गोरखपुर: अपने पत्र में संचालक ने पर्यटकों की आवाजाही न होने से लाखों रूपये के नुकसान का हवाला देते हुआ क्रूज को कहीं और संचालित करने की अनुमति मांगी है. संचालक ने 25 अप्रैल को जीडीए वीसी को दिए पत्र में क्रूज का अनुबंध समाप्त करने की मांग की है.
300 रूपये टिकट पर भी नहीं चढ़े पर्यटक
क्रूज के संचालक राजकुमार राय ने बताया कि क्रूज का संचालन शुरू करते समय टिकट का दाम 1500 रूपये प्रति व्यक्ति निर्धारित किया गया था. लेकिन पब्लिक की मांग पर इसमें कमी करते हुए पहले 1200 और अंत में 300 रूपये किराया निर्धारित किया गया. बावजूद इसके क्रूज लगातार घाटे में जा रहा है. क्रूज पर सवार होने वाले पर्यटकों की संख्या बेहद कम है और संचालक के कई तरह के प्रयासों के बाद भी लोग इसके प्रति आकर्षित नहीं हो रहे हैं. संचालक ने बताया कि जीडीए की ओर से क्रूज के प्रचार के लिए कोई भी पहल नहीं की गई.
साल 2022 में हुआ था अनुबंध
क्रूज संचालक ने अपने पत्र में जीडीए वीसी से कहा है, चार नंवबर 2022 को उन्होंने क्रूज चलाने का अनुबंध किया था और कुछ ही दिनों में संचालन शुरू कर दिया था. उन्होनें बताया कि इसके बाद कई बार जीडीए के जिम्मेदारों को पत्राचार कर प्लेटफार्म की मांग की लेकिन आजतक क्रूज संचालन के लिए प्लेटफार्म नहीं मिल सका. उन्होंने बताया कि मजबूरी में आजतक उन्हें आरसीसी प्लेटफार्म की जगह लोहे के प्लेटफार्म से क्रूज का संचालन करना पड़ रहा है. क्रूज के संचालक राज कुमार राय ने बताया कि जीडीए की ओर से जेट्टी न मिलने उन्होंने संचालन के लिए ढ़ाई करोड़ रूपये से यह लोहे की जेट्टी बनवाई है. उन्होंने बताया कि यहां क्रूज पहुंचने पर टायर के शाकर का प्रयोग कर रोकना पड़ता है. इससे तेज झटका भी लगता है. संचालक ने बताया कि यह सुरक्षा के लिहाज से भी ठीक नहीं है. उन्होंने बताया कि कई बार प्लेटफार्म के लिए पत्र लिखकर मांग की गई लेकिन आजतक प्लेटफार्म नहीं मिल सका.
नहीं दिया किराए में छूट
संचालक ने बताया कि जीडीए की ओर अनुबंध पत्र में यह कहा गया कि क्रूज के निर्माण के छह महीने और इसके प्रारंभिक संचालन के छह महीने के किराए में छूट की बात कही गई थी. लेकिन जब उन्होंने बार लाइसेंस की मांग की तो लाइसेंस नहीं दिया गया और बकाया राजस्व जमा करने की बात कही गई. संचालक ने बताया कि इसके बाद उन्हें जो बकाया किराया जमा करने के लिए कहा गया उसमें किसी तरह की कोई छूट नहीं दी गई.
पानी की गहराई नहीं है पर्याप्त
संचालक राजकुमार राय ने बताया कि क्रूज का संचालन करने के लिए मिनिमम वाटर लेबल तीन मीटर होना चाहिए. लेकिन रामगढ़ताल में वाटर लेबल डेढ़ मीटर के आसपास रहता है. इसके चलते तीन बार क्रूज के इंजन में दिक्कत आ चुकी है. संचालक ने बताया कि वाटर लेबल कम होने के चलते क्रूज में तेल की खपत भी अधिक होती है. उन्होंने बताया कि रामगढ़ताल में जलनिकासी के लिए केवल एक जगह पाम पैराडाइज के पास बना नाला है. यहां रेग्युलेटर लगाने के लिए कई बार जीडीए से अनुरोध किया गया लेकिन कोई भी कार्रवाई नहीं हो सकी.
आईआरएस से रजिस्टर है शिप
क्रूज के संचालक राजकुमार राय ने बताया कि लेक क्वीन क्रूज इंडियन शिपिंग रजिस्टर क्र(आईआरक्र) से रजिस्टर्ड है. इसके लिए कोलकाता पोर्ट से डब्लूबी-1907 रजिस्ट्रेशन नंबर भी लेक क्वीन क्रूज को एलाट हुआ है. उन्होंने बताया कि क्रूज को सभी सिक्योरिटी नार्मस की चेकिंग के बाद ही पानी में उतारा गया है. यह दिन व रात दोनों समय इसमें सवार होने वाले पैसेंजर्स के लिए पूरी तरह सेफ है. इमरजेंसी की स्थिति में क्रूज पर सभी तरह व्यवस्थाएं की गई हैं.
क्रूज संचालन में हो रही ये दिक्कत
– अभी तक नहीं मिल सकी जेट्टी
– सेफ्टी उपकरण जेट्टी पर रखे जाते हैं, जेट्टी न होने से रखने में दिक्कत हो रही
– क्रूज के मैकेनिकल उपकरण लाइफ जैकेट, मरीन जनरेटर, क्रूज का इंजन, एंकर मोटर, प्रोपिलर, गैंगवे आदि के मरम्मत की जगह प्राधिकरण की ओर से नहीं निर्धारित की गई
– क्रूज के मासिक मरम्मत के लिए जीडीए ने शिपयार्ड की जगह नहीं दी
– क्रूज संचालन के लिए बंद कमरे में बिजली उपकरण लगाए जाते हैं, उसके लिए जीडीए ने जगह नहीं निर्धारित की
एक नजर में क्रूज फैक्ट फिगर
– 2.5 करोड़ से हुआ निर्माण
– संचालन के लिए जीडीए को हर माह देना पड़ता है 09 लाख रूपये किराया
– 15 दिसंबर 2022 को सीएम ने किया था उद्घाटन
– 1 जनवरी 2023 को पर्यटकों के लिए खुले थे क्रूज के दरवाजे
– 12 करोड़ 70 लाख से बनी है लेक क्वीन क्रूज
– 70 लाख से बना है क्रूज का किचन
– एक बार में सवार हो सकते हैं 200 पैसेंजर
– सुबह सात से रात 11 बजे तक होता है क्रूज का संचालन
– डेढ़ घंटे में खाने के साथ तय होता है क्रूज का एक चक्कर