Russia-China-US: अमेरिकी सेना ने बुधवार को कहा है, कि उसने अलास्का एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन में ऑपरेट हो रहे दो रूसी और दो चीनी सैन्य विमानों को इंटरसेप्ट किया है, हालांकि रूसी और चायनीज विमान लगातार अंतरराष्ट्रीय हवाई क्षेत्र में ही उड़ान भरते रहे।
उत्तरी अमेरिकी एयरोस्पेस डिफेंस कमांड (NORAD) ने एक बयान में कहा है, कि “रूसी और पीआरसी (पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना) के विमान अंतरराष्ट्रीय हवाई क्षेत्र में ही मौजूद रहे और अमेरिकी या कनाडाई संप्रभु हवाई क्षेत्र में प्रवेश नहीं किया।”
NORAD ने बयान में कहा है, कि विमान को खतरे के रूप में नहीं देखा गया है और यह उत्तरी अमेरिका के पास “प्रतिस्पर्धी गतिविधि” की निगरानी करना जारी रखेगा। अमेरिकी रक्षा अधिकारी ने कहा कि यह पहली बार है जब दोनों देशों को एक साथ काम करते हुए इंटरसेप्ट गया है। अलास्का के पास पहुंचने का मकसद क्या है? NORAD के एक बयान के मुताबिक, बमवर्षक विमान अलास्का के एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन ज़ोन (ADIZ) में अंतरराष्ट्रीय हवाई क्षेत्र में रहे और उन्हें “खतरे के रूप में नहीं देखा गया” है, लेकिन सवाल ये हैं, कि आखिर ये विमान अमेरिका के इतने करीब क्या करने पहुंचे हैं।
अमेरिका और कनाडा, जो मिलकर NORAD बनाते हैं, उसने रूसी TU-95 बियर और चीनी H-6 बमवर्षकों को इंटरसेप्ट किया है। NORAD के रक्षा अधिकारी ने कहा है, कि यह पहली बार है जब H-6 बमवर्षक विमान, जो पुराने सोवियत बमवर्षकों के म्यूटेंट हैं, उन्होंने अलास्का ADIZ में प्रवेश किया है। रक्षा अधिकारी के मुताबिक, इंटरसेप्शन को अमेरिकी F-16 और F-35 लड़ाकू विमानों के साथ-साथ कनाडाई CF-18 लड़ाकू विमानों द्वारा अंजाम दिया गया। अधिकारी ने कहा कि सहायक विमान भी इंटरसेप्शन का हिस्सा थे। अलास्का के ADIZ में रूसी विमानों का आना असामान्य नहीं है। मई में, रूस ने अलास्का के ADIZ में चार विमान उड़ाए थे, जिसके बारे में NORAD ने उस समय कहा था, कि “यह नियमित रूप से होता है।”
लेकिन चीनी विमानों की मौजूदगी एक नई बात है। मार्च में, अमेरिकी उत्तरी कमान के प्रमुख जनरल ग्रेगरी गुइलोट ने कहा था, कि चीन, आर्कटिक में उत्तर की ओर आगे बढ़ रहा है और उन्हें उम्मीद है, कि “संभवतः इस वर्ष के शुरू में ही” वहां विमान दिखाई देंगे। गुइलोट ने सीनेट सशस्त्र सेवा समिति की सुनवाई में कहा, कि “मैंने जो देखा है, वह यह है, कि चीन वहां कार्रवाई करने की सोच रखता है।” उन्होंने कहा, कि “हमने उन्हें समुद्री क्षेत्र में देखा है। हमने उन्हें तकनीकी या वैज्ञानिक अनुसंधान के तहत देखा है, लेकिन हमें लगता है, कि यह निश्चित रूप से मल्टी-मिशन है, जिसमें चीन की सेना भी शामिल है। और फिर मुझे उम्मीद है कि इस वर्ष के शुरू में ही आर्कटिक के अलास्का हिस्से में हवाई गतिविधि देखने को मिलेगी।” उन्होंने कहा, “यह मेरे लिए बहुत बड़ी चिंता है।” चीन खुद को “आर्कटिक के नजदीक” राज्य मानता है और उसने रूस के साथ सहयोग के माध्यम से सुदूर उत्तर में अपनी उपस्थिति का विस्तार करने के लिए काम किया है।