महायुति के भीतर मनमुटाव अब चुनाव से ठीक पहले कई मौकों पर खुलकर सामने आ रहा है। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिव सेना और अजीत पवार के नेतृत्व वाली NCP ने कई विधानसभा क्षेत्रों में एक दूसरे के खिलाफ ही उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जिससे एक अजीब राजनीतिक स्थिति पैदा हो गई।
हालांकि, ये उम्मीदवार तकनीकी रूप से महायुति से ही जुड़े हैं, लेकिन स्थिति बड़ी अजीब हो जाती है, जब वे एक-दूसरे के खिलाफ प्रचार करते हुए दिखते हैं, जिससे भ्रम और तनाव होता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऐसा ही एक मामला तब सामने आया जब शिंदे उम्मीदवारों को AB फॉर्म देने के लिए हेलीकॉप्टर से पहुंचे। श्रीरामपुर में शिंदे गुट के उम्मीदवार भाऊसाहेब कांबले ने एकनाथ शिंदे के समर्थन में रैली भी आयोजित की थी।
उम्मीदवार को अस्पताल में कराना पड़ा भर्ती
हालांकि, शिंदे ने अचानक से आखिरी समय में कार्यक्रम रद्द कर दिया, जिससे कांबले व्यथित हो गए। अचानक रद्द हुए इस कार्यक्रम के कारण कांबले का ब्लड प्रेशर बढ़ गया और बाद में उन्हें अस्पताल में भर्ती तक कराना पड़ा।
इस बीच, सुनीव तटकरे सहित NCP नेता उसी निर्वाचन क्षेत्र में अपने उम्मीदवार लहु कनाडे के लिए जमकर प्रचार कर रहे हैं। श्रीरामपुर रैली रद्द करने के बावजूद, शिंदे पड़ोसी नेवासा इलाके में एक और बैठक करने वाले हैं, जिससे रैली रद्द होने के पीछे के असली कारणों के बारे में अटकलें तेज हो गई हैं।
अब नाम वापस नहीं लेंगे कांबले
घटनाक्रम से परेशान कांबले ने राधाकृष्ण विखे पाटिल की आलोचना की और जिले के कुछ नेताओं पर पद छोड़ने के लिए दबाव डालने का आरोप लगाया।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अगर उनकी पार्टी ने कहा होता तो वह स्वेच्छा से अपना नाम वापस ले लेते, लेकिन अब वह दौड़ में बने रहने के लिए प्रतिबद्ध हैं।