नई दिल्ली, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंंद केजरीवाल शराब घोटाले में भले न्यायिक हिरासत में हैं, लेकिन उनके एक करीबी सहयोगी को अदालत से थोड़ी राहत मिलती नजर आ रही है. स्वाति मालीवाल से कथित मारपीट के मामले में दिल्ली की एक अदालत ने केजरीवाल के पीए विभव कुमार की याचिका पर गौर करने की बात कही है.
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष रहीं स्वाति मालीवाल ने मुख्यमंत्री के करीबी विभव कुमार पर मारपीट का आरोप लगाया था. उनका कहना था कि जब वे केजरीवाल ने मिलने के लिए पहुंचीं, तो विभव ने उन्हें रोका. उनके साथ बदसलूकी की. उनके पेट पर लात मारी. मामला दिल्ली पुलिस तक पहुंचा, तो पुलिस ने केस रजिस्टर कर लिया और विभव कुमार को कुछ दिनों बाद गिरफ्तार कर लिया. विभव कुमार ने अपनी गिरफ़्तारी को अवैध घोषित करने के लिए हाईकोर्ट में अर्जी लगाई और मुआवजा भी मांगा. इस पर न्यायमूर्ति स्वर्णकांत शर्मा ने कहा, गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली विभव कुमार की याचिका सुनवाई योग्य है. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया और मामले को रोस्टर बेंच के समक्ष सूचीबद्ध कर दिया.
दिल्ली पुलिस ने तर्क दिया था कि विभव कुमार की याचिका स्वीकार करने योग्य नहीं है, क्योंकि मजिस्ट्रेट अदालत ने इसी तरह की याचिका का निपटारा कर दिया था. तर्क दिया गया कि विभव कुमार को आदेश के खिलाफ सत्र न्यायालय का दरवाजा खटखटाना चाहिए था. इस पर विभव की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन ने कहा कि उनकी मुख्य प्रार्थना गिरफ्तारी को अवैध घोषित करने की है, क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है. कुमार ने स्वयं जांच अधिकारी को पत्र लिखकर बताया था कि वह जांच में शामिल होने के लिए तैयार हैं, फिर भी उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
दिल्ली पुलिस ने 18 मई को केजरीवाल के पीए विभव कुमार को गिरफ्तार किया. फिर उन्हें पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया. 24 मई को उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. आम आदमी पार्टी ने स्वाति मालीवाल के आरोपों का खंडन करते हुए उन पर राजनीतिक पार्टी के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया है. इससे पहले सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो सामने आए थे, जिनमें कथित हमले के दिन मालीवाल सुरक्षाकर्मियों से बहस करते और मुख्यमंत्री आवास से बाहर निकलते हुए दिखाई दे रहे थे. विभव की जमानत याचिका उच्च न्यायालय में लंबित है.