चंडीगढ़ : आज हरियाणा विधानसभा में भाजपा सरकार द्वारा पेश किए गए बजट को नेता विपक्ष चौधरी अभय सिंह चौटाला ने बजट को करदाताओं की कमर तोडऩे वाला बताते हुए कहा कि इस बजट ने करदाताओं पर प्रतिवर्ष 26503.14 करोड़ रुपए का भार डाला है जो ब्याज और कर्ज अदायगी के तौर पर खर्च होगा। उन्होंने बजट को कर्जे का बजट कहा। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री द्वारा पेश किया गया बजट पूरी तरह से दिशाहीन व निराशाजनक है। वित्त मंत्री ने सभी वर्गों को निराश किया है। बजट में तनख्वाह एवं पेंशन, शिक्षा, जनस्वास्थ्य, बिजली, परिवहन और ग्रामीण विकास के लिए खर्च होने वाली राशि में कटौती की गई है। जो सरकार की प्रदेश के विकास की मंशा को नहीं दर्शाता।
इनेलो नेता ने कहा कि 1966 में हरियाणा के बनने से लेकर 2004 तक हरियाणा प्रदेश पर लगभग मात्र 23 हजार करोड़ का कर्जा था जो कि कांग्रेस के दस साल के शासनकाल में 70931 करोड़ हो गया था। उन्होंने कहा कि यह चिंताजनक है कि जब प्रदेश में विकास कार्य नहीं हुए। तब भी भाजपा सरकार कर्ज का बोझ बढ़ा रही है। भाजपा ने मात्र साढे तीन साल में प्रदेश को 90226 करोड़ रुपए का कर्जदार बना दिया है। उन्होंने कहा कि हरियाणा प्रदेश पर कुल 161159 करोड़ का कर्ज है। नेता विपक्ष ने इस बात पर पर चिंता व्यक्त की कि करदाताओं की मेहनत के पैसे का एक बड़ा हिस्सा केवल ऋण अदायगी और ब्याज चुकाने में ही खर्च हो जाएगा। प्रदेश को हर साल 26503.14 करोड़ रुपए ब्याज और कर्ज अदायगी के तौर पर अदा करना पड़ेगा।
इनेलो वरिष्ठ नेता ने यह भी कहा कि बजट में वेतन और पेंशन पर खर्च कम किया गया है जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस सरकार ने न तो नए रोजगार का सृजन किया है और न ही जरूरतमंदों को नई पेंशन का लाभ मिला है। उन्होंने कहा अगर प्रदेश का विकास होता तो नई नौकरियों का भी सृजन होता। उन्होंने कहा कि वर्ष 2017-18 में उपरोक्त मद पर खर्चा 38.71 प्रतिशत था जो वर्ष 2018-19 में घटाकर 37.56 प्रतिशत कर दिया गया है। इसका मुख्य कारण शिक्षा विभाग में सातवां वेतन आयोग लागू न करना रहा है। प्रदेश के कॉलेजों में अभी तक सरकार ने सातवां वेतन आयोग नहीं दिया। इसके अतिरिक्त इस कटौती का कारण प्रदेश में स्थायी नौकरियों की भर्ती न करना भी है। सरकार ने केवल डीसी रेट और अनुबंध के आधार पर ही नौकरियां दी हैं।
नेता विपक्ष ने यह भी कहा कि इस बजट में लोगों की मूलभूत जरूरतों के मदों में भी कटौती की गई है। जब प्रदेश में शिक्षा का स्तर गिर रहा है उसके बावजूद भी पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष 1.28 प्रतिशत की कटौती की गई है। वर्ष 2017-18 में खर्च 14.24 प्रतिशत था जो इस बजट में घटाकर 12.96 प्रतिशत कर दिया गया है। सरकार ने जनस्वास्थ्य विभाग के खर्चों में भी कटौती की है। इस वर्ष इस मद पर 3.20 प्रतिशत ही खर्च होगा जो कि पिछले वर्ष 2017-18 में 3.31 प्रतिशत था। जबकि प्रदेश में चिकित्सकों, नर्सों और दवाइयों का अभाव है। कृषि क्षेत्र के लिए बजट दर्शाता है कि सरकार किसानों के साथ केवल आंकड़ों का खेल खेल रही है। एक तरफ तो सरकार किसानों को स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के तहत न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की बात कहती है वहीं कृषि बजट में भी .27 प्रतिशत की कटौती की गई है जो पिछले वर्ष 12.49 से घटकर 12.22 कर दिया गया है। वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत बजट में बिजली विभाग का बजट 6.31 प्रतिशत से घटाकर 5.87 प्रतिशत, परिवहन विभाग का बजट घटाकर 6.23 प्रतिशत से 4.73 प्रतिशत कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त ग्रामीण विकास विभाग के बजट में 1.09 प्रतिशत की कटौती की गई है। यह बजट वर्ष 2017-18 में 4.85 प्रतिशत था जो वर्ष 2018-19 के लिए 3.76 प्रतिशत रखा गया है।
नेता विपक्ष ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार के वित्तीय प्रबंधन एक्ट के अनुसार राजस्व घाटा 2010-11 तक शून्य हो जाना चाहिए था जो मौजूदा सरकार में 8 हजार करोड़ रुपए है। उन्होंने कहा कि मौजूदा बजट में प्रदेश के विकास के लिए कुछ नहीं है बल्कि इस बजट में प्रदेशवासियों पर केवल कर्जे का भार बढ़ा है।