन हो गया था कि उन्होंने उनका नंबर भी प्रशांत किशोर के नाम से मोबाइल में सेव कर रखा था।