Pankaja Munde: महाराष्ट्र में शिवसेना और भाजपा की डबल इंजन सरकार में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अजीत पवार के जुड़ जाने से ट्रिपल इंजन की सरकार भले ही मजबूत हो गई हो लेकिन पंकजा मुंडे की नाराजगी ने रंग में भंग डाल दिया है। भाजपा की राष्ट्रीय सचिव और मध्य प्रदेश की सह प्रभारी पंकजा मुंडे ने इस तीन दलों के गठबंधन पर अपनी नाराजगी जताते हुए कहा है कि सरकार भले मजबूत हुई हो, लेकिन कार्यकर्ताओं का मनोबल कमजोर हुआ है। और किसी के लिए हो न हो, पंकजा के लिए यह जरूर मनोबल तोड़ने वाला दिन था क्योंकि 2019 के विधानसभा चुनाव में उनको हराने वाले उनके ही चचेरे भाई धनजंय मुंडे अजीत पवार के साथ एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल हो रहे थे।
अपनी ही पार्टी से लंबे समय से नाराज चल रही पंकजा मुंडे समय समय पर ऐसे बयान देती रही हैं, जिससे उनके भाजपा को छोड़कर किसी और दल से हाथ मिलाने की चर्चाओं को बल मिलता है। भाजपा के सहयोगी राष्ट्रीय समाज पक्ष (आरएसपी) की ओर से 31 मई को दिल्ली में आयोजित एक जनसभा में भाजपा नेता रहे दिवंगत गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा ने एकदम बेबाकी से कहा, “मैं तो भाजपा की हूं, लेकिन भाजपा मेरी नहीं है।”
उसी दिन, उनकी बहन और बीड से भाजपा सांसद प्रीतम मुंडे भी पार्टी रुख के खिलाफ जाकर रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह का विरोध कर रहे पहलवानों के समर्थन में खड़ी नजर आईं। फिर, 3 जून को भी अपने पिता की नौवीं जयंती पर बीड में आयोजित कार्यक्रम में पंकजा मुंडे ने कहा कि ‘मेरे पिता का जीवन तूफानों से भरा रहा है। मैं भी तूफान की बेटी हूं।’ पंकजा ने यह भी कहा कि बीजेपी को खड़ा करने के लिए जीवन लगा देने वाले गोपीनाथ मुंडे के परिवार के सदस्य के बारे में यह कहा जाए कि अब वे खेत में गन्ना काटेंगे तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है। इसी दिन पंकजा मुंडे ने परली से फिर से चुनाव लड़ने के भी संकेत दिए।
वंजारी समुदाय से आने वाले मुंडे परिवार की दूरियां भाजपा के साथ तभी बढ़ गई थी जब 2019 के विधानसभा चुनावों में पंकजा मुंडे को अपने चचेरे भाई और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नेता धनंजय मुंडे से करारी हार झेलनी पड़ी थी। इस हार का ठीकरा पंकजा ने महाराष्ट्र के बड़े नेताओं पर लगाया था। उनका इशारा देवेन्द्र फड़नवीस की ओर था। पंकजा को उम्मीद थी कि विधानसभा चुनाव में हार के बाद भी पार्टी गोपीनाथ मुंडे का मान रखते हुए उन्हे एमएलसी के रूप में सदन में पहुंचा देगी या फिर उनकी बहन को केंद्रीय मंत्रीपरिषद में जगह दे देगी।
पार्टी ने पंकजा की उम्मीदों के विपरीत लातूर के रमेश कराड़ को एमएलसी बना दिया। रमेश कराड़ भी उसी वंजारी जाति से आते हैं जिस पर एकाधिकार का दावा पंकजा मुंडे करती रही हैं। पार्टी ने पंकजा मुंडे को साफ संकेत दे दिया था कि पार्टी सिर्फ उन्हें ही वंजारी समुदाय का नेता नहीं मानती है। पार्टी के पास पंकजा के अलावा और भी विकल्प है। यही नहीं भाजपा ने औरंगाबाद के पूर्व महापौर डॉ. भागवत कराड़ को राज्यसभा सांसद बनाया और फिर उन्हें केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री जैसी अहम जिम्मेदारी भी सौंपकर पंकजा के घाव को और हरा कर दिया। फिर, अप्रैल में जीएसटी अधिकारियों ने कथित कर चोरी के सिलसिले में परली स्थित वैद्यनाथ चीनी मिल पर छापा मारा जिसे मुंडे बहनें ही चलाती हैं।
