भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस की दो दिवसीय यात्रा से लौटते हुए 15 जुलाई को UAE पहुंचेंगे। विदेश मंत्रालय ने बुधवार को यह जानकारी दी। भारतीय प्रधानमंत्री की 9 सालों के कार्यकाल में पांचवी यूएई यात्रा होगी।
विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी अपनी यात्रा के दौरान संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति और अबू धाबी के शासक शेख मोहम्मद बिन जायेद अल नह्यान के साथ बातचीत करेंगे।
विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है, ” भारत- UAE की समग्र सामरिक साझेदारी सतत रूप से मजबूत हो रही है। प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा ऊर्जा, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, खाद्य सुरक्षा, फिनटेक, रक्षा और संस्कृति सहित विभिन्न क्षेत्रों में इसे गहरा बनाने के रास्ते तलाशने का अवसर प्रदान करेगी।”
आपको बता दें कि पिछले 8 सालों में पीएम मोदी की ये पांचवी यूएई दौरा होगा। पीएम मोदी ने पहली बार यूएई का दौरा अगस्त 2015 में, दूसरा दौरा फरवरी 2018 में, तीसरा दौरा अगस्त 2019 में और चौथा दौरा जून 2022 में किया था।
पीएम मोदी के यूएई दौरे की अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पीएम मोदी ने जब पहली बार 2015 में यूएई का दौरान किया था तो वह पिछले 34 सालों में किसी पहले भारतीय प्रधानमंत्री का दौरा था। पीएम मोदी से पहले 1981 में इंदिरा गांधी ने यूएई का दौरा किया था।
ऐसे में प्रश्न उठते हैं कि पीएम मोदी अन्य प्रधानमंत्रियों की तुलना में यूएई को इतनी तवज्जो क्यों देते हैं?
दरअसल भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद से ही भारत और यूएई के बीच घनिष्ठ व्यापारिक संबंध हैं जो आए दिन मजबूत होते जा रहे हैं। यही वजह है कि 2019 में पीएम मोदी को यूएई ने अपना सर्वोच्च सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ जायद’ से सम्मानित किया था।
भारत, यूएई का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, जो इसके कुल विदेशी व्यापार का 9% और गैर-तेल निर्यात का 14% हिस्सा है। वहीं, यूएई, भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है। भारत-यूएई व्यापार 1970 के दशक में प्रति वर्ष 180 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 2022 में 84.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो चुका है।
रूस, सऊदी अरब और इराक के बाद यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है। रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले तक भारत ने यूएई से अपने कुल इस्तेमाल का 10% कच्चा तेल आयात किया था।
रूस, सऊदी अरब और इराक के बाद यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है। रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले तक भारत ने यूएई से अपने कुल इस्तेमाल का 10% कच्चा तेल आयात किया था। यूएई को भारत के प्रमुख एक्सपोर्ट में पेट्रोलियम प्रोडक्ट, मेटल, स्टोन, जेम्स एंड ज्वैलरी, मिनरल्स, फूड आइटम जैसे अनाज, चीनी, फल और सब्जियां, चाय, मांस और सीफूड, टेक्सटाइल, इंजीनियरिंग मशीनरी प्रोडक्ट और कैमिकल्स शामिल हैं।
यूएई ने पिछले कुछ सालों में भारत में अपना प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी बढ़ाया है। यूएई बीते वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान भारत में चौथा सबसे बड़ा निवेशक बनकर उभरा है। बीते वित्त वर्ष में यूएई से भारत में FDI सालाना आधार पर तीन गुना होकर 3.35 अरब डॉलर हो गया।
भारत-यूएई का व्यापारिक संबंध उस दौर में पहुंच चुका है जहां दोनों ही देश एक दूसरे को लाभ पहुंचाते हुए बड़ा मुनाफा अर्जित कर रहे हैं। भारत और यूएई के बीच एक मुक्त व्यापार समझौता हो चुका है। यूएई पहला खाड़ी देश था जिसने भारत संग इस तरह का समझौता किया।
सच तो ये है कि सिर्फ यूएई ही नहीं पीएम मोदी के पद संभालने के बाद बाकी अरब देशों से भी भारत से रिश्ते मज़बूत हुए हैं। कई लोग यह भी मानते हैं कि गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी की जो कथित रूप से मुस्लिम विरोधी छवि बनी थी उसे तोड़ने के लिए उन्होंने खाड़ी के देशों पर बेहद ध्यान दिया।