केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह शनिवार को नई दिल्ली में “वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम” के कार्यान्वयन की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की। बैठक की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने सीमावर्ती गांवों से पलायन रोकने के लिए स्थानीय निवासियों को रोजगार के अवसर प्रदान करने और कनेक्टिविटी बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया।
वाइब्रेंट विलेज योजना के कार्यान्वयन की समीक्षा बैठक नई दिल्ली में हुई, जिसकी अध्यक्षता गृहमंत्री अमित शाह ने की। उन्होंने सीमावर्ती गांवों से पलायन रोकने के लिए स्थानीय निवासियों को रोजगार के अवसर प्रदान करने और कनेक्टिविटी बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। इस बैठक के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने इस बात पर भी जोर दिया कि सीमावर्ती गांवों के आसपास तैनात केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और सेना को सहकारी समितियों के माध्यम से स्थानीय कृषि और हस्तशिल्प उत्पादों की खरीद को प्रोत्साहित करना चाहिए। साथ ही उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि आस-पास के गांवों के निवासियों को सेना और सीएपीएफ के लिए उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिलना चाहिए। गृह मंत्रालय के अनुसार गृह मंत्री ने जीवंत गांवों में सौर ऊर्जा और पवन चक्कियों जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के अधिकतम उपयोग पर भी जोर दिया।
क्या है वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम ?
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसके तहत व्यापक विकास के लिए अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के उत्तरी सीमा से सटे 19 जिलों के 46 ब्लॉकों में 2967 गांवों की पहचान की गई है। पहले चरण में, प्राथमिकता के आधार पर 662 गांवों की पहचान की गई है, जिनमें अरुणाचल प्रदेश के 455 गांव, हिमाचल प्रदेश के 75, लद्दाख के 35, सिक्किम के 46 और उत्तराखंड के 51 सीमावर्ती गांव को शामिल किया गया है। वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत सरकार सीमावर्ती गांवों में रहने वाले लोगों के जीवनस्तर में सुधार लाकर सीमावर्ती गांवों के पलायन को रोकना चाहती है। ताकि इन गांवों से पलायन रुक सके और सीमा सुरक्षा बढ़ाने में मदद मिल सके।