दरअसल, भाजपा ने 1980 में महारारष्ट्र में माली, धनगर और वंजारी समुदाय को मिलाकर अपना वोट बैंक मजबूत करने की शुरूआत की थी। गोपीनाथ मुंडे इसी फार्मूले की उपज थे। गोपीनाथ मुंडे के बाद अब पंकजा को भी लगता है कि वंजारी समुदाय की वह सबसे बड़ी नेता हैं और पार्टी उनके साथ साथ वंजारी समुदाय को भी नजरअंदाज कर रही है। इसके बाद से पंकजा मुंडे के साथ हमदर्दी दिखाने वाले विपक्षी नेताओं के बयान भी आने लगे।
गोपीनाथ मुंडे के पुराने सहयोगी रहे और अब एनसीपी नेता एकनाथ खड़से को इस पर काफी अफसोस होता है कि भाजपा 1980 के दशक में महाराष्ट्र में बहुजन समाज के बीच पार्टी की पैठ बढ़ाने वाले राजनेता के परिवार की इस कदर अनदेखी कर रही है। वहीं, पंकजा के आक्रामक तेवरों ने कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना और यहां तक कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के नेताओं का ध्यान खींचा है, जो अपनी-अपनी पार्टियों में उनके स्वागत को तैयार बैठे हैं।
महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले के साथ महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने भी कहा है कि पंकजा का कांग्रेस में स्वागत है। भाजपा में अपमान का घूंट पीने की बजाय कांग्रेस में आकर पंकजा मुंडे सम्मान के साथ जिए। सिर्फ कांग्रेस ही नहीं, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना और उद्धव ठाकरे की पार्टी ने भी पंकजा को अपने साथ आने का प्रस्ताव भेज दिया है। खबर है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के सांसद बेटे श्रीकांत शिंदे ने पंकजा के पास यह संदेश उनकी सांसद बहन के माध्यम से भेजा है।
पंकजा के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलों के बीच महाराष्ट्र भाजपा के दिग्गज नेता और उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस ने कहा है कि ‘पंकजा मुंडे बीजेपी की राष्ट्रीय सचिव और वरिष्ठ नेता हैं। उनकी भी कुछ व्यक्तिगत राय है। यह सच है कि हमारा एनसीपी के साथ संघर्ष रहा है और एक रात में एनसीपी के साथ कोई गठबंधन स्वीकार नहीं कर सकता है। पार्टी के वरिष्ठ नेता पंकजा से बात करेंगे और उनके मन में जो भी बात होगी सुनी जाएगी।’ देवेन्द्र फड़नवीस के बयान के बाद पंकजा मुंडे ने कहा है कि कांग्रेस में उनकी किसी से मुलाकात नहीं हुई है। हालांकि पंकजा ने यह भी कहा है कि मैं सोचने के लिए कुछ महीनों का ब्रेक लेना चाहती हूं।
हालांकि पंकजा ने अपने चचेरे भाई और राजनीतिक दुश्मन रहे धनजंय मुंडे के मंत्री बनने के बाद अपने घर पर बुलाकर आरती उतारकर सम्मान दिया। वहीं धनजंय मुडे ने भी हर परिस्थिति में पंकजा का साथ देने का वादा किया है। इससे पता चलता है कि इन दोनों भाई-बहनों के बीच राजनीतिक दुश्मनी खत्म हो रही है। हालांकि अभी भी दोनों के बीच टकराव की वजह परली सीट बनी हुई है। हो सकता है भविष्य में टकराव टालने के लिए पंकजा अगला विधानसभा चुनाव परली की बजाए अहमदनगर के पाथर्डी से लड़ें या फिर भाजपा हाईकमान पंकजा मुंडे को उनकी बहन की जगह बीड़ से लोकसभा चुनाव लड़वाकर दिल्ली ला सकता है।
खबर यह भी है कि परली सीट से धनंजय मुंडे भाजपा के चुनाव चिन्ह पर विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। इससे पंकजा की राजनीतिक दुश्मनी की वजह से एनसीपी में गये धनंजय मुंडे की भी घर वापसी हो जाएगी। धनंजय मुंडे पहले विद्यार्थी परिषद और भाजपा में रह चुके हैं। बहरहाल, मौसम की तरह बदलते मिजाज के बीच इस बारे में कोई अनुमान लगा पाना मुश्किल है कि ऊंट किस करवट बैठेगा और पंकजा अगला कदम क्या उठाएगी? लेकिन महाराष्ट्र की राजनीति में सबकी नजर पंकजा के अगले कदम पर ही है।