Haryana Assembly Elections 2024: हरियाणा के जेजेपी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने सिरसा विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के रणनीतिक कदम पर सवाल उठाते हुए कहा कि भाजपा उम्मीदवार रोहताश जांगड़ा द्वारा नामांकन वापस लेना गुप्त गठबंधन का संकेत है।
उन्होंने कहा कि यह भाजपा, इनेलो, हलोपा और बहुजन समाज पार्टी के बीच एक गुप्त समझौते की ओर इशारा करता है। जो चुनावी समीकरण को प्रभावित कर सकता है। चौटाला के अनुसार यह भाजपा की एक राजनीतिक चाल है। जो सिरसा में स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है।
दुष्यंत चौटाला ने कांग्रेस के घोषणापत्र पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह कर्नाटक, राजस्थान और अन्य राज्यों में जारी किए गए घोषणापत्रों की नकल है। उन्होंने कांग्रेस द्वारा जाति जनगणना कराने के वादे पर आश्चर्य जताया। खासकर जब पार्टी कर्नाटक में इसे पूरा करने में विफल रही। जहां वह सत्ता में है। चौटाला की यह टिप्पणी कांग्रेस के वादों और उनकी सरकार बनने के बाद के कार्यों के बीच असंगति पर आधारित थी।
इसके साथ ही चौटाला ने कांग्रेस नेताओं पर भाई-भतीजावाद और पक्षपात के आरोप लगाए। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो का हवाला देते हुए जिसमें असंध से कांग्रेस उम्मीदवार शमशेर सिंह गोगी और फरीदाबाद एनआईटी से कांग्रेस उम्मीदवार नीरज शर्मा चुनावी वादे करते नजर आ रहे हैं। चौटाला ने इन बयानों को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा। गोगी का कहना था कि सत्ता में आने पर वे अपने रिश्तेदारों और समर्थकों की प्राथमिकता देंगे। जबकि शर्मा ने दावा किया कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस सत्ता में आई तो हर गांव से दो हजार नौकरियां दी जाएंगी। चौटाला ने इस तरह के वादों को भाई-भतीजावाद और जनहित के बजाय व्यक्तिगत लाभ पर केंद्रित बताया।
हरियाणा में 2024 के विधानसभा चुनावों के करीब आते ही विभिन्न दलों के बीच चुनावी रणनीतियां और घोषणापत्र सामने आ रहे हैं। कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में सात गारंटियों का वादा किया है। लेकिन इसके साथ ही भाजपा और जेजेपी की आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ रहा है। दुष्यंत चौटाला ने जहां भाजपा की गुप्त रणनीति पर सवाल उठाए हैं। वहीं कांग्रेस के चुनावी वादों को लेकर भी अपनी शंका जाहिर की है।
सिरसा में भाजपा उम्मीदवार का नाम वापस लेना और कांग्रेस के घोषणापत्र पर चौटाला की प्रतिक्रिया से राज्य की राजनीति में उथल-पुथल के संकेत मिल रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि ये राजनीतिक चालें और घोषणाएं आगामी विधानसभा चुनावों में मतदाताओं को किस हद तक प्रभावित करती हैं।