राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ INDIA गठबंधन द्वारा अविश्वास प्रस्ताव दिए जाने पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रेस कॉन्फ्रेस की। इस दौरान खड़ेग ने कहा कि उनके व्यवहार (राज्यसभा अध्यक्ष) ने देश की गरिमा को ठेस पहुंचाई है। वे अपनी अगली पदोन्नति के लिए सरकार के प्रवक्ता के रूप में काम कर रहे हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रेस कॉन्फ्रेस में सबसे पहले देश के पहले उपराष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन को याद किया। खड़गे ने कहा कि सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कहा था कि मैं किसी भी दल का नहीं हूं। उन्होंने कहा कि भारत का उपराष्ट्रपति पद देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद होता है।
1952 से आज तक किसी उपराष्ट्रपति के खिलाफ संविधान के आर्टिकल 67 के अंतर्गत उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए कोई प्रस्ताव नहीं लाया गया है क्योंकि वे हमेशा निष्पक्ष और पूरी तरह राजनीति से परे रहे हैं। उन्होंने हमेशा सदन को नियमों के अनुसार चलाया। लेकिन, आज सदन में नियमों से ज्यादा राजनीति हो रही है। कहा कि 75वें वर्ष में हमें राज्यसभा के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ रहा है। इतना ही नहीं, खड़गे ने कहा कि वे (राज्यसभा के सभापति) हेडमास्टर की तरह स्कूलिंग करते हैं। विपक्ष की ओर से जब भी नियमानुसार महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए जाते हैं – तो सभापति योजनाबद्ध तरीके से चर्चा नहीं होने देते।
बार-बार विपक्षी नेताओं को बोलने से रोका जाता है। उनकी (राज्यसभा के सभापति की) निष्ठा संविधान और संवैधानिक परंपरा के बजाय सत्ता पक्ष के प्रति है। वे अपनी अगली पदोन्नति के लिए सरकार के प्रवक्ता के रूप में काम कर रहे हैं। मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि राज्यसभा में सबसे बड़ा व्यवधान सभापति खुद हैं।
उनके व्यवहार ने देश की गरिमा को ठेस पहुंचाई है। उन्होंने संसदीय लोकतंत्र के इतिहास में ऐसी स्थिति पैदा कर दी है कि हमें प्रस्ताव (अविश्वास प्रस्ताव) के लिए यह नोटिस लाना पड़ा। हमारी उनसे कोई व्यक्तिगत दुश्मनी या राजनीतिक लड़ाई नहीं है। हम देशवासियों को बताना चाहते हैं कि हमने लोकतंत्र, संविधान की रक्षा के लिए और बहुत सोच-समझकर यह कदम उठाया है।