राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत मंगलवार को अमरोहा पहुंचे। यहां उन्होंने रजबपुर इलाके के चोटिपुरा गांव में स्थित श्रीमद दयानंद कन्या गुरुकुल महाविद्यालय में यज्ञ में हिस्सा लिया।
इस दौरान उन्होंने महाविद्यालय की 134 बच्चियों को उपनयन संस्कार के बाद आशीर्वाद दिया। साथ ही नवनिर्मित भवन संस्कृति का उद्घाटन किया औऱ महाविद्यालय प्रांगण में अशोक का पौधा लगाया।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक डा.मोहन भागवत केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय,दिल्ली के द्वारा अनुदानित श्रीमद् दयानन्द कन्या गुरुकुल महाविद्यालय चोटी पुरा,अमरोहा , उत्तर प्रदेश के छात्राओं के भारतीय षोड्स संस्कारों के अन्तर्गत उपनयन संस्कार के एक ऐतिहासिक कार्यक्रम में शामिल हुए । इस कार्यक्रम में इसी महाविद्यालय का एक नूतन भवन का भी उनके कर कमलों द्वारा उद्घाटन किया गया।
सरसंघचालक मोहन भागवतने यहां के छात्राओं के साथ सीधी बातचीत भी की । इसी क्रम में उनसे एक छात्रा के द्वारा पूछे गये एक प्रश्न कि सरसंघचालक महोदय आप क्यों नहीं प्रधान मन्त्री बने? तो , उसके उत्तर में उन्होंने कहा कि आप सभी छात्राएं यहां कुछ बनने के लिए नहीं आयीं हैं , बल्कि इसके उन्नयन हेतु यहां के खम्भों को सशक्त बनाने में अपने आप को पूरे समर्पण भाव से न्यौछावर कर देने के लिए हैं । नहीं तो , आप लोगों को यहां आने की क्या आवश्यकता थी ?अपने घर में ही बैठी रहतीं ।
साथ ही साथ उन्होंने यह भी कहा कि देश के विकास के लिए हमे समरस तथा उसमें विलीन हो कर काम करना चाहिए और हम अलग भी नहीं दिखें ।हमारा राष्ट्र का वैभव अमर रहे ,हम रहें कि न रहें ।
उन्होंने आगे छात्राओं को संबोधित करते यह भी स्पष्ट रुप में कहा कि देश के लिए किसको और कब तक काम कहना है ? यह संघ सुनिश्चित करता है।इस उपनयन संस्कार कार्यक्रम तथा ‘संस्कृत – नीड़म् ‘ नामक एक नूतन भवन के उद्घाटन के अवसर पर न्यायशास्त्र तथा भारतीय संस्कृति के शसक्त ध्वजवाहक और केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय , दिल्ली के कुलपति प्रो श्रीनिवास वरखेड़ी और कन्या शिक्षा तथा उनके उन्नयन के लिए समर्पित इस महाविद्यालय की प्राचार्या डा सुमेधा की भी गरिमामयी उपस्थति रही।
प्रो वरखेड़ी ने कहा कि देश की आजादी के अमृत महोत्सव के पावन वेला में संघ प्रमुख माननीय डा भागवत महोदय जी का इस परिसर में पदार्पण होना न केवल इस महाविद्यालय , अपितु समग्र संस्कृत परिवार के लिए भी अविस्मरणीय गौरव का क्षण है ।उनकी उपस्थिति से संस्कृत के लोक मानस के लिए गरिमा की अपार श्रीवृद्धि भी हुई है ।इस भव्य समारोह में अनेक गण्यमान अतिथियों भी उपस्थित थे।
चोटीपुरा का यह भव्य कन्या महाविद्यालय न केवल वैश्विक क्रीड़ा स्पर्धाओं में , बल्कि देश के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों तथा प्राशासनिक क्षेत्रों में भी अपना महनीय योगदान दे रहा है । इसमे गुजरात के वर्तमान महामहिम जी की पौत्री भी अध्ययन कर रहीं हैं ।