नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि किसानों को हम उनका हक भी नहीं दे रहे, पुरस्कृत तो दूर की बात है। हमने जो वादा किया था, उसे देने में भी कंजूसी कर रहे हैं। मुझे समझ में नहीं आता कि किसान से वार्ता क्यों नहीं हो रही है? हमारी मानसिकता सकारात्मक होना चाहिए। हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि अगर हम किसान को यह कीमत देंगे तो इसके नकारात्मक परिणाम होंगे। जो भी कीमत हम किसान को देंगे, देश को पांच गुना फायदा होगा, इसमें कोई दो राय नहीं है।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने इस तरह से अपनी नाराजगी और पीड़ा केंद्रीय कपास प्रौद्योगिकी अनुसंधान केंद्र के शताब्दी समारोह में मंच पर बैठे केन्द्रीय कृषि और कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने रखी। उन्होंने कृषि मंत्री से मुखातिब होकर कहा कि हर पल महत्वपूर्ण है। उन्होंने चौहान से कहा कि उन्हें बताए क्या किसानों से कोई वादा किया गया था और वह वादा क्यों नहीं निभाया गया? हम क्या कर रहे हैं, वादा पूरा करने के लिए? पिछले साल भी आंदोलन था, इस साल भी आंदोलन है। समय जा रहा है, लेकिन हम कुछ नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें तकलीफ हो रही है कि अब तक पहल क्यों नहीं हुई। आज सरदार पटेल की याद आती है, उनका जो उत्तरदायित्व था देश को एकजुट करने का, उन्होंने इसे बखूबी निभाया। यह चुनौती आज कृषि मंत्री के सामने है और इसे भारत की एकता से कम मत समझिए। उन्होंने कहा कि किसान से वार्ता तुरंत होनी चाहिए और हमें सबको यह जानना चाहिए, क्या पिछले कृषि मंत्रियों ने कोई लिखित वादा किया था? अगर किया था, तो उसका क्या हुआ?
फिर मेरा किसान परेशान क्यों?
धनखड़ ने कहा कि यह बहुत संकीर्ण आकलन है कि किसान आंदोलन का मतलब केवल वे लोग हैं जो सडक़ों पर हैं। यह गलत है, बल्कि किसान का बेटा आज अधिकारी है, किसान का बेटा सरकारी कर्मचारी है। उन्होंने कहा कि पहली बार भारत को बदलते हुए देखा है। पहली बार महसूस हो रहा है कि एक विकसित भारत सिर्फ हमारा सपना नहीं, यह हमारा लक्ष्य है। भारत कभी इतनी ऊंचाई पर नहीं था। जब ऐसा हो रहा है तो मेरा किसान क्यों परेशान है? वह क्यों पीड़ित है? उन्होंने कहा कि किसान और उनके हितैषी आज चुप हैं, बोलने से कतराते हैं। देश की कोई ताकत किसान की आवाज को दबा नहीं सकती